तमिलनाडू

तमिलनाडु में भूकंप के झटके, 3.5 की तीव्रता से हिली जमीन

Gulabi
23 Dec 2021 11:45 AM GMT
तमिलनाडु में भूकंप के झटके, 3.5 की तीव्रता से हिली जमीन
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तमिलनाडु में भूकंप के झटके
Earthquake in Tamil Nadu: तमिलनाडु (Tamil Nadu) में गुरुवार को भूकंप (Earthquake in Tamil Nadu) के झटके महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.5 रही. भूकंप के इन झटकों को राज्य के वेल्लोर (Earthquake in Vellore) से 50 किमी पश्चिम-उत्तर-पश्चिम में महसूस किया गया. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (National Center for Seismology) ने बताया कि भूकंप के झटकों (Earthquake Latest) को 3.14 बजे महसूस किया गया. भूकंप की वजह से जान-माल के किसी भी तरह के नुकसान की खबर नहीं है.
वहीं, कर्नाटक (Karnataka) में भी गुरुवार को भूकंप (Earthquake in Karnataka) के हल्के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.6 रही. राष्ट्रीय भूकंप केंद्र (National Center for Seismology) ने बताया कि दोपहर 2.16 मिनट पर कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर (Chikkaballapura) में भूकंप के झटकों को महसूस किया गया. इससे पहले, 22 दिसंबर को जिले में 2.9 और 3.0 का तीव्रता के दो भूकंप (Earthquake in Chikkaballapura) के झटके महसूस किए गए थे. इससे पहले, कर्नाटक में बेंगलुरु के निकट स्थित चिक्कबल्लापुर जिले में बुधवार सुबह लगातार दो बार भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए.
नवंबर में भी आया था भूकंप
इससे पहले नवंबर के आखिर में तमिलनाडु के उत्तरी नगर वेल्लोर से कुछ दूर तड़के भूकंप आया. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने यह जानकारी दी थी. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले केंद्र ने बताया था कि भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.6 मापी गई. भूकंप सोमवार को चार बजकर 17 मिनट पर 25 किलोमीटर की गहराई में आया था. केंद्र ने बताया कि इसका केंद्र वेल्लोर से 59 किलोमीटर दूर और चेन्नई से करीब 184 किलोमीटर पश्चिम में था. भूकंप की तीव्रता भले ही कम थी, लेकिन इसकी वजह से लोग दहशत में आ गए थे. जब भूकंप आया, तब लोग सो रहे थे. इस वजह से लोग खासा डर गए थे.
बता दें कि पृथ्वी के नीचे प्लेटें लावा पर तैरती रहती हैं. जब ये टेक्टोनिक प्लेटों एक-दूसरे से टकराती हैं तो एक ऊर्जा निकलती है, जिसे भूकंप कहते हैं. ये प्लेटें पृथ्वी के नीचे 30 से 50 किमी नीचे मौजूद हैं. हालांकि यूरोप की कुछ जगहों पर इनकी गहराई कम है. दरअसल ये प्लेटें बेहद धीरे-धीरे तैरती हैं. इनकी स्पीड इतनी होती है कि ये हर साल अपनी जगह से 4-5 मिमी खिसकती हैं. ऐसे में कई प्लेटें एक-दूसरे के निकट आ जाती हैं तो कुछ प्लेटों के बीच दूरी बढ़ जाती है. ऐसे में कभी-कभी एक-दूसरे के निकट मौजूद प्लेटें आपस में टकरा जाती हैं.
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