राजस्थान
परिषद स्तर पर विगत वर्षों में लगातार महिला सहभागिता बढ़ रही है, यह अच्छा संकेत है: Santosh Godha
Gulabi Jagat
13 Aug 2024 5:56 PM GMT
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Bhilwara। भारत विकास परिषद राजस्थान मध्य प्रांता की की प्रांतीय महिला कार्यशाला अरुनिमा 2024 का आयोजन कुमुद विहार के वैदिक उद्यान में हुआ। वक्ताओं के सम्बोधन से समाज महिलाओं का स्तर और ऊँचा उठाने की आवश्यकता को समझा गया। मुख्य रूप से सामने आया की महिला सशक्तिकरण व युवाओं की ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग समाज को प्रगतिशील बनाने में मील का पत्थर साबित होगा। कार्यशाला में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक गुणवन्त कोठारी ने कहा कि संस्कृति बचाने के लिए हमें सबको आगे आना होगा। संस्कृति का प्रवाह निरंतर बहता है। हमारी संस्कृति नमन करने योग्य है। भारतीय नारी आज्ञाकारी है। परिषद के महिला सहभागिता प्रोजेक्ट की राष्ट्रीय वाइस चेयरपर्सन श्रीमती संतोष गोधा ने कहा कि परिषद स्तर पर विगत वर्षों में लगातार महिला सहभागिता बढ़ रही है, यह अच्छा संकेत है। महिला और युवा वर्ग समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। संगठन की दृष्टि के कार्यक्रमों के माध्यम से महिला सदस्य का भी वही दायित्व है जो पुरुष सदस्य का होता है। महिलाएं अपने आप को कम न आंकें तथा गुणात्मकता बढ़ाने पर जोर दें। प्रत्येक शाखा की 10 सक्रिय महिलाएं पहले खुद को संस्कारित करें फिर पूरे परिवार को तथा बाद में दूसरे परिवारों को गोद लेकर उन्हें संस्कारित करने का कार्य करें। प्रांतीय अध्यक्ष गोविंद प्रसाद सोडाणी नें कहा कि महिलाओं को अपनी क्षमता को पहचानने की आवश्यकता है। विषम परिस्थितियों को देखते हुए समाज में संस्कार तथा आत्मरक्षा की महती आवश्यकता है। इस कार्यशाला की सार्थकता तब ही होगी जब हम उन सब कार्यों की क्रियान्नवति करें जो सीखा है। युवा एवं बाल संस्कार प्रांतीय संयोजक श्रीमती ज्योति माहेश्वरी ने कहा कि संस्कार निर्माण में मातृ शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका है। बच्चों में प्रारंभ से ही भोजन को झूठा न छोड़ने की आदत डालें। बच्चों की गलतियों को प्रोत्साहित न करें बल्कि उनकी गलतियों को रोकें। पर्यावरण को रीति रिवाज से जोड़ें। उन्होंने प्रांत द्वारा आगामी संस्कार निर्माण की कार्यशालाओं के आयोजन की योजना के बारे में भी बताया।
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि पल्लवी लढ़ा ने कई परिषद मातृशक्ति का सशक्त पारिवारिक मंच है। इस मंच से महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है। रीजनल महासचिव सीए संदीप बाल्दी ने कहा कि संगठन कोई सा भी हो वह मातृशक्ति की सक्रियता पर निर्भर करता है। 15 सितंबर को आयोजित होने वाले महिला सम्मेलन श्रीविद्या से भी अवगत कराया प्रांतीय महासचिव आनंद सिंह राठौड़ ने अपने उद्बोधन में मातृ शक्ति का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कार्यशाला में भारी संख्या में उपस्थिति महिलाओं की राष्ट्र के विकास की भावना को दर्शाता है। उन्होंने जीजा बाई का उदाहरण देते हुए कहा कि संस्कार निर्माण में माताओं का योगदान सर्वोपरि होता है। वर्तमान परिपेक्ष्य में नई पीढ़ी को देश भक्ति की भावना जागृत करने की महती आवश्यकता है। उन्होंने प्रांत की महिला सदस्यों को बधाई देते हुए कहा कि 15 दिन का आत्म रक्षा शिविर लगाने वाली तीन शाखाओं को प्रांतीय स्तर पर सम्मानित किया जाएगा। संस्कृति सप्ताह तथा गुरु वंदन छात्र अभिनंदन आदि कार्यक्रमों में भी महिला सहभागिता महत्वपूर्ण है। महिला सहभागिता रीजनल सचिव श्रीमती आशा मेहता ने कहा कि राजस्थान मध्य प्रांत से प्रेरणा मिलती है। रानी अहिल्या का उदाहरण देते हुए कहा कि जहां चाह वहां राह हो जाती है। उन्होंने कहा कि स्त्री ही स्त्री की मदद कर सकती है तथा नारी को हर युग में निर्माण करना आता है। आयोजक शाखा वीर शिवाजी द्वारा 11 महिला सदस्यों की टीम ने मार्मिक लघु नाटिका श्रद्धा और सम्मान प्रस्तुत की। जिसका निर्देशन श्रीमती रूपा पारीक ने किया। नाटिका में आत्म रक्षा, आत्म निर्भर और आत्म सम्मान का संदेश दिया गया जिसे देखकर सभागार तालियों से गूंज गया। प्रांतीय महिला संयोजिका कमलेश बंट ने कार्यशाला की आवश्यकता व महत्व बताया। प्रांत की ओर से वीर शिवाजी शाखा भीलवाड़ा का सम्मान किया गया तथा अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट कियें गए।
आयोजक शाखा के अध्यक्ष सुभाष मोटवानी ने सभी का आभार व्यक्त किया। संचालन प्रांतीय संयोजक महिला जागरूकता एवं आत्मरक्षा श्रीमती सुलक्षणा पारीक ने किया। राष्ट्र गान के साथ समापन हुआ। कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत उद्बोधन प्रांतीय महिला सहसंयोजिका शारदा चेचाणी ने दिया। अभिरुचि शिविर संयोजिका वंदना बाल्दी ने संचालित प्रकल्पों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। बेटी बसाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ प्रकल्प की संयोजिका रिंकू सोमानी ने अगस्त माह में बेटियों से संबंधित कार्यक्रम पूरे उत्साह के साथ करने का आह्वान किया। कुटुंब प्रबोधन प्रकल्प संयोजिका रेखा जैन ने वर्तमान समय में टूटे परिवारों को देखते हुए कुटुंब प्रबोधन की महत्ती आवश्यकता बताई। संस्कृत सप्ताह की प्रांतीय संयोजिका अमृता उपाध्याय ने हमारी 5000 साल पुरानी संस्कृति को बचाने पर जोर दिया। प्रांतीय संरक्षिका कमला गोखरू ने एनीमिया मुक्त भारत के बारे में जागरूक किया। कार्यशाला में सभी 6 जिलों की 306 मातृशक्ति मौजूद रही।
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