सिक्किम

सिक्किम-नेपालियों के लिए 'आपत्तिजनक' टिप्पणी 'विदेशी मूल के लोग' हटा लिए जाने के बावजूद चुनावी राज्य में विरोध

Shiddhant Shriwas
10 Feb 2023 2:17 PM GMT
सिक्किम-नेपालियों के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी विदेशी मूल के लोग हटा लिए जाने के बावजूद चुनावी राज्य में विरोध
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‘आपत्तिजनक’ टिप्पणी ‘विदेशी मूल
सिक्किम-नेपालियों के लिए 'आपत्तिजनक' टिप्पणी 'विदेशी मूल के लोग' हटा लिए जाने के बावजूद चुनावी राज्य में विरोध सुप्रीम कोर्ट ने टैक्स छूट पर 13 जनवरी को सुनाए अपने एक फैसले से सिक्किमी-नेपाली लोगों के संदर्भ में 'विदेशी मूल के लोग' वाली टिप्पणी को हटाने का आदेश दिया है. हालांकि, इससे पहले ही इस टिप्पणी को लेकर सिक्किम में विरोध भड़क चुका था.
शीर्ष कोर्ट ने ओल्ड सेटलर्स एसोसिएशन ऑफ सिक्किम की तरफ से टैक्स छूट की मांग वाली याचिका पर फैसला सुनाया था. सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी को लेकर विरोध, हड़ताल, पथराव की घटनाओं के साथ-साथ सत्तारूढ़ सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) और विपक्षी सिक्किम डेमोक्रेटिक पार्टी (एसडीएफ) के बीच झड़पें भी हुईं.
पिछले दो हफ्तों में राज्य में कई विरोध प्रदर्शन हुए हैं, पथराव की कम से कम एक दर्जन घटनाएं हुई हैं और पूर्व मुख्यमंत्री और एसडीएफ विधायक पवन कुमार चामलिंग पर कथित तौर पर हमला हुआ है. सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने भी 'बाहर से आए भाड़े के लोगों' की तरफ से हमले किए जाने का दावा किया है.
पथराव करके एसडीएफ के मुख्य कार्यालय की खिड़कियां और शीशे आदि तोड़ दिए जाने के बाद से यह एकदम जीर्ण-शीर्ण नज़र आ रहा है. जब दिप्रिंट ने कार्यालय का दौरा किया, तो वह काफी हद तक सुनसान मिला. पार्टी के कुछ सदस्य ज़रूर हड़बड़ाहट में फोन कर रहे थे, वे नेपाली में बात कर रहे थे और कुछ कानूनी दस्तावेज़ छांट रहे थे.
पार्टी अध्यक्ष चामलिंग सहित अधिकांश एसडीएफ सदस्य एक अन्य पुरानी इमारत, 'एनेक्स सी' में डेरा डाले थे और अपनी अगली कार्रवाई पर चर्चा के लिए पार्टी की बैठक शुरू होने का इंतज़ार कर रहे थे.
एसडीएफ के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ''हमने कभी नहीं सोचा था कि सिक्किम में कहीं आने-जाने के दौरान सावधान रहना होगा और छिपना भी पड़ सकता है.'' पार्टी दफ्तर के अंदर प्रसारित एक वीडियो में अज्ञात बदमाशों को कार्यालय पर पथराव करते दिखाया गया है. एक अन्य नेता ने दिप्रिंट को बताया, ''वीडियो अब वायरल हो गए हैं, लोगों को पता होना चाहिए.''
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के उस खास हिस्से—जिसे सिक्किम के वरिष्ठ राजनेताओं ने 'आपत्तिजनक' और 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया है—को हटा दिया है, बावजूद इसके राज्य में गतिरोध और अशांति बनी हुई है. गौरतलब है, सिक्किम में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इसमें एसकेएम और एसडीएफ के बीच सीधे मुकाबले के आसार हैं.
टैक्स छूट के मुद्दे पर एसकेएम और एसडीएफ आमने-सामने हैं. एसडीएफ नेताओं का दावा है कि पुराने बसे भारतीयों को सिक्किम की आबादी से बाहर न मानने और उन्हें कर छूट की अनुमति देने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला राज्य में निहित विशेष अधिकारों से इतर एक कदम है.
एसडीएफ नेताओं को लगता है कि राज्य में भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल एसकेएम सिक्किम के मौजूदा दर्ज को घटाने की कोशिश कर रहा है. राज्य को संविधान के अनुच्छेद 371-एफ के तहत विशेष दर्जा प्राप्त है, जैसे जम्मू-कश्मीर को अगस्त 2019 से पहले अनुच्छेद-370 के तहत हासिल था.
