सिक्किम

सिक्किम : आजादी के अमृतमहोत्सव वर्ष में सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद की पुस्तक ''स्मृति साक्ष्य

Shiddhant Shriwas
20 July 2022 11:03 AM GMT
सिक्किम : आजादी के अमृतमहोत्सव वर्ष में सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद की पुस्तक स्मृति साक्ष्य
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गंगटोक। आजादी के अमृतमहोत्सव वर्ष में सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद की पुस्तक ''स्मृति साक्ष्य: अविरल गंगा'' का 31 जुलाई 2022 को बापू सभागार गंधी मैदान में लोकार्पण होने जा रहा है। इस लोकार्पण समारोह का उद्घाटन भाारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा करेंगे। इस समारोह के मुख्य तिथि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग होंगे। वहींइस पुस्तक का लोकार्पण बिहार के राज्यपाल श्री फागू चौहान करेंगे। साथ ही केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस समारोह के अतिविशिष्ट अतिथि होंगे। साथ ही साथ रा. स्वंयसेवक संघ के अ. भारतीय सह प्रचारक प्रमुख अरुण जैन एवं डी.ए.वी. कॉलेज प्रबंधन समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद्मश्री पूनम सूरी सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। इस बात की जानकारी मंगलवार को गंगा प्रसाद के सुपुत्र व विधायक डा. संजीव चौरसिया ने दी।

चौरसिया ने बताया कि आजादी के समय गंगा बाबू की उम्र करीब दस वर्ष की थी। वो विद्यालय के छात्र थे। साथ ही आजादी के समय के उत्सव में शामिल थे। आर्यसमाज से बचपन से ही जुड़े होने के कारण वे बाल्यकाल से ही सामाजिक, सांस्कृति व राजनीतिक परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील थे। युवावस्था के प्रारंभ में ही वे राष्ट्रीय स्वयं सेवकसंघ से जुड़ गए। बाद में जब आरएसएस के स्वयंसेवकों ने राष्ट्रीय जनसंघ की स्थापना की तब वे जनसंघ में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने लगे।
आजादी के बाद से सामाजिक, राजनीतिक परिवर्तनों को उन्होंने अत्यंत करीब से देखा। साक्षी भाव से जो अनुभव किया वह उनकी स्मृति में आज भी संरक्षित है। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में उन्होंने अपनी स्मृतियों में संग्रहित तथ्यों को प्रामाणिकता के साथ लिपिबद्ध करना शुरू किया जो एक पुस्तक के रूप में 31 जुलाई को सबके लिए सुलभ होगी।
उन्होंने बताया कि यह पुस्तक आजादी के बाद स्वतंत्र भारत में राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक परिवर्तनों व आपातकाल जैसी धटनाओं को समझने के लिए उनके संस्मरणों व अनुभवों पर एक प्रामाणिक दस्तावेज है। गंगा बाबू एक कार्यकर्ता व जिम्मेदार पदाधिकारी के रूप में अपने कार्य-व्यवहार व अनुभवों को सहेज कर रखते रहे हैं। ऐसे में यह पुस्तक एक प्रामाणिक दस्तावेज की दर्जा पा लेती है। सात अध्यायों व चित्रावलियों में विभाजित यह पुस्तक गंगा बाबू के संपूर्ण जीवन को न केवल उद्भाषित करती है बल्कि समय सापेक्ष साक्ष्यों को भी प्रस्तुत करती है।
बता दें कि, इस पुस्तक का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली ने किया है तथा इसके शोधन एवं संपादन का दायित्व वरीष्ठ पत्रकार राकेश प्रवीर एवं कृष्ण कांत ओझा ने किया है। पुस्तक एवं स्मारिका की रूप-रेखा तैयार करने में 'श्री गंगा प्रसाद अभिनंदन ग्रंथ प्रकाशन समिति' के संयोजक पद्मश्री बिमल जैन एवं उनके सुपुत्र व विधायक डा. संजीव चौरसिया की महती भूमिका रही है।


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