राजस्थान

जिला स्तरीय खाद्य एवं पोषण सुरक्षा पौष्टिक अनाज योजना अन्तर्गत कार्यशाला आयोजित

Tara Tandi
27 Sep 2023 1:20 PM GMT
जिला स्तरीय खाद्य एवं पोषण सुरक्षा पौष्टिक अनाज योजना अन्तर्गत कार्यशाला आयोजित
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भारत सरकार द्वारा वर्ष 2023 को अर्न्तराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया गया है। पोषक अनाजों के उत्पादन में वृद्धि, मूल्य संवर्धन, मूल्य संवर्धित उत्पादों के घरेलू उपभोग में वृद्धि आदि के सम्बन्ध में जागरूकता लाने के उदेद्श्य से जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन बुधवार को कृषि अनुंसधान केन्द्र सभागार में डॉ. विजय प्रकाश आर्य क्षेत्रिय निदेशक अनुसंधान कृषि अनुसंधान केन्द्र श्रीगंगानगर के अध्यक्षता में किया गया।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. जी.आर. मटोरिया ने बताया कि भारत सरकार की पहल पर संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2023 को अर्न्तराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की गई है। इसके तहत आमजन को मिलेट्स यानी बाजरा, ज्वार, रागी, कोंदो, कुटकी, सांवा आदि के पोषक महत्व एवं स्वास्थय के लिए फायदे के बारे में जागरूक करने के लिए जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है।
उन्होंने कार्यशाला के उदेद्श्य व महत्व के बारे में जानकारी देते हुए बताया भोजन में मोटा अनाज का होना स्वास्थय के लिए पोषक तत्वों की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। राजस्थान की प्रमुख फसलों में मिलेट्स का एक अहम स्थान है जिसमें बाजरा व ज्वार प्रमुख है। मिलेट्स पोषणीय आधार पर अन्य खाद्यान फसलों की अपेक्षा बेहतर माने जाते है। यह इनमें उपस्थित पोषणीय एवं औषधिय गुणों के कारण है। इनमें कुपोषण एवं बीमारियों यथा मोटापा, हदय से सम्बन्धित बीमारियों, मधुमेंह आदि के बचाव में सहायता प्राप्त होती है। उन्होने बताया कि मिलेट्स की किसानों में जागरूकता लाने के उदेद्श्य से ब्लॉक स्तर पर रोड़ शो का आयोजन करवाया जा रहा है।
क्षेत्रिय निदेशक अनुसंधान डॉ. विजय प्रकाश आर्य ने मिलेट्स की खेती के सम्बन्ध में जानकारी दी। उन्होंने मिलेट्स की खेती में मौसम, कीट व रोग का प्रकोप कम होने, सिंचाई पानी की आवश्यकता कम होने व इसकी खेती में आर्थिक जोखिम कम होने, मिलेट्स का टिकाऊ खेती में महत्व, मिलेट्स उत्पाद महंगे होने व स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने व पोषक तत्वों की अधिकता इत्यादि के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मिलेट्स की खेती में रसायनिक खाद व उर्वरक का प्रयोग बहुत कम होता है इसलिए ये जैविक होते है।
डॉ. सीमा चावला, कृषि वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र, पदमपुर में उपस्थित किसानों व विभाग के अधिकारी/कर्मचारियों को मिलेट्स के प्रसंस्करण सम्बन्धी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गेंहू और चावल की अपेक्षा बाजरा, ज्वार, रागी, कोदो, कुटकी और सांवा में प्रोटीन, फाईबर, विटामिन बी-काम्पलेक्स और खनिज भरपूर होने के कारण इनकों चमत्कारी अनाज के रूप में स्वीकार किया जाता है। थाली में बाजरा के व्यंजन शामिल कर हम अपनी सेहत को और अच्छी बना सकते है।
उन्होंने बताया कि बाजरे में गेहूं से लगभग डेढ़ गुना और चावल से दस गुना अधिक आयरन होता है और चावल से लगभग चार गुना केल्शियम अधिक प्राप्त होता है। इनमे खाद्य रेशे यानि डाईटरी फाईबर अधिक होने से ये मोटापा कम करने में उपयोगी है। यह एंटी आक्सीडेंट से भूरपूर होते है। साथ ही पाचन तंत्र को भी दुरूस्त रखते है। इस तरह ये कुपोषण, मोटापा, हदय घात व मधुमेह से बचाव करने में सहायक है। साथ ही उन्होंने मिलेट्स के बनने वाले उत्पाद जैसे लड्डू, बिस्किट, खिचड़ी इत्यादि के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी।
कृषि विपणन विभाग के सहायक निदेशक श्री सुबे सिंह रावत ने कृषि विपणन विभाग की तरफ से कृषकों को खाद्य प्रसंस्करण सम्बन्धी दी जाने वाली अनुदानित योजनाओं के बारे में बताया। इस अवसर पर श्री हरबंस सिंह, श्री प्रदीप शर्मा, श्री सुशील शर्मा, श्री स्वर्ण सिंह, श्री रोहताश कुमार, श्री विकास कुमार, श्री सुदेश कुमार, श्री रिछपाल सिंह, श्री छोटुराम सहित अन्य उपस्थित रहे। (फोटो सहित-4,5)
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