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कोटा। कोटा केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के इंस्पेक्टर अरुणकुमार से जब्त 2 लाख 16 हजार 350 रुपए के मामले में एसीबी ने प्रारंभिक रिपोर्ट शुक्रवार को मुख्यालय काे भेज दी। धनेश्वर टोल नाके पर गुरुवार देर रात कार्रवाई के दौरान अरुण से इस रकम के बारे में पूछताछ की गई। वह बार-बार एक ही बात कहता रहा कि रकम पत्नी ने ज्वैलरी बनवाने के लिए दी थी। व्यस्त होने से गहने नहीं बनवा पाया और पैसा रखा रह गया। एसीबी ने क्रॉस सवाल किए गए तो वह संताेषजनक जवाब नहीं दे पाया। न यह बता पाया कि पत्नी ने किस खाते से यह पैसा विड्रॉल किया था। एसीबी ने उसकी पेंट की चार जेबों, पर्स के अलावा एक लाख रुपए सीट के कवर से जब्त किए थे। रुपए अलग-अलग रखने काे लेकर भी वह कुछ नहीं बता सका। एसीबी के एएसपी विजय स्वर्णकार ने बताया कि पूछताछ और कागजी कार्रवाई के बाद देर रात अरुण को रवाना कर दिया। मुख्यालय के निर्देश पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
नारकोटिक्स अफसराें के खिलाफ भ्रष्टाचार संबंधी सबसे ज्यादा कार्रवाई कोटा एसीबी ने की। वर्ष 2018 से अब तक यह छठी कार्रवाई है। अब तक की कार्रवाइयाें में यह बात सामने आ चुकी है कि नारकाेटिक्स में हर काम का पैसा लिया जा रहा है। पट्टे बचाए रखने के लिए नारकाेटिक्स अधिकारियाें काे खुश रखना किसानाें की मजबूरी है। टाॅप लेवल के अफसर एसीबी की गिरफ्त में आ चुके हैं। वर्ष 2019 : नारकोटिक्स राजस्थान में सबसे बड़े पद पर आसीन तत्कालीन उपायुक्त सहीराम मीणा को 1 लाख रुपए की घूस लेते पकड़ा, देने वाले कमलेश को भी एसीबी ने गिरफ्तार किया। यह रकम गांव में अफीम मुखिया नियुक्त करने के लिए दी गई थी। वर्ष 2019 : इसी साल एसीबी ने टेक्नीकल एविडेंस जुटाकर चित्तौड़गढ़ में बड़ी कार्रवाई की। अधीक्षक सुधीर यादव, सब इंस्पेक्टर भानुप्रताप आदि के घरों, वाहनों की तलाशी ली, जिसमें अफीम, स्मैक, अवैध शराब आदि मिली। सर्विलांस के दौरान की गई रिकॉर्डिंग्स में बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ और कई अन्य कार्मिकों पर भी मुकदमा दर्ज किया गया।
वर्ष 2021 : गाजीपुर अफीम फैक्ट्री के महाप्रबंधक शशांक यादव, जिनके पास अफीम फैक्ट्री नीमच का भी अतिरिक्त चार्ज था, कोटा में हाइवे पर उसकी तलाशी ली गई, जिसमें 16 लाख से ज्यादा नकदी मिली। वर्ष 2022 : झालावाड़ एसीबी की टीम ने 60 हजार रुपए की घूस लेते नारकोटिक्स सब इंस्पेक्टर सहित 3 लोगों को गिरफ्तार किया, बाद में जांच में इंस्पेक्टर की कोई भूमिका नहीं पाए जाने पर एक प्राइवेट व्यक्ति के खिलाफ चालान पेश किया गया। नारकाेटिक्स विभाग में कोटा एसीबी का खौफ इस कदर है कि बड़े अधिकारी कोटा और इससे संबंधित जिलों में पोस्टिंग से डरते हैं। सामान्य तौर पर एसीबी राज्य सरकार के विभागों में कार्रवाई करती है, लेकिन नियमानुसार यदि शिकायत मिलती है तो केंद्र के कर्मचारियों को भी पकड़ा जा सकता है।
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