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अधिवक्ता वी सुरेश ने अदालत को सौंपी रिपोर्ट
मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) को 'एमिकस क्यूरी' ने सूचित किया है कि तमिलनाडु के दक्षिण में स्थित तीन तटवर्ती जिलों में 2016 तक कई हजार करोड़ रुपए के खनिजों का अवैध खनन हुआ और इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति पीडी ऑडिकेसवालु की पीठ की ओर से शुक्रवार को इस मुद्दे के संबंध में विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई के समय अधिवक्ता वी सुरेश ने अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंप दी.
अधिवक्ता सुरेश को मामले में अदालत का सहयोग करने के लिए पूर्व में न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) नियुक्त किया गया था.'एमिकस क्यूरी' की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि तिरुनलवेली, तूतीकोरिन और कन्याकुमारी ऐसे तीन जिले हैं जहां मूल्यवान खनिजों का बेरोकटोक अवैध खनन किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि खनन संचालकों ने बड़ी मात्रा में रेत, गार्नेट, इल्मेनाइट, रूटाइल, जिरकोन, सिलीमेनाइट और ल्यूकोक्सिन जैसे खनिजों का खनन किया और इसका एक बड़ा हिस्सा गुप्त या गैरकानूनी तरीके से खनन किया गया.
महाधिवक्ता ने दाखिल रिपोर्ट पर गौर करने के लिए मांगा समय
महाधिवक्ता आर शणमुगसुंदरम ने सुरेश की ओर से दाखिल रिपोर्ट पर गौर करने के लिए समय मांगा. खनन कंपनी 'वी वी मिनरल्स' के वकील ने भी रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए समय दिए जाने का अनुरोध किया. पीठ ने कहा कि कोई भी खनन संचालक जो रिपोर्ट पर आपत्ति जताना चाहता है, उसे एक हफ्ते के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करना चाहिए. राज्य तीन हफ्ते के अंदर खनन संचालकों की ओर से दाखिल जवाबी हलफनामों पर जवाब देगा. राज्य को ये भी बताना होगा कि तीनों जिलों में अवैध खनन रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए.
वहीं पिछले महीने मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की तरफ से पारित एक कानून को असंवैधानिक घोषित कर दिया, जिसमें शिक्षा और रोजगार में सबसे पिछड़े वर्गों के 20% आरक्षण में वन्नियाकुला क्षत्रिय समुदाय को 10.5% इंटरनल रिजर्वेशन दिया गया था. न्यायमूर्ति एम दुरईस्वामी और न्यायमूर्ति के मुरली शंकर ने आदर्श आचार संहिता के लागू होने से कुछ घंटे पहले पारित कानून की वैधता को चुनौती देने वाली उच्च न्यायालय की मुख्य सीट के साथ-साथ इसकी मदुरै पीठ में दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई को मंजूरी दी थी.
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Gulabi
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