विकास नीति को रेखांकित करते हैं म्यांमार में सितवे बंदरगाह, बांग्लादेश रेल लिंक
अगरतला/गुवाहाटी | म्यांमार में बहुप्रतीक्षित सितवे बंदरगाह का बिना किसी तड़क-भड़क के इस महीने की शुरुआत में उद्घाटन किया गया, जिससे भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के साथ-साथ दक्षिण पूर्व एशिया में व्यापार और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की अपार उम्मीद पैदा हुई है।
केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने म्यांमार के उप प्रधानमंत्री एडमिरल टिन आंग सान के साथ 9 मई को संयुक्त रूप से म्यांमार में सितवे बंदरगाह का उद्घाटन किया।बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने 4 मई को कोलकाता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह से कुल 1,000 टन सीमेंट के 20,000 बैग लदे एक जहाज को रवाना किया जो म्यांमार के रखाइन राज्य में सितवे बंदरगाह पर पहुंचने वाला पहला शिपमेंट था।
बंदरगाह कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (केएमटीटीपी) के हिस्से के रूप में भारत से प्राप्त अनुदान की मदद से बनाया गया है। सितवे पोर्ट का निर्माण 20 किलोमीटर लंबे सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक कॉरिडोर) के वैकल्पिक मार्ग के रूप में किया गया है। यह पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी शहर के चारों ओर भूमि का एक खंड है, जो असम और पूर्वोत्तर भारत को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।
एक बार पूरी तरह से चालू हो जाने के बाद, बंदरगाह भारत के पूर्वी तट को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ देगा, जिसके परिणामस्वरूप लागत और समय में काफी बचत होगी। साथ ही पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए सितवे बंदरगाह के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय समुद्री मार्ग तक पहुंचने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हो भारत के चार राज्य - मिजोरम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर - म्यांमार के साथ 1,643 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं। दोनों तरफ के लोगों के जातीय जुड़ाव, समान भाषा और जीवन शैली के कारण उनके बीच पारिवारिक संबंध हैं।इसके अलावा, भारत-म्यांमार की बंगाल की खाड़ी में समुद्री सीमा भी है।
इसके अलावा 1,000 करोड़ रुपये की लागत वाली अगरतला-अखौरा (बांग्लादेश) रेलवे परियोजना जो इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत में पूरी होने की संभावना है, पहाड़ी पूर्वोत्तर और शेष देश तथा दुनिया के दूसरे देशों के साथ बांग्लादेश के माध्यम से एक और संपर्क मार्ग होगा। भारतीय अनुदान से बन रही अगरतला-अखौरा रेलवे परियोजना के चालू होने के बाद पूर्वोत्तर राज्यों के लोग, विशेष रूप से त्रिपुरा, असम और मिजोरम के दक्षिणी भाग के लोगों के लिए कोकाता की दूरी 22 घंटे छोटी हो जाएगी।
Ashwandewangan
प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।