नागौर. देशभर में पंचायती राज (Panchayati Raj) की नींव रखने वाले नागौर जिले के सरपंचों ने राजस्थान के पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा (Ramesh Meena) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. नागौर मुख्यालय के पशु प्रदर्शनी स्थल पर सोमवार को जिले की सभी 500 ग्राम पंचायतों के सरपंच मंत्री रमेश मीणा की कार्यशैली के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. नागौर जिला सरपंच संघ के आह्वान पर यह बड़ा प्रदर्शन किया जा रहा है. नागौर के सरपंचों ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो जयपुर में भी बड़ा प्रदर्शन किया जायेगा.
दरअसल पिछले दिनों नागौर दौरे पर आए मंत्री रमेश मीणा ने पंचायत राज विभाग के कार्यों को लेकर बैठक ली थी. इसके साथ ही मंत्री ने मनरेगा के तहत टांका निर्माण और तालