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भ्रष्टाचार में घिरे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अधिकारी पर कार्रवाई की फाइल सीएम ऑफिस में अटकी

mukeshwari
13 Jun 2023 11:39 AM GMT
भ्रष्टाचार में घिरे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अधिकारी पर कार्रवाई की फाइल सीएम ऑफिस में अटकी
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शिमला। भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार वर्तमान में हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अपने मुख्य पर्यावरण अभियंता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई और आपराधिक आचरण के लिए वांछित स्वीकृति देने को लेकर चुप्पी साधे है। दोषी अधिकारी पर कार्रवाई को लेकर फाईल चार महीने से मुख्यमंत्री कार्यालय में अटकी है। जिसके चलते सरकार की मंशा पर सवाल खडे होना लाजिमी है।

आरटीआई कार्यकर्ता देवाशीष भट्टाचार्य ने मीडिया को बताया कि एचपीएसपीसीबी के सदस्य सचिव अपूर्व देवगन जो इस समय चंबा में तैनात हैं, ने 21 फरवरी, 2023 को सीएमओ को इस मामले पर अगामी कार्रवाई के लिये फाइल भेजी थी। लेकिन इस पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कार्रवाई करने के लिए मंजूरी अभी तक नहीं दी है। इसमें कहा गया है कि कथित अनियमितताओं के लिए दोषी अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक और आपराधिक कार्रवाई के लिए मजबूत आधार है।

भट्टाचार्य ने बताया कि एचपीएसपीसीबी में मुख्य पर्यावरण अभियंता के पद तैनात विवादास्पद अधिकारी को हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा 18 जुलाई 2019 को सेकेंडमेंट के आधार पर अतिरिक्त निदेशक (पर्यावरण) के रूप में नियुक्त किया गया। इसके साथ क्षेत्रीय अधिकारी बद्दी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। यह सब गैर कानूनी तरीके से किया गया है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सीएमओ को भेजे प्रस्ताव में बताया है कि एनजीटी ने इस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है। जबकि पीसीबी द्वारा 2017 में शो कॉज जारी किया गया था। एनजीटी के आदेशों के बावजूद उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। इससे पहले दोषी अधिकारी के खिलाफ शिकायतें मिलने पर बोर्ड पर उनसे जवाब तलबी की तो वह अपना पक्ष रखने में नाकाम रहे। जिसे घोर अनुशासनहीनता और गंभीर कदाचार का मामला माना गया है।

बताया जाता है कि राज्य भर में पर्यावरणीय मानदंडों के संबंध में औद्योगिक इकाइयों के अनुपालन के बारे में स्वतंत्र फील्ड रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए, एचपीएसपीसीबी के अध्यक्ष ने 9 फरवरी, 2023 को फ्लाइंग स्क्वॉड का गठन किया। उड़न दस्ते के निरीक्षण के दौरान राज्य बोर्ड के संज्ञान में आया है कि मैसर्स नेक्सकेम बायोटेक के मामले में पाया गया कि कंपनी ने संचालन के लिए वांछित अनुमति ही नहीं ली थी।

मैसर्स महालक्ष्मी स्पिनटेक्स के मामले में यह पाया गया है कि इकाई ने नियमों के अनुसार अन्य महत्वपूर्ण परिचालन गैर-अनुपालन के साथ-साथ बोर्ड की सहमति के बिना विस्तार किया है। ये दोनों मामले औद्योगिक क्षेत्र बद्दी के हैं जो सीधे विवादास्पद अधिकारी के नियंत्रण में रहे हैं। जिससे विवादित अधिकारी के आचरण पर सवाल उठ रहे हैं।

क्षेत्रीय अधिकारी बद्दी (राज्य में औद्योगिक इकाइयों की सबसे अधिक संख्या वाला क्षेत्र) का प्रभार, शिमला और बद्दी के बीच यात्रा करने वाले अधिकारी के साथ एक अतिरिक्त प्रभार के रूप में संभालना बेहद मुश्किल है। क्योंकि, पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी निदेशालय के रूप में उनकी दूसरी नियुक्ति है। बोर्ड के नियामक कार्यों को पूरी तरह से लागू नहीं किया जा रहा है और बहुत नुकसान हो रहा है।

बोर्ड ने आरोपों में घिरे अधिकारी को बद्दी से वापिस शिमला लाने का प्रस्ताव भी सरकार को दिया है। सुझाव दिया गया है कि उनकी जगह बिलासपुर में तैनात पर्यावरण अभियंता को क्षेत्रीय अधिकारी, बद्दी के पद पर तैनात किया जाए। लेकिन मामला चार महीने से लटका है। और मुख्यमंत्री कार्यालय से वांछित अनुमति ही नहीं मिल पा रही है।

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प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।

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