तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत के मामले में अरुमुघस्वामी कमीशन की रिपोर्ट विधानसभा में पेश होने के करीब एक हफ्ते बाद जयललिता का एक कथित ऑडियो वायरल हो रहा है. इस ऑडियो ने भी उनकी करीबी शशिकला पर सवाल उठाए हैं. लीक ऑडियो में जयललिता को चिढ़ते हुए सुना जा सकता है, वह लगातार खांस रही हैं और स्टाफ से शिकायत कर रही हैं. यह बातचीत तब की है जब वह डेटा रिकॉर्ड करने वाले स्टाफ नर्स से बात कर रही थीं. इसी तरह, चेन्नई में प्रेस मीटिंग के बाद डॉक्टर रिचर्ड बीले का 2017 का एक वीडियो भी वायरल हुआ है.
रिचर्ड बीले को वीडियो में यह कहते हुए सुना जा सकता है कि, शुरुआत में संतुलन बनाना बहुत मुश्किल था. वहीं शशिकला पूछ रही हैं कि क्या जयललिता का विदेश जाना जरूरी था. डॉक्टर ने कहा था कि उन्हें अपने इलाज के लिए विदेश जाना चाहिए. लेकिन, इसके बाद जयललिता खुद तैयार नहीं हुईं. अरुमुघस्वामी आयोग की रिपोर्ट ने कई सवाल उठाए हैं. इस रिपोर्ट ने जयललिता की मृत्यु के समय में एक घंटे की देरी पर सवाल उठाया है. वहीं उनके इलाज के दौरान एंजियोग्राफी नहीं किए जाने पर भी सवालियां निशान लगाए हैं. शशिकला के इलाज में हस्तक्षेप करने को भी कमीशन की रिपोर्ट में शक के घेरे में रखा गया है.
रिपोर्ट का राजनीतिकरण हो रहा: शशिकला
बता दें कि न्यायमूर्ति ए अरुमुगास्वामी जांच आयोग की रिपोर्ट बीते मंगलवार को तमिलनाडु विधानसभा के पटल पर रखी गई. जिसमें कई पहलुओं पर विचार करते हुए शशिकला को दोषारोपित किया गया है. इस मामले में जांच की सिफारिश भी की गई है.
सरकार ने कहा कि जांच आयोग के कई पहुलओं और एम्स के चिकित्सकों की समिति की रिपोर्ट पर असहमति जताने पर विचार करते हुए यह फैसला लिया गया है कि कानूनी सलाह लेने के बाद, कुछ लोगों के खिलाफ की गई सिफारिश के आधार पर उपयुक्त कार्रवाई शुरू की जाएगी. हालांकि शशिकला ने प्रतिक्रिया देते हुए रिपोर्ट को मान्यताओं पर आधारित बताया और कहा कि जयललिता की मौत का राजनीतिकरण किया जा रहा है.
भर्ती होने से लेकर मौत तक की जांच
आयोग ने तत्कालीन मुख्य सचिव आर. मोहन राव और दो चिकित्सकों के खिलाफ जांच की सिफारिश की है, हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया है कि उसने इन लोगों की गलती पाई है या नहीं. आयोग ने कहा कि सरकार उस निजी अस्पताल के प्रमुख के खिलाफ जांच के बारे में फैसला कर सकती है, जहां जयललिता का इलाज चला था. जांच आयोग के अधिकार क्षेत्र में जयललिता के 22 सितंबर 2016 को अस्पताल में भर्ती होने के लिए जिम्मेदार परिस्थिति और पांच दिसंबर 2016 को उनकी मृत्यु होने तक उनके उपचार की जांच करना शामिल था