एसडीएफ की केंद्रीय समिति के वरिष्ठ नेता और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता एम.के. सुब्बा ने दिप्रिंट से कहा, ''दोनों ही टिप्पणियों में समस्या है. हम राज्य के विशेष दर्जे से छेड़छाड़ नहीं कर सकते. सुप्रीम कोर्ट ने 'विदेशी मूल' के संदर्भों को हटा दिया है, लेकिन बाकी का क्या? सबसे पहले से बसे लोगों को उसी कर व्यवस्था में शामिल करना भी मौजूदा प्रावधानों को बदलने का एक तरीका है.''
इसके जवाब में एसकेएम नेताओं का कहना है कि एसडीएफ के बयान एक 'चाल' है जो चामलिंग की तरफ से चुनाव से पहले सिक्किम के लोगों को सामुदायिक आधार पर बांटने के लिए चली जा रही है.
राज्य के कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री कुंगा नीमा लेप्चा ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ''अदालत की गई टिप्पणियां दुर्भाग्यपूर्ण थीं, लेकिन विपक्ष इस पर राजनीति कर रहा है, जबकि सिक्किम की पहचान को संरक्षित रखने के लिए सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों को मिलकर काम करना चाहिए.''
पांच विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे मंत्री ने आगे कहा, ''राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित करने के हरसंभव उपाय किए हैं कि ऐसी की घटनाएं दोबारा न हों. हमने इन मुद्दों पर आगे चर्चा करने और स्थायी समाधान के आह्वान के लिए विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाया है. अगर ज़रूरत पड़ी तो स्थायी समाधान के लिए आगे की कार्रवाई के उद्देश्य से पूर्ण कैबिनेट दिल्ली पहुंचेगी.''
सिक्किम में विधानसभा चुनाव अगले साल होने वाले हैं. 2019 में 25 साल तक एक पार्टी के शासन के बाद राज्य ने एसकेएम को सत्ता सौंपने का फैसला सुनाया. 32 सीटों में से प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व वाली एसकेएम ने 17 सीटें जीतीं, जबकि एसडीएफ ने 15 सीटों पर जीत हासिल की.
हालांकि, चुनाव परिणाम के तीन महीने के भीतर एसडीएफ के 12 विधायक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए, जो राज्य में पैर जमाने की कोशिश कर रही थी. अक्टूबर में तीन सीटों पर उपचुनाव हुआ था और भाजपा को दो, तमांग को एक सीट मिली. अभी, एसडीएफ के पास राज्य में एकमात्र विधायक हैं—चामलिंग और वही एसडीएफ के अध्यक्ष भी हैं.
'विदेश मूल' वाली टिप्पणी पर विरोध के बीच मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने रविवार को वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिलाया कि राज्य एक समीक्षा याचिका दायर करेगा. गृह मंत्रालय (एमएचए) ने भी सोमवार को एक समीक्षा याचिका दायर की, जिसके बाद मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणियों को हटा दिया. गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष संविधान के अनुच्छेद 371ए की सर्वोच्चता पर अपनी स्थिति से अवगत कराया.
सोमवार को ट्विटर पर जारी अपने बयान में एमएचए ने कहा, ''भारत सरकार ने अपने इस रुख को दोहराया है कि सिक्किम की पहचान की रक्षा करने वाला संविधान का अनुच्छेद 371ए सबसे ऊपर है और इसमें कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए.''
चामलिंग ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ''इस स्थिति को टाला जा सकता था. सिक्किम ही संभवत: महाद्वीप का ऐसा पूर्ववर्ती राज्य है जिसने जनमत संग्रह कराया और फिर राज्य के तौर पर भारत का हिस्सा बना. कोई अदालत राज्य के बहुसंख्यकों को विदेशी कैसे कह सकती है? यह सरकार, सत्ता पक्ष की गलती का नतीजा है. उन्होंने अदालत को गुमराह किया और गलतबयानी की. सिक्किम जैसे भू-राजनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील राज्य में पहचान सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है.''
उन्होंने आगे कहा, ''सिक्किम को एक संसदीय और राजनीतिक समाधान की ज़रूरत है, जो स्थायी हो. हम चाहते हैं कि केंद्र हमें आश्वस्त करे कि इस तरह की स्थिति या किसी भी संस्थान की तरफ से इस तरह की टिप्पणी कभी नहीं आएगी. हम इसके लिए कानूनी और राजनीतिक लड़ाई लड़ेंगे.'
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