तमिलनाडू

मुख्यमंत्री स्टालिन ने राज्यपाल से NEET से संबंधित विधेयक राष्ट्रपति के पास भेजने का किया आग्रह

Kunti Dhruw
27 Nov 2021 3:28 PM GMT
मुख्यमंत्री स्टालिन ने राज्यपाल से NEET से संबंधित विधेयक राष्ट्रपति के पास भेजने का किया आग्रह
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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (Tamil Nadu Chief Minister MK Stalin) ने शनिवार को राज्यपाल आरएन रवि से आग्रह किया।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (Tamil Nadu Chief Minister MK Stalin) ने शनिवार को राज्यपाल आरएन रवि से आग्रह किया, कि वो राज्य को नीट (NEET) के दायरे से बाहर रखने और 12वीं कक्षा के अंकों के आधार पर मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिला देने के लिए विधानसभा की तरफ से पारित विधेयक को मंजूरी के वास्ते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजें. मुख्यमंत्री स्टालिन ने चेन्नई में राजभवन में राज्यपाल आरएन रवि से मुलाकात की और उनसे विधेयक को तत्काल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजने का अनुरोध किया ताकि इसके लिए राष्ट्रपति की शीघ्र स्वीकृति मिल सके.

एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुख्यमंत्री के साथ जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन, स्वास्थ्य मंत्री एमए सुब्रमण्यम और शीर्ष सरकारी अधिकारी भी थे. राजभवन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि भारी बारिश और कोविड-19 महामारी के संबंध में सरकार की पहलों पर भी बैठक में चर्चा हुई. इस साल मई में सत्ता में आने के बाद डीएमके सरकार ने सलेम में एक मेडिकल परीक्षार्थी की आत्महत्या की पृष्ठभूमि में ये विधेयक पारित कराया था.राज्य विधानसभा ने 13 सितंबर 2021 को तमिलनाडु स्नातक मेडिकल डिग्री पाठ्यक्रमों में प्रवेश विधेयक, 2021 पारित किया था. इस विधेयक में राज्य को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के दायरे से बाहर रखने और 12वीं कक्षा के अंकों के आधार पर दाखिला देने की अनुशंसा की गई थी. विधेयक की प्रस्तावना के अनुसार नीट दाखिले का उचित या न्यायसंगत तरीका नहीं है, क्योंकि ये समाज के अमीर और समृद्ध वर्गों के पक्ष में है.

तमिलनाडु सरकार के फैसले के दो पहलू हैं
तमिलनाडु में NEET के विरोध में आज से पहले भी आवाजें उठती रही हैं. राज्य में जब एआईडीएमके की सरकार थी, तब भी एक ऐसा ही बिल विधानसभा में पारित हुआ था, लेकिन बाद में वो कानून नहीं बन पाया. स्टालिन सरकार का ये फैसला राज्य के राजनीतिक रूप से देखें तो ये उनके अनुरूप लगता है, क्योंकि इस फैसले से स्टालिन ने ना सिर्फ युवाओं के एक बड़े वर्ग को अपनी ओर किया है बल्कि राज्य की उन तमाम राजनीतिक पार्टियों का मुंह भी बंद करा दिया है जो NEET और धनुष की आत्महत्या को लेकर उनका घेराव कर रही थीं.
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