राजस्थान

कैलादेवी में हजार साल से जल रहे हैं घी और तेल के दो अखंड दीपक

Shantanu Roy
27 March 2023 12:00 PM GMT
कैलादेवी में हजार साल से जल रहे हैं घी और तेल के दो अखंड दीपक
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करौली। करौली जयपुर के कैलादेवी मंदिर में लगने वाले चैत्र नवरात्र मेले में एमपी, यूपी समेत प्रदेश भर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. एक हजार साल पुराने देवी के इस मंदिर में तब से दो अखंड दीपक जल रहे हैं। दायीं ओर घी और बायीं ओर तिल का तेल जलाया जाता है। एक महीने में इन दीयों में करीब 20 लीटर घी और 15 लीटर तेल जल जाता है। घी-तेल की व्यवस्था मंदिर ट्रस्ट के एकमात्र ट्रस्टी कृष्णचंद पाल करते हैं। उनके फार्म हाउस पर करीब 150 गायें हैं। इन गायों के घी से कैलादेवी और मदनमोहनजी में दीपक जल रहे हैं। एक हजार साल में इन अखंड दीयों में लाखों लीटर घी और तेल का इस्तेमाल हुआ है। कैलादेवी मंदिर की एक और विशेषता यह है कि मंदिर के गर्भगृह में रोशनी नहीं है। दोनों अखंड ज्योति के प्रकाश में ही माता के दर्शन होते हैं। मंदिर के अधिष्ठाता प्रकाशचंद्र जाति बताते हैं कि कैलादेवी के साथ विराजित चामुंडा माता को बंसीखेड़ा नामक गांव से लाकर यहां स्थापित किया गया था। चामुंडा माता का यह रूप वहां मिला था।
करीब 200-250 साल पहले खींची राजपूत समुदाय के लोगों की प्रार्थना पर यहां माता के इस स्वरूप की स्थापना की गई थी। स्कंध पुराण में मारीखंड में कैलादेवी का प्रसंग आता है। कलौ कैलो भविष्यति में लिखा है...। अर्थात कलयुग में मैं कैला के नाम से प्रसिद्ध होऊंगा। ऋग्वेद में मंत्र आया है कलौ चंडी विनायकौ...। अर्थात कलयुग में देवी और भगवान गणेश प्रथम पूज्य हैं। मनोवांछित वरदान देते हैं। नवरात्रि, शुक्ल पक्ष की अष्टमी, दीपावली, हरियाली अमावस्या, श्रावणी तीज, पशाक पर मंदिर के एकमात्र ट्रस्टी की ओर से माता को भोग लगाया जाता है। साल के बाकी दिनों में भक्तों की तरफ से आने वाले कपड़े पहने जाते हैं। ड्रेस के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन हर साल 14 जनवरी को नया कैलेंडर आने पर होता है। 56 भोग, फूल बंगला करवाने वाले श्रद्धालुओं को वस्त्र चढ़ाने में वरीयता दी जाती है। शुरुआत के 10 दिन के अंदर ही साल के ड्रेस डे फिक्स हो जाते हैं। बाद में मां के चरणों में आने वाली पोशाक को अर्पित कर भक्तों का सम्मान किया जाता है। साल में करीब 300 फूल बंगले, 200 छप्पन भोग आते हैं। मंदिर ट्रस्ट की ओर से नवरात्रि में फूल बंगला चल रहा है।
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