तमिलनाडू

तमिलनाडु में 500 साल पुरानी परंपरा पर विवाद: महंत को पालकी में ले जाने की प्रथा पर बैन का विरोध

Deepa Sahu
6 May 2022 7:11 AM GMT
तमिलनाडु में 500 साल पुरानी परंपरा पर विवाद: महंत को पालकी में ले जाने की प्रथा पर बैन का विरोध
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तमिलनाडु के एक मठ में 500 साल पुरानी परंपरा को लेकर विवाद बढ़ गया है।

तमिलनाडु के एक मठ में 500 साल पुरानी परंपरा को लेकर विवाद बढ़ गया है। मदुरै अधीनम मठ में मठाधीश को पालकी में बैठाकर शोभा यात्रा निकालने की परंपरा है और इस पर जिला प्रशासन ने बैन लगा दिया गया है। इस प्रतिबंध का विरोध शुरू हो गया है। अब मदुरै अधीनम मठ के 293वें महंत श्री हरिहर श्री ज्ञानसंबंदा देसिका स्वामीगल ने कहा कि उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है। उन्होंने कहा कि वे इसकी शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करेंगे।


गुरु को कंधे पर लेकर चलने की है परंपरा
तमिलनाडु में पिछले 500 सालों से महंत को पालकी में ले जाने की परम्परा है। यहां के लोगों का मानना है कि वे अपने कंधों पर गुरु को बैठाकर पैदल चलते हैं तो उन पर कृपा होती है और गुरु के प्रति उनका सम्मान झलकता है। लेकिन तमिलनाडु में मदुरै के पास मयिलादुथुराई में स्थित धरमापुरम अधीनम के महंत की पालकी निकलने को बैन कर दिया गया है। ये मठ तमिलनाडु के मदुरै में मीनाक्षी अम्मन मंदिर के पास स्थित है, जिसमें 22 मई को शोभा यात्रा निकाली जानी थी लेकिन जिला कलेक्टर ने मानवाधिकारों का हवाला देकर इस पर रोक लगा दी है। इसके खिलाफ मठ के महंत और उनके शिष्यों ने विरोध शुरू कर दिया है।भक्तों का कहना है कि वे प्रशासन के आदेश को न मानकर यह यात्रा निकालेंगे और अपनी परंपरा निभाएंगे।
अधिकारियों ने परंपरा को बताया मानवाधिकार का उल्लंघन
द्रविड़ कड़गम नाम के एसोसिएशन ने सबसे पहले इसको लेकर प्रशासन से शिकायत की थी। एसोसिएशन के मयिलादुथुराई जिला सचिव थलपतिराज ने कहा था कि इंसानों द्वारा किसी इंसान को पालकी में ले जाना गलत है, इसलिए इस पर रोक लगना चाहिए। उनकी शिकायत के बाद जिले के राजस्व मंडल अधिकारी जे बालाजी ने 27 अप्रैल को प्रतिबंध आदेश जारी किया था।
उन्होंने कहा था कि यह प्रथा "मानवाधिकारों का उल्लंघन" है। यह परंपरा मानव सम्मान को ठेस पहुंचाती है, इसीलिए इस पर रोक लगा दी गई है। हालांकि कार्यक्रम के आयोजन पर पाबंदी नहीं लगाई गई है बल्कि महंत को कंधे पर बिठाकर शोभायात्रा निकालने पर रोक लगाई गई है।

अंग्रेजों ने भी कभी नहीं लगाई रोक
मदुरै अधीनम के 293वें महंत स्वामीगल ने शोभायात्रा पर लगाई गई रोक का विरोध किया है। महंत ने कहा कि मदुरै अधीनम एक प्रमुख धार्मिक केंद्र है। यहां परंपराओं का सम्मान किया जाना चाहिए, न कि विरोध।

उन्होंने आगे कहा- यह आयोजन सैकड़ों सालों से हो रहा है। अंग्रेजों के कार्यकाल के दौरान भी इस कार्यक्रम पर कभी रोक नहीं लगाई गई और आजादी के बाद भी सभी मुख्यमंत्रियों ने इसकी अनुमति दी थी। मौजूदा सरकार द्वारा धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप करना निंदनीय है।

कार्यक्रम का संचालन करें सीएम
महंत को पालकी में ले जाने वाले कार्यक्रम पर लगी रोक का महंत स्वामीगल ने विरोध किया हो है। इस पर महंत ने कहा कि सीएम स्टालिन से मैं अनुरोध करता हूं कि वे स्वयं इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करें और समारोह में शामिल हों। स्वामीगल ने कहा कि जब सरकार से इस पर से रोक हटाने की बात करता हूं तो मुझे धमकियां मिलती हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारा देश धर्म निरपेक्ष है। एक ही धर्म के लिए सारी पाबंदियां क्यों? मैं इस पूरे मामले की शिकायत प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को करूंगा।

बीजेपी ने की शोभायात्रा निकालने की मांग
तमिलनाडु बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के.अन्नामलाई ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए ट्वीट किया, "धर्मपुरा पर अधीनम की सदियों पुरानी 'पट्टिना प्रवेशम' पर प्रतिबंध तमिलनाडु की सभ्यता और संस्कृति का अपमान है। मैं अपने कंधों पर पालकी उठाने के लिए मौजूद रहूंगा और प्रशासन से अनुरोध करता हूं कि हमें कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दी जाए।


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