ग्रामीणों और भामाशाहों के सहयोग से विद्यालय में दो बीघा भूमि में करवाए विकास कार्य
डग: डग ब्लॉक का एक ऐसा सरकारी स्कूल जो निजी विद्यालयों की तर्ज पर संचालित हो रहा है, अध्यापकों ने ग्रामीणों के सहयोग से मॉडल विद्यालय बनाया। हम बात कर रहे है डग ब्लॉक के एक छोटे से गांव टोंकड़ा के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की जहां के अध्यापकों ने अपने विद्यालय को निजी विद्यालय की तर्ज पर विकसित किया। यहां कमरों की कमी के चलते भामाशाह से टीनशेड का निर्माण करवाकर अलग लग कक्षा में बैठने की व्यवस्था की। अध्यापक रामसिंह ने बताया कि 5 साल का एक विजन तैयार कर अभिभावकों की बैठक कर सहयोग लिया और ट्री गार्ड लगाकर गार्डन तैयार करने की योजना बनाई, जिसमें उच्च क्वालिटी के पौधे बोए और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी ली। ग्राम पंचायत के सहयोग से इंटरलॉकिंग करवाई और एक आदर्श विद्यालय तैयार किया।
पानी की समस्या से इस प्रकार पाया निजात
विद्यालय में पेयजल सहित पौधों को पानी पिलाने की बड़ी समस्या से झूझना पड़ रहा था। इस बीच जल योजना की लाइन से एक कनेक्शन लिया, इससे पूर्व ग्रामीण अपने टेंकरो से विद्यालय में पानी पहुंचाते रहे, उसके बाद सोलर प्लांट की तरफ से 2 लाख 50 हजार का अनुदान मिला जिससे ट्यूबवेल परिसर में लगाया गया। वहीं बचे पैसे से टीनशेड का निर्माण करवाया गया।
ग्राम पंचायत ने किया सहयोग
ग्राम पंचायत द्वारा विद्यालय को सहायतार्थ पानी की समस्या को देखते हुए एक और ट्यूबवेल का निर्माण कर परिसर में एक 1 हजार लीटर का टैंक खुदवाया, जिससे पानी की समस्या से निजात मिली। वहीं विद्यालय में इंटरलाकिंग कार्य भी ग्राम पंचायत के सहयोग से हुआ, जिससे विद्यालय में चार चांद लग गए। अपने विद्यालय को आगे बढ़ता देख ग्रामवासियो ने कंधे से कंधे लगाकर सहयोग किया। यहाँ के ग्रामीण विद्यालय विकास के लिए प्रत्येक वर्ष प्रति परिवार 1 हजार रुपये धन एकत्रित कर विद्यालय को देते है। वही विद्यालय के रख रखाव व अन्य खर्च में भी सहयोग करते है। इस प्रकार अभी तक भामाशाहो व ग्रामीणों तथा दानदाताओं द्वारा दी गई राशि से 25 लाख खर्च किये जा चुके है।
विदेशी टीम ने भी किया विद्यालय का भ्रमण
एक्टर ग्रीन एनर्जी के तत्वाधान में एक अमेरिकी प्रतिनिधि मण्डल ने विद्यालय का भ्रमण कर प्रसन्न होकर आने वाले समय में तकनीकी क्षेत्र में बड़ा योगदान देने का आश्वासन दिया। विद्यालय परिसर में कुछ बड़ी कमियां भी है जिसमे कक्षा कक्ष की कमी है विद्यालय में मात्र दो कमरे है जिसमे कार्यालय व कक्षा संचालित होती है इसलिए कक्ष का अतिरिक्त निर्माण होना चाहिए क्योंकि विद्यालय में 148 का नामांकन है व कक्ष मात्र एक इस पर सरकार को ध्यान देना अति आवश्यक है। रामसिंह यादव अध्यापक ने बताया कि ग्रामीणों व भामाशाहों के सहयोग से स्कूल का स्वरूप बदला। कि भामाशाहो व ग्रामीण तो पूरा.पूरा सहयोग करने परन्तु सरकार का इस और ध्यान नही है क्योंकि हम तो कर्मचारी है जितने दिन यहां रहे वहां तक स्कूल का विकास करते रहेंगे।
यह सब शाला परिवार के सदस्यों की लगन है जो स्कूल के बाद कम से एक घन्टा परिसर के लिए देते है, वही ग्रामीणों व भामाशाहो का सहयोग समय समय पर मिलता रहता है।
-बगदूसिंह, स्कूल के प्रधानाध्यापक