राजस्थान

हमें लोठे-गिलास की ओर लौटना होगा - नागर

Shantanu Roy
18 Sep 2022 6:58 PM GMT
हमें लोठे-गिलास की ओर लौटना होगा - नागर
x
बड़ी खबर
उदयपुर। जल है तो कल है। आने वाले कल में इतना जल उपलब्ध नहीं होगा कि हम बूंद भर भी व्यर्थ गंवा सके। इसके लिए हमें आज से ही जल का मूल्य समझना होगा और इसे व्यर्थ बहने से रोकना होगा। हमें हमारी लोठे-गिलास की संस्कृति में फिर से लौटना होगा। यह बात पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत संयोजक कार्तिकेय नागर ने शनिवार सुबह उदयपुर के नेला तालाब पर जल पूजन, स्वच्छता अभियान तथा जलस्रोत संरक्षण के अभियान की शुरुआत पर कही। उन्होंने कहा कि हमें छोटी-छोटी बातों को अपनाकर जल को बचाना होगा। मेहमान आने पर अलग-अलग गिलास में पानी लाने की परम्परा की बजाय लोठे-गिलास की परम्परा को फिर अपनाना होगा। अलग-अलग गिलास में बचा हुआ पानी पुनः परेण्डे पर नहीं जाता है, उसे व्यर्थ बहा दिया जाता है। इससे पीने का पानी व्यर्थ होता है। इसी तरह, लोठे से नहाने की परम्परा को फिर से लाना होगा ताकि डेढ़ से दो बालटी में नहाना हो जाए, वर्ना आज तो शॉवर में पता नहीं हम कितने ही लीटर पानी को बहा देते हैं। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे जलढांचों को भी संरक्षित करने की आवश्यकता है जिससे भूजल पुनर्भरण भी होता रहे। प्राचीन जलढांचे भूजल पुनर्भरण की अवधारणा को ही प्रतिपादित करते हैं। पर्यावरण संरक्षण गतिविधि उदयपुर महानगर के सह संयोजक मनीष मेघवाल ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण गतिविधि व परमार्थ मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से शुरू हुए इस अभियान में परमार्थ मेमोरियल ट्रस्ट की जया कुचरू ने जल और जलस्रोतों के महत्व को प्रतिपादित करते हुए छोटे-छोटे जलढांचों के संरक्षण की आवश्यकता जताई। कार्यक्रम में उदयपुर ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा ने पर्यावरण के लिए स्वच्छ और हरे-भरे वातावरण की जरूरत बताई।
उन्होंने कहा कि यह उदयपुर की खुशनसीबी है कि यहां पर झीलें हैं और भरी हैं। शहरवासी इनके प्रति चिंतित भी रहते हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें एक अधिकारी से सुनने को मिला कि उदयपुर का हर बुजुर्ग झीलों के किनारे स्वच्छता को लेकर सजग नजर आता है। उन्होंने बताया कि नेला तालाब की पाल को फतहसागर की पाल जैसा सुंदर बनाने पर विचार चल रहा है ताकि नेला तालाब इस क्षेत्र का फतहसागर हो जाए। आरंभ में पं. देवशंकर चौबीसा के पौरोहित्य में सेवानिवृत्त कर्नल जीएल पानेरी ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ जल व जलस्रोत नेला तालाब का पूजन किया। इसके बाद वहां मौजूद क्षेत्रीय पार्षद संतोष मेनारिया सहित अन्य पर्यावरण प्रेमियों ने पाल के किनारे झील में जमा हुई गंदगी को बाहर निकालने के लिए श्रमदान किया। पाल के किनारे कच्ची जमीन पर उग आए झाड़-झंखाड़ को साफ किया गया ताकि यहां पर पक्षियों के लिए दाने डाले जा सकें। इस दौरान पर्यावरण संरक्षण गतिविधि हारित ऋषि नगर संयोजक इन्द्र लाल जोशी, मेट्रोप्लेक्स जिम के अनुराग ऐरन, राजस्थान फिल्म कला सेवा संस्थान के सोहन सुहालका, मेवाड शिक्षा शास्त्री महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. मनीष शर्मा, सन विलास होटल के सुनित दवे, मयंक चौधरी, भीष्म नारायण सोलंकी, मनीष पटेल, चंद्रपाल सिंह, दिलीप जाजपुरिया, प्रवीण डांगी, सुनील सांवरिया, अमृत मेनारिया,रघुवीर सिंह, दिलीप जाजपुरिया, सुनील कालरा, दीपिका बोकरीवाल, कमलेश जैन, मुकेश जैन, जगदीश दास कामड, भूपेन्द्र जैन, अंकिता वैरागी, अरुण निगम, हनुमान प्रसाद जिंदल, मदन मोहन झा, कैलाश हंसवाल, भूपेन्द्र सोनी, कौशल मूंदड़ा, सुन्दर लाल कोठारी, अतेन्द्र सिंह, सत्यनारायण झंवर, ललित महात्मा, प्रकाश सोमपुरा, दिनेश शर्मा, यादवेन्द्र, छगन लाल, पवन सेन, लोकेश वैष्णव सहित अन्य उपस्थित थे।
पिछोला झील किनारे भी श्रमदान
आजादी के अमृत महोत्सव व विश्व सागर दिवस के अवसर पर शनिवार को भारत की सात हजार पांच सौ किलोमीटर समुद्री रेखा पर स्वच्छ सागर - सुरक्षित सागर - समृद्ध सागर अभियान के समापन अवसर पर उदयपुर शहर की पिछोला झील के दायजी पुलिया के पश्चिमी छोर स्वच्छता अभियान के अन्तर्गत सफाई करते हुए श्रमदान किया गया। इस दौरान पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के अखिल भारतीय जल सह प्रमुख अनिल मेहता व झील संरक्षण अभियान के तेजशंकर पालीवाल के नेतृत्व में सफाई करते हुए श्रमदान किया गया। इस अवसर पर रामकृष्ण दल प्रमुख पंकज अजमेरा, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के विभाग संयोजक नाहर सिंह तंवर, रमेशचंद राजपूत, श्याम लाल कुमावत, सत्येंद्र अजमेरा, जय सोनी, रोहित चौबीसा, सुखलाल कुमावत, द्रुपद सिंह भी उपस्थित रहे। डॉ. अनिल मेहता ने उदयपुर के सभी नागरिकों को झील व जल स्वच्छता अभियान से जुड़ने आह्वान किया। तेज शंकर पालीवाल ने जल स्रोतों में कचरा, कूड़ा करकट नहीं डालने का आग्रह किया।
Next Story