सिक्किम

सिक्किम में साल 2023 तक 45 किमी रूट में 14 टनल और 17 पुल से होकर गुजरेगी ट्रेन

Kunti Dhruw
15 Nov 2021 10:32 AM GMT
सिक्किम में साल 2023 तक 45 किमी रूट में 14 टनल और 17 पुल से होकर गुजरेगी ट्रेन
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पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम के साल 2023 तक देश के रेलवे नेटवर्क से जुड़ जाने की संभावना है.

पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम के साल 2023 तक देश के रेलवे नेटवर्क से जुड़ जाने की संभावना है. एक अधिकारी ने बताया कि पश्चिम बंगाल के सिवोक से सिक्किम में रंगपो तक 44.98 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन दो साल के भीतर शुरू हो जाएगी. अभी सिक्किम जाने के लिए पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी या जलपाईगुड़ी तक रेलवे में सफर करने के बाद वहां से दूसरे साधनों का उपयोग किया जाता है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के जनरल मैनेजर अंशुल गुप्ता ने सिवोक में प्रोजेक्ट साइट का दौरा करने के बाद रविवार को कहा, "सिवोक-रंगपो रेल लाइन 2023 से शुरू हो जाएगी. मुश्किल क्षेत्र, जमीन से जुड़ी दिक्कतें और बहुत कठिन जमीन संरचना होने के बावजूद यह प्रोजेक्ट 2023 तक पूरा हो जाएगा." सिवोक सिलिगुड़ी से करीब 20 किलोमीटर दूर है.
तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने 2009 में इस रेलवे लाइन की आधारशिला रखी थी और यह परियोजना 2015 तक पूरी होनी थी. भारतीय रेलवे निर्माण कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि प्रोजेक्ट का 30 फीसदी काम पूरा हो चुका है. इस रेलवे लाइन को पहले 1,339.48 करोड़ रुपए में पूरा किए जाने का अनुमान था. लेकिन निर्माण में देरी के कारण अब इस प्रोजेक्ट पर 5,000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का खर्च होने का अनुमान है.
रेलवे लाइन का 41.54 किमी हिस्सा पश्चिम बंगाल में
रिपोर्ट के मुताबिक, इस परियोजना के तहत 41.54 किलोमीटर रेलवे लाइन पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग और कलिमपोंग जिले में आती है, वहीं बाकी 3.44 किलोमीटर लाइन का हिस्सा सिक्किम में पड़ता है. प्रोजेक्ट में 14 टनल, 17 पुल और 5 स्टेशन हैं. इसमें कलिमपोंग जिले में आने वाला एक स्टेशन तीस्ता अंडरग्राउंड होगा. कम से कम 86 फीसदी रूट 14 टनल से होकर गुजरेगा, जिनमें 13 टनल पश्चिम बंगाल में हैं.
इस साल जून में कलिम्पोंग जिले में इस परियोजना के लिए टनल का निर्माण करते समय मिट्टी धंसने से दो मजदूरों की मौत हो गई थी और पांच अन्य घायल हो गए थे. दोनों मृतक मजदूर साइकू मुर्मू और नरेश सोरेन झारखंड के थे. घायल होने वाले मजदूर भी झारखंड और बिहार के थे. पुलिस अधिकारी ने कहा था कि लगातार बारिश के कारण, सुरंग का जो हिस्सा भालू खोला की तरफ था वह ढह गया था.
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