नेशनल : विपक्षी एकता को बनाए रखने की जरूरत के मद्देनजर कांग्रेस नेता राहुल गांधी वीर सावरकर के खिलाफ सीधा हमला करने से बचेंगे। भाजपा सरकार के विपक्षी दलों पर बढ़ते राजनीतिक प्रहार को देखते हुए कांग्रेस बदले हालात में शिवसेना उद्धव गुट को नाराज करने का जोखिम नहीं लेना चाहती।
लोकसभा की सदस्यता खत्म किए जाने के अगले दिन राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में सावरकर के अंग्रेजों से माफी मांगने के मुद्दे को एक बार फिर छेड़ते हुए मानहानि मामले में माफी मांगने से इन्कार कर दिया था।
राहुल ने कहा था कि वे गांधी हैं सावरकर नहीं और गांधी माफी नहीं मांगते। शिवसेना उद्धव गुट इससे काफी नाराज हुआ और उद्धव ठाकरे ने तो यहां तक कह दिया कि सावरकर का अपमान कांग्रेस ने जारी रखा तो वे विपक्षी खेमे से हटने का भी फैसला कर सकते हैं। राहुल के इस बयान पर अपनी नाराजगी जताने के लिए ही शिवसेना ने मल्लिकार्जुन खरगे की सोमवार को बुलाई गई 18 दलों के नेताओं की रात्रि भोज बैठक में हिस्सा नहीं लिया।
बताया जाता है कि विपक्षी नेताओं की इस बैठक में शिवसेना की नाराजगी के मसले पर चर्चा हुई और कई विपक्षी नेताओं ने कहा कि भाजपा के खिलाफ विपक्ष की एकता के लिए जरूरी है कि ऐसे भावनात्मक मुद्दे उठाने से बचा जाए जिनका विपक्षी खेमे के दलों से सीधे सरोकार है। समझा जाता है कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी इसी तरह की राय जाहिर की और राहुल को सावरकर पर हमलावर होने से बचने का संकेतों में सुझाव दिया गया।