तमिलनाडू

IIT मद्रास: इंसानों की तरह सोचने वाली 'मोशन प्लानिंग' एल्गोरिद्म किया डेवलप, ऑटोमेटेड वाहनों और ड्रोन के लिए अहम

Kunti Dhruw
19 Dec 2021 4:06 PM GMT
IIT मद्रास: इंसानों की तरह सोचने वाली मोशन प्लानिंग एल्गोरिद्म किया डेवलप, ऑटोमेटेड वाहनों और ड्रोन के लिए अहम
x
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास के रिसर्चर्स ने तेज और प्रभावी तरीके से काम करने वाली ‘मोशन प्लानिंग’ एल्गोरिद्म को डेवलप किया है.

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास के रिसर्चर्स ने तेज और प्रभावी तरीके से काम करने वाली 'मोशन प्लानिंग' एल्गोरिद्म को डेवलप किया है, जो इंसानों की तरह सोच सकती है. यह एल्गोरिद्म हवा, जमीन या सतह पर स्वत: चलने वाले वाहनों को रुकावट मुक्त वातावरण में नेविगेट करने में सक्षम बनाता है. रिसर्चर्स के मुताबिक, एलगोरिद्म को 'जेनरलाइज्ड शेप एक्सपेंशन' (GSE) की विशेष धारणा के आधार पर डेवलप किया गया है, जो ऑटोमेटेड वाहनों के लिए सुरक्षित और सुसंगत योजना बना सकती है.

रिसर्चर्स ने बताया कि मौजूदा और अत्याधुनिक मोशन प्लानिंग एल्गोरिद्म के मुकाबले नए एल्गोरिद्म बेहतर परिणाम देते हैं. उन्होंने दावा किया कि इसके द्वारा 'सुरक्षित' क्षेत्र की होने वाली अनोखी गणना से बिना ड्राइवर के चलने वाली कार, आपदा प्रबंधन, आईएसआर ऑपरेशन, ड्रोन के जरिए डिलिवरी, ग्रहों से जुड़ी खोज और अन्य परिस्थितियों में समय के लिहाज से संवेदनशील परिस्थिति में महत्वपूर्ण मदद मिलती है.
उन्होंने बताया कि अनमैन्ड एरियल व्हिकल (UAV) (आमतौर पर जिसे ड्रोन कहते हैं) का अक्सर प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण करने, खोज और बचाव मिशन के लिए मलबे को स्कैन करने के लिए उपयोग किया जाता है. चूंकि इस तरह के एप्लीकेशन में, UAV के रास्तों को समय के हिसाब से एडवांस तरीके से प्लान करने की जरूरत होती है, इसलिए ये एल्गोरिदम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
IIT मद्रास के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर सतदाल घोष के नेतृत्व में रिसर्चर्स ने यह उपलब्धि हासिल की है. इस रिसर्च टीम में आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र और वर्तमान में अमेरिका के ऑस्टिन स्थित टेक्सास विश्वविद्यालय में रिसर्चर वृषभ जिनागे, पोलैंड की वारसा यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में स्नातक के छात्र अद्वैत रामकुमार और गोल्डमैन साक्स में एनालिस्ट पी निखिल शामिल थे.
इंस्टीट्यूट के रिसर्चर्स ने श्वेत प्रकाश उत्सर्जक को किया था विकसित
इससे पहले अक्टूबर में आईआईटी मद्रास के रिसर्चर्स ने सफलतापूर्वक श्वेत प्रकाश उत्सर्जक विकसित किया था, जिसका उपयोग एलईडी डिवाइस में किया जा सकता है. रिसर्च टीम ने बताया था कि चूंकि पारंपरिक प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) सामग्री श्वेत प्रकाश का उत्सर्जन नहीं कर सकती है, इसलिए ऐसी सामग्री की दुनिया भर में खोज की गई है जो इन अप्रत्यक्ष तकनीक के बजाय सीधे श्वेत प्रकाश का उत्सर्जन कर सकती है.
आईआईटी मद्रास के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अरविंद कुमार चंडीरन ने इस पर कहा था, "एलईडी लगभग सभी रंगों में उपलब्ध है, श्वेत प्रकाश एलईडी का विकास हाल में हुआ है. पारंपरिक एलईडी सामग्री श्वेत प्रकाश का उत्सर्जन नहीं कर सकती है और दूधिया सफेद रोशनी पैदा करने के लिए विशेष तकनीकों जैसे नीले एलईडी की पीले फॉस्फोर के साथ कोटिंग और नीले, हरे और लाल एलईडी के संयोजन का उपयोग किया जाता है. इन अप्रत्यक्ष तकनीक के बजाय सीधे सीधे सफेद रोशनी का उत्सर्जन करने वाली सामग्री की दुनिया भर में खोज की गई है. पारंपरिक एलईडी में इन अप्रत्यक्ष तकनीक से प्रभाव क्षमता में कमी आ सकती है"
Next Story