एमबीएस अस्पताल के वार्ड से ओपीडी तक टॉयलेट की नहीं हो रही सफाई
कोटा: संभाग के सबसे बड़े हॉस्पिटल एमबीएस के टॉयलेट बीमारियां बांट रहे हैं। रोजाना करीब दो से ढाई हजार लोगों की आवाजाही वाले इस परिसर में पचास से अधिक लेडीज और जेंट्स टॉयलेट बने हुए हैं। हैरानी की बात यह है कि स्टॉफ टॉयलेट को साफ-सुधरा रखने के लिए उन पर ताले लगा रखे हैं, लेकिन वार्डों के टॉयलेट गंदगी से अटे पड़े हैं। एमबीएस अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही। मरीजों के इलाज से ज्यादा अस्पताल के इलाज की आवश्यकता महसूस हो रही है। मरीजों के परिजनों का कहना है कि प्रभावी मॉनिटरिंग नहीं होने से सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा रही है। अस्पताल से समय पर बायोवेस्ट का निस्तारण नहीं हो रहा है। गंदे और टूटे शौचालय संक्रमण फैला रहे है। इसका सबसे बड़ा कारण यह सामने आया कि कोटा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य व नियंत्रक, अधीक्षक रोजाना अस्पताल तो आते हैं, लेकिन अस्पताल का निरीक्षण नहीं करते हैं। वे पीछे प्रशासनिक ब्लॉक से सीधे अपने कक्ष में जाकर वापस चले जाते हैं। इससे अस्पताल के ऐसे हालात बने हुए हैं। यदि समय-समय पर निरीक्षण करते रहें तो अस्पताल की व्यवस्थाएं काफी हद तक सुधर सकती हंै।
गंदगी से भरे टॉयलेट में जाना यानी संक्रमित होने का 100 फीसदी खतरा
सीनियर यूरोलॉजिस्ट डॉ.अशोक शर्मा के बताया कि गंदा टॉयलेट यूज करना बीमारी को न्योता देना है। खासकर महिलाएं इस संबंध में विशेष सावधानी रखें तो अच्छा होगा। गंदे टॉयलेट से संक्रमण फैलने का खतरा कई गुना अधिक होता है।
कचरे का समय पर नहीं होता निस्तारण
अस्पताल में ओपीडी के समय तक गंदगी और कचरे का निस्तारण नहीं होता है। जबकि अस्पताल खुलने से पहले साफ सफाई व्यवस्थाए हो जानी चाहिए लेकिन कई जगह के डस्टबीन कचरे से अटे नजर आते है। डस्टबिन में कई बार दिनभर कचरा भरा पड़ा रहता है। इससे मरीजों में संक्रमण का खतरा बना हुआ है। सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद वार्ड के बाहर कुत्ते घूमते नजर आए, जो कभी भी किसी को काट सकते हैं। सफाई के बड़े-बड़े दावे करने वाले एमबीएस हॉस्पिटल प्रशासन की अनदेखी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पर्याप्त सफाई कर्मी लगा रखे उसके बावजूद सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है।
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भी खराब स्थिति
शहर के सबसे बड़े सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में टॉयलेट के बूरे हाल है। आईसीयू वार्ड के पास बने टॉयलेट की बंद कर रखा जिससे महिला पुरुष एक की टॉयलेट इस्तेमाल कर रहे है। पुरुष के महिला टॉयलेट में जाने से महिलाएं अब सैंकड फ्लोर पर टॉयलेट के लिए जा रही है।
सेंट्रल लेब के टॉयलेट दे रहे यूरीन संक्रमण
एमबीएस अस्पताल के सेंट्रल लेब के टॉयलेट इतने गंदे है कि यहां यूरिन का सैंपल लेने के मरीज जाने से कतराते है। चहुंओर गंदगी और टूटे यूरीन टॉयलेट पाइप से चहुंओर यूरिन फैला रहता है। ऐसे में संक्रमण का खतरा बना रहता है। लोगों को यूरिन सैंपल के लिए बाहर जाकर सैंपल संग्रह करना पड़ता है।
दरवाजे तक नहीं
टॉयलेट से जुड़ी पुरानी ड्रेनेज और साफ-सफाई के अभाव में ऐसा कोई टॉयलेट नहीं है जिसके बाहर और अंदर गंदगी नहीं हों। एमबीएस में संभाग के चारों जिलों के साथ-साथ एमपी बार्डर के गांवों के मरीज भी बड़ी संख्या में आते हैं। करीब 150 सौ बेड वाले हॉस्पिटल में सबसे अधिक लेडीज वार्डों में टॉयलेट बने हुए हैं लेकिन उन्हें भी टॉयलेट की सुविधा नहीं मिल पाती है क्योंकि भीषण गंदगी के कारण संक्रमण का खतरा रहता है। कई बार अटेडेंट को टॉयलेट के लिए बाहर जाना पड़ता है। कई वार्डाे के टॉयलेट के दरवाजे टूटे हुए। कुछ की सीट टूटी है तो किसी का फ्लश टैंक टूटा है। कई जगह नल टोटियां ही गायब है।
इनका कहना
सफाई व्यवस्था सुधारने और बायोवेस्ट निस्तारण के लिए ठेकेदार को पूर्व मेंं भी नोटिस दिए थे। सफाई व्यवस्था नहीं सुधारने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी
-डॉ. दिनेश वर्मा, अधीक्षक, एमबीएस अस्पताल कोटा