कोटा: स्टेट हाइवे-70 पर मौत का खेल बदस्तूर जारी है। मुसाफिरों की जान संकट में है। दीगोद से सुल्तानपुर की सीसी सड़क पर 3 इंच चौड़ी व डेढ़ इंच गहरी दरार वाहन चालकों को हादसे का शिकार बनाने को काफी है। टोल एजेंसी राहगीरों से जमकर पैसा वसूल रही है बदले में उन्हें मौत के मुंह में धकेल रही है। जबकि, हाइवे की देखरेख व मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी की है। इसके बावजूद विभाग, टोल कम्पनी चेतक जैनको की मनमानी पर अंकुश नहीं लगा पाया। इसे पीडब्ल्यूडी की लाचारी कहें या टोल एजेंसी की दबंगई। दैनिक नवज्योति ने जब इसकी पड़ताल की तो सामने आया कि डेढ़ माह पूर्व एईएन ने टोल कम्पनी को सड़क मरम्मत के लिए नोटिस थमाया था। इसके बावजूद कम्पनी ने न तो दरारें भरवाई और न ही सड़कों पर सफेद लाइनिंग व संकेतक लगवाए। अब विभाग कार्रवाई के लिए अधीक्षण अभियंता का छुटटी से लौटने का इंतजार कर रहा है।
नोटिस के बाद भी नहीं भरी दरारें
हाइवे पर दीगोद से सुल्तानपुर की 12 किमी सीसी सड़क के दो हिस्सों के बीच 3 इंच चौड़ी व डेढ़ इंच गहरी दरार हैं। जिसमें टायर फंसने से वाहन चालक गंभीर हादसे का शिकार हो सकता है। ग्रामीणों की शिकायत पर सुल्तानपुर डिवीजन के एईएन कमलराम मीणा ने टोल एजेंसी को दरारें भरने, सफेद लाइनिंग करवाने व संकेतक बोर्ड लगाने को नोटिस दिया था। इसके बावजूद टोल कम्पनी ने काम नहीं किया। इसके बावजूद पीडब्ल्यूडी विभाग टोल कम्पनी पर कार्रवाई नहीं कर पा रहा।
एक्सईएन ने दिखाई लाचारी
स्टेट हाइवे-70 की सड़कों पर टोल कम्पनी द्वारा दरारें नहीं भरे जाने पर एक्सईएन सत्यनारायण मीणा ने लाचारी दिखाते हुए कहा कि यह सड़क उनके अधीन नहीं है। इसकी मॉनिटरिंग व देखरेख का जिम्मा अधीक्षण अभियंता का है, उन्हीं के लेवल पर कार्रवाई की जा सकती है। हम तो चिटठी लिखकर उच्चाधिकारियों को अवगत करा देते हैं लेकिन कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। एक्सईएन के काम नहीं करने से आए दिन टोल प्लाजा पर ग्रामीणों व टोलकर्मियों के बीच सड़क की मरम्मत को लेकर झड़प होती है।
अधीक्षण अभियंता का छुटटी से लौटने का इंतजार
सुल्तानपुर डिवीजन में पीडब्ल्यूडी के दो अधिकारी तैनात हैं। लेकिन, दोनों ही टोल कम्पनी के आगे बेबस हैं। सुल्तानपुर से कोटा तक दोनों अधिकारियों का आए दिन इसी सड़क से गुजरना होता है। इसके बाजवूद वे अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहे हैं। टोल कम्पनी के खिलाफ कार्रवाई के लिए अधीक्षण अभियंता का छुटटी से लौटने का इंतजार किया जा रहा है। अधिकारियों की गैर जिम्मेदारी के कारण वाहन चालकों की जान पर संकट बना हुआ है।
इटावा जैसे हादसे का खतरा
स्टेट हाइवे 1-ए पर गत 9 फरवरी को सड़क पर आ रही दरारों में टायर फंसने से बाइक अंसतुलित होकर गिर गई थी। हादसे में एक महिला की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद पीडब्ल्यूडी विभाग सबक नहीं ले रहा। स्टेट हाइवे-70 पर दीगोद से सुल्तानपुर तक 12 किमी की सीसी सड़क पर 3 इंच चौड़ी व डेढ़ इंच गहरी दारारें हैं। जिनमें टायर फंसने से इटावा जैसा हादसे की आशंका बनी रहती है। जबकि, इस हाइवे से प्रतिदिन तीन हजार से अधिक वाहनों का आवागमन रहता है।
ग्रामीणों में रोष
दीगोद से सुल्तानपुर तक का मार्ग क्षतिग्रस्त है। जगह-जगह गड्ढ़े व दरारे हैं। आसपास के ग्रामीणों को आवागमन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सुल्तानपुर निवासी राजेश सुमन, हेमराज, संतोष ने बताया कि सीसी सड़क के दो हिस्सों के बीच हो रहे गेप में टायर फंसने से बाइक असंतुलित होने से चालक गिरकर चोटिल हो चुके हैं। वहीं, कारों के टायर कट गए हैं। यहां हादसे का खतरा बना रहता है। सड़क पर चलने का टैक्स देने के बावजूद जान जोखिम में रहती है। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद टोल कम्पनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही।
एक माह पूर्व टोल कम्पनी को दीगोद से सुल्तानपुर मार्ग पर सड़कों के बीच हो रहे गैप भरने, सफेद लाइनिंग करवाने व संकेतक लगवाने के लिए नोटिस दिया था। लेकिन, 48 दिन बाद भी कम्पनी ने काम नहीं किया। इस पर टोल एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई के लिए रिपोर्ट बनाकर एक्सईएन को सौंपी है।
-कमलराम मीणा, एईएन पीडब्ल्यूडी सुल्तानपुर डिवीजन
हाइवे मेंटिनेंस का काम टोल एजेंसी ही देखती है। हमारा डिविजन अलग है, इसलिए टोल सड़क की मॉनिटरिंग हम नहीं करते। हालांकि, चिट्ठी लिखकर संबंधित एजेंसी व उच्चाधिकारियों को अवगत करा देते हैं। कार्रवाई तो अधीक्षण अभियंता के स्तर पर ही होती है। फिलहाल अधीक्षण अभियंता छुट्टियों पर चल रहे हैं, उनके आने के बाद ही इस संबंध में कोई कार्रवाई हो सकेगी।
-सत्यनारायण मीणा, एक्सईएन पीडब्ल्यूडी सुल्तानपुर
मैं तो कार्यवाहक अधीक्षण अभियंता हूं। पत्र व्यवहार व सूचनाओं का आदान-प्रदान करना ही मेरा काम है। हाइवे से संबंधित मुझे कोई जानकारी नहीं है। स्टेट हाइवे-70 से संबंधित जानकारी वर्तमान अधीक्षण अभियंता आरके सोनी ही दे सकते हैं।
-विश्वकर्मा, कार्यवाहक अधीक्षण अभियंता पीडब्ल्यूडी कोटा