तमिलनाडू

बेटी ने पूरा किया दिवंगत पिता का सपना, दूध बेचने वाली मां की लाडली डॉक्टर बनेगी

HARRY
22 Oct 2022 7:30 AM GMT
बेटी ने पूरा किया दिवंगत पिता का सपना, दूध बेचने वाली मां की लाडली डॉक्टर बनेगी
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पाने के बाद दिवंगत पिता का सपना पूरा करने को लेकर सुर्खियों में है। इस बच्ची ने कड़ी मेहनत से पूरे प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है। पिता को खोने के बावजूद इस होनहार बेटी ने हौसला नहीं खोया और अब डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने जा रही है। इस प्रेरक कामयाबी से आने वाले दिनों में कई युवा इंस्पायर हो सकते हैं। जानिए इस होनहार बेटी ने कैसे लिखी कामयाबी की कहानी

मेडिकल एजुकेशन सबसे कठिन पाठ्यक्रम में एक माना जाता है। डॉक्टर बनने का संकल्प लेने वाले लाखों छात्र हर साल परीक्षाएं देते हैं। कुछ हजार लोगों को ही कॉलेजों में दाखिला मिल पाता है। ऐसी ही संकल्प की कहानी है एक बिटिया की। इस होनहार बेटी के पिता का सपना था कि बेटी का मेडिकल कॉलेज में दाखिला हो जाए, लेकिन पिता की सांसें थम गईं और वे काल के गाल में समा गए।

2016 में पिता को खोया


आज से करीब 6 साल पहले इस होनहार बिटिया के पिता सड़क दुर्घटना का शिकार हुए थे। साल 2016 में अपने पिता को खोने वाली वृंदा पिता मद्रास मेडकिल कॉलेज में एडमिशन ले चुकी है। वृंदा को जब मेडिकल कॉलेज में दाखिले की सूचना मिली तो उसकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए। मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के बाद बेटी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, लेकिन पिता के न रहने का गम भी सताता है

आंखों से खुशी के आंसू निकल आए

तमिलनाडु की लड़की बी वृंदा को 7.5% सरकारी स्कूल के छात्र कोटे के तहत मद्रास मेडिकल कॉलेज में मेडिकल सीट मिली है। सीट मिलने के बाद वृंदा के दिवंगत पिता का सपना पूरा हुआ है। जब वृंदा को आवंटन पत्र मिला, तो उसकी आंखों से खुशी के आंसू निकल आए। वृंदा के मन में ये बात आई कि पिता अगर जीवित होते तो उन्हें और भी गर्व होता।

मंदिर के पुजारी थे पिता, साथ नहीं होने का गम

वृंदा की कामयाबी पर दी न्यू इंडियनएक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया कि साल 2016 में एक सड़क दुर्घटना में वृंदा के पिता का निधन हो गया। मंदिर के पुजारी के रूप में काम करने वाले पिता का सपना था कि वृंदा बड़ी होकर एक डॉक्टर बने। वृंदा ने बताया, मद्रास मेडिकल कॉलेज में सीट मिलने पर मैंने पिता का सपना पूरा किया। सपना भले ही पूरा हो गया है लेकिन ये सोचकर दिल टूट जाता है कि इस खुशी के मौके और कामयाबी को सेलिब्रेट करने के लिए पिता उसके साथ नहीं हैं।


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