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भारत का शहीद हो चुका सैनिक
भारत में एक ऐसा सैनिक है जो दशकों पूर्व शहीद होने के बावजूद आज भी इंडियन आर्मी की ड्यूटी बखूबी निभाता है। इतना ही नहीं बल्कि इस सैनिक का नाम आते ही चीन और उसकी सेना भी इस शहीद के आगे सिर झुकाता है। यह आपको सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगे लेकिन सच है। सिक्किम के नाथुला दर्दे में एक विशेष मंदिर काफी प्रसिद्ध है जो किसी दैविय अवतार का नहीं बल्कि भारत के सपूत शहीद का है। इस शहीद का नाम है। बाबा हरभजन सिंह। जी हां, यही एक नाम है जिसको लेकर चीन की सेना के पांव थर—थर कांपने लगते हैं।
आपको बता दें कि बाबा हरभजन सिंह 50 वर्ष पहले चीन के साथ हुए एक युद्ध में शहीद हो गए थे। लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार हरभजन सिंह आज भी मरणोपरांत भारत और चीन की सीमा पर तैनात हैं। उन्हे आज भी छुट्टी से लेकर सैलरी तक दी जाती है। यहां पर उनका मंदिर भी है। यह मंदिर सिक्किम की राजधानी गंगटोक से करीब 50 किमी दूर नाथुला पास से 9 किमी नीचे की तरफ स्थित है।
भारतीस सैनिकों के अनुसार बाबा हरभजन सिंह आज भी भारत मां के वीर सपूत होने के कर्त्तव्यों का निर्वहन करते हैं। सिक्किम के लोगों का मानना है कि बाबा हरभजन चीन की गतिविधियों पर आज भी नजर रखते हैं और जब भी चीन घुसपैठ करने की कोशिश करता है, वो किसी भारतीय जवान साथी के सपनें में आकर इस बात की जानकारी दे जाते हैं।
बाबा की वीरता की कहानी न केवल भारतीय जवानों के ज़ुबान पर है बल्कि चीनी सैनिक भी उनसे जुड़ी कहानी बताते हैं। बाबा हरभजन सिंह का जन्म 30 अगस्त, 1946 को पंजाब के सरदाना गांव में सिख परिवार में हुआ। विभाजन के बाद यह गांव पाकिस्तान में शामिल हो गया। बाबा हरभजन सिंह 9 फरवरी, 1966 को भारतीय सेना के पंजाब रेजिमेंट के 24वें बटालियन में नियुक्त हुए। अब बाबा हरभजन को भारतीय 'नाथुला के नायक' के रूप में जाना जाता है।
जानकारों के अनुसार बाबा की मृत्यु 1968 में नाथुला दर्रे की तरफ खच्चरों का काफिला ले जाने के दौरान पैर फिसलने के कारण नदी में गिरने से हुई। नदी की तेज धार में उनका शरीर 2 किमी तक बह गया। इस कारण उनका पार्थिव शरीर काफी खोजबीन करने के 2 दिन बाद मिला था। बाबा हरभजन ने मरणोपरांत किसी जवान के सपने में आकर उनके समाधि की स्थापना की इच्छा जाहिर की। बाबा हरभजन सिंह की वीरता और शौर्यता का सम्मान करते हुए 1982 के आसपास नाथुला दर्रे पर समाधि निर्मित की गई, जिसे लोग अब बाबा हरभजन सिंह मंदिर के नाम से जानते हैं।
हालांकि, अगर आप बाबा हरभजन सिंह मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं। तो इसलिए आपको सबसे पहले परमिट लेना होगा। क्योंकि यह संरक्षित क्षेत्र है। परमिट लेने के लिए आपको 2 पासपोर्ट और आईडी प्रूफ देने की जरूरत है। मंदिर की यात्रा के लिए परमिट पास एक दिन पूर्व लागू होता है। बाबा हरभजन मंदिर ऊंचे स्थान पर स्तिथ होने की वजह से आने-जाने वाले यात्रियों व पर्यटकों को सलाह दी जाती है कि यहां आप ऑक्सिजन की कमी महसूस कर सकते हैं इसलिए आने के पूर्व डॉक्टरों से परामर्श जरूर आवश्य लेंवे।
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