वसुंधरा राजे ने अशोक गहलोत के साजिश के आरोपों को किया खारिज
जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि 2020 में उनकी सरकार राजनीतिक संकट से बच गई, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और विधायक कैलाश मेघवाल ने पैसों के बल पर उनकी सरकार को गिराने के षड्यंत्र का समर्थन नहीं किया।
शाह, प्रधान और शेखावत ने रचा था षडयंत्र: अशोक गहलोत ने केन्द्रीय मंत्रियों अमित शाह, धर्मेन्द्र प्रधान और गजेन्द्र सिंह शेखावत पर अपनी सरकार को गिराये जाने का षड्यंत्र रचने का भी आरोप लगाया, जिसे खारिज करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा कि गहलोत इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में हार की आशंका से झूठ बोल रहे हैं। राजे ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह की ईमानदारी और सत्य निष्ठा सर्वविदित है।
बगावत के बाद चली गई थी पायलट की कुर्सी: गहलोत ने 2020 में कांग्रेस से बगावत करने वाले विधायकों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से लिए गए पैसे वापस करने चाहिए, ताकि वे बिना किसी दबाव के अपना काम कर सकें। गौरतलब है कि तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और 18 अन्य कांग्रेस विधायकों ने जुलाई 2020 में गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी। पार्टी आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद महीनेभर चला संकट समाप्त हुआ था। इसके बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था।
शेखावत की भी सरकार गिराने की रची गई थी साजिश: धौलपुर में वसुंधरा राजे के गृह क्षेत्र में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा कि उन्होंने राजस्थान में भैंरो सिंह शेखावत के नेतृत्व वाली भाजपा नीत सरकार को गिराने का समर्थन नहीं किया था, जिस समय वह प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे। उन्होंने कहा कि यह अनुचित था और ऐसा ही कैलाश मेघवाल ने तथा वसुंधरा राजे सिंधिया ने किया। गहलोत ने कहा कि दोनों भाजपा नेताओं ने कहा कि हमारे यहां कभी चुनी हुई सरकारों को पैसे के बल पर गिराने की परंपरा नहीं रही है। गहलोत ने दावा किया कि जब भैंरो सिंह शेखावत मुख्यमंत्री थे और इलाज कराने अमेरिका गये थे, उस समय भी खरीद-फरोख्त करके उनकी सरकार को गिराने की साजिश रची जा रही थी। उस समय वह प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे और उन्होंने इस साजिश में साथ नहीं दिया था। उन्होंने कहा कि वो ही बात कैलाश मेघवाल और वसुंधरा राजे सिंधिया ने कही कि हमारे यहां कभी परंपरा नहीं रही है, पैसे के बल पर इस प्रकार चुनी हुई सरकारों को गिराने की।
दूध और नींबू का रस कभी नहीं मिल सकता: गहलोत ने कहा कि भाजपा विधायक शोभारानी ने भी वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल की बात सुनी और कहा कि उन्हें भी ऐसे लोगों का साथ नहीं देना चाहिए। इसलिये हमारी सरकार बची है। जिंदगी में यह घटना मैं कभी भूल नहीं सकता, जो मेरे साथ बीती थी। गौरतलब है कि गहलोत और राजे पर अक्सर उनके विरोधी एक-दूसरे के प्रति नरम रुख रखने का आरोप लगाते हैं। हालांकि, कुछ दिन पहले राजे ने गहलोत के साथ मिलीभगत के आरोपों को झूठ बताते हुए खारिज कर दिया था और कहा था कि ‘दूध और नींबू’ का रस कभी नहीं मिल सकता।
बहुत खतरनाक खेल खेलते हैं अमित शाह: गहलोत ने दावा किया कि जो संकट हमारे ऊपर आया था, केन्द्रीय मंत्री अमित शाह, धर्मेन्द्र प्रधान, गजेन्द्र शेखावत इन सबने मिलकर षड्यंत्र किया था। उन्होंने राजस्थान में पैसे बांटे थे। वे पैसे वापस नहीं ले रहे हैं। मुझे चिंता लगी हुई है। पैसा क्यों नहीं ले रहे हैं। वापस क्यों नहीं मांग रहे हैं इनसे (विधायको से) पैसा। मैंने हमारे विधायकों से कह दिया है कि जिससे पैसा लिया है, वो लौटा दो। मान लो 10 करोड़ रुपये लिया है। 20 करोड़ रुपये लिया है, जो भी लिया है। मानो उसमें से आपने कुछ खर्च कर दिया हो, वो खर्च किया हुआ हिस्सा मैं दे दूंगा। कांग्रेस से दिलवा दूंगा। गहलोत ने कहा कि उनका पैसा मत रखो। उनका पैसा रखोगे तो हमेशा अमित शाह आप पर दबाव बनाकर रखेंगे। वह गृह मंत्री हैं। वह डराएंगे, धमकाएंगे, जैसे वह गुजरात में डराते, धमकाते हैं। उन्होंने महाराष्ट्र में धमकी देकर शिवसेना के दो टुकडे़ करा दिये। 25 विधायकों को ले गये। बहुत खतरनाक खेल खेलते हैं अमित शाह। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने मुझे तीन बार मुख्यमंत्री बनाया तो मेरा कर्तव्य बनता है कि मैं पुरानी बात भूलकर सबको साथ लेकर चलूं और पार्टी को विधानसभा चुनाव में वापस जिताकर लाऊं।
हार के डर से झूठ बोल रहे गहलोत: दूसरी ओर, वसुन्धरा राजे ने गहलोत के दावे को खारिज करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में हार से भयभीत होकर झूठ बोल रहे हैं। राजे ने कहा कि रिश्वत लेना और देना दोनों अपराध हैं। यदि उनके विधायकों ने पैसा लिया है तो गहलोत प्राथमिकी दर्ज करवाएं। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि अपनी ही पार्टी में हो रही बग़ावत और रसातल में जाते जनाधार के कारण बौखलाहट में गहलोत ने ऐसे अमर्यादित और असत्य आरोप लगाए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायकों की ख़रीद-फरोख़्त में स्वयं गहलोत को महारत हासिल है, जिन्होंने 2008 और 2018 में अल्पमत में होने के बावजूद सरकार बनाई। हम भी सरकार बना सकते थे, लेकिन यह भाजपा के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ था। राजे ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा मेरी तारीफ करना मेरे ख़िलाफ उनका एक बड़ा षड्यंत्र है। मेरा जितना अपमान गहलोत ने किया, कोई कर ही नहीं सकता। वह 2023 के चुनाव में होने वाली ऐतिहासिक हार से बचने के लिए ऐसी मनगढ़ंत कहानियां गढ़ रहें हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उनकी ये चाल कामयाब होने वाली नहीं है।