राजस्थान

वेटनरी यूनिट’ पहुंचेगी पशुपालकों के द्वार, एक कॉल पर मिलेगा इलाज पूर्व विधायक

Tara Tandi
24 Feb 2024 11:43 AM GMT
वेटनरी यूनिट’ पहुंचेगी पशुपालकों के द्वार, एक कॉल पर मिलेगा इलाज पूर्व विधायक
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बूंदी । जिले में पशुपालकों को अब घर बैठे पशु चिकित्सा सेवाओं का लाभ मिल सकेगा। शनिवार को पूर्व विधायक अशोक डोगरा तथा जिला कलक्टर अक्षय गोदारा राजकीय पशु चिकित्सालय मंे आयोजित समारोह में मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा वाहनों (‘वेटनरी यूनिट’) का लोकापर्ण किया।
गौवंश व पशुधन के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जिले में संचालित होने वाली 8 मोबाइल वेटनरी ईकाईयों को पूर्व विधायक एवं जिला कलक्टर ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कार्यक्रम में सुरेश अग्रवाल, पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. रामलाल मीणा, डॉ. ओम प्रकाश मीणा, पार्षद महावीर मीणा, राजीव सिन्हा, शंकर लाल मीणा, जिला पशु क्रूरता निवारण समिति के उपाध्यक्ष बलभद्र सिंह हाडा, उपाध्यक्ष पुरुषोत्तम पारीक, विट्ठल सनाढ्य,रमेश सिंह सहित जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
इस दौरान पूर्व विधायक ने कहा कि ‘स्वस्थ पशुधन-उन्नत राजस्थान’ की संकल्पना की सिद्धि में मोबाइल वेटरिनरी क्लिनिक वाहनों मील का पत्थर साबित होंगे। उन्होंने कहा कि जिले में अब 1962 नंबर पर किए एक कॉल से पशुधन को उपचार की सुविधा मिल सकेगी।
घर बैठे करवा सकेंगे पशुपालक अपने पशुओं का इलाज
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डाॅ. रामलाल मीणा ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से प्रदेश के पशुपालकों को घर बैठे इलाज की सुविधा देने के लिए मोबाइल वेटनरी यूनिट की सुविधा शुरू की गई है, जहां पशुपालकों को उनके घर के द्वार पर ही इलाज की सुविधा मिलेगी। वहीं इन वाहनों को पूरी तरह से मेडिकल सुविधायुक्त बनाया गया है. वहीं पशुपालकों के एक कॉल पर गाड़ी उनके घर पहुंच जाएगी। उन्होंने बताया कि जिले में 8 मोबाइल पशु चिकित्सा यूनिट शुरू की गई है, इनमें प्रत्येक में कुल 3 लोग मौजूद रहेंगे जहां एक पशु चिकित्सक, 1 पशु चिकित्सा कर्मी और वाहन चालक रहेगा।
उन्होंने बताया कि 1962-मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा से जिले के 8 लाख 93 हजार 100 पशुधन को इलाज की सुविधा मिल पाएगी। इनमें 193509 गौवंश, 325032 भैसवंश, 306938 बकरीवंश, 55969 भेडवंश तथा 11652 शुकरवंश शामिल है। सोमवार से शनिवार तक प्रतिदिन जिले की सभी पंचायत समितियों में अपने अपने रूट चार्ट के अनुरूप अलग-अलग पंचायतों व गांवों में 2-2 शिविरों का नियमित से आयोजन किया जाएगा।
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