राजस्थान

सवाई माधोपुर के सलेमपुर गांव में विलुप्त होती दुर्लभ प्रजाति का मिला वन्यजीव पैंगोलिन

Gulabi Jagat
4 Aug 2022 6:56 AM GMT
सवाई माधोपुर के सलेमपुर गांव में विलुप्त होती दुर्लभ प्रजाति का मिला वन्यजीव पैंगोलिन
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राजस्थान न्यूज
सवाई माधोपुर. वनकर्मियों ने बताया कि गंगापुरसिटी क्षेत्र में मिला पैंगोलिन दुर्लभ प्रजाति का वन्यजीव है (Pangolin Found In Sawai Madhopur). फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के मुताबिक पहले भी इस क्षेत्र में पैंगोलिन मिला था. सलेमपुर गांव में जैसे ही ग्रामीणों को अजीब सा दिखने वाला वन्यजीव दिखाई दिया तो ग्रामीण सकते में आ गए. ग्रामीणों ने नायब तहसीलदार को इसकी सूचना दी. सूचना पर नायब तहसीलदार वन विभाग की रेस्क्यू टीम के साथ मौके पर पहुंचे.
वन विभाग की टीम ने पैंगोलिन को रेस्क्यू किया और फिर उसे जंगल मे छोड़ दिया. गांव वालों को अजीब से दिखने वाले जीव को देख हैरानी हुई. वो सहमे हुए भी थे. उनके खौफ को देख वन विभाग की टीम ने उन्हें समझाने का प्रयास किया (Sawai Madhopur Pangolin rescued). ग्रामीणों को पैंगोलिन के बारे में बताया गया तब जाकर ग्रामीणों ने राहत की सांस ली.
पैंगोलिन को चींटीखोर या सल्लू सांप भी कहा जाता है. पैंगोलिन भारत मे अब लुप्त पर्याय दुर्लभ वन्यजीव है. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के अनुसार, दुनियाभर में वन्य जीवों की अवैध तस्करी के मामले में अकेले 20 फीसदी योगदान पैंगोलिन का है. ये एक ऐसा जानवर है, जिसकी तस्करी पूरी दुनिया में सबसे अधिक हो रही है. खासतौर पर चीन में इस जानवर का अधिक डिमांड है क्योंकि इसके खाल और मांस से पारंपरिक दवाईयां बनाई जाती है.
इस जीव का दूसरा सबसे बड़ा इस्तेमाल ट्रेडिशनल चाइनीज मेडिसिन बनाने में होता है. पैंगोलिन के मांस से अलग दवाएं बनती हैं, तो इसके स्केल्स से अलग किस्म की दवा. हर दवा का उपयोग अलग भिन्न भिन्न बीमारियों के लिए होता है. पैंगोलिन के स्केल्स से बनने वाली दवाएं चॉकलेट के बार की तरह दिखती हैं, लेकिन काफी कठोर होती हैं.
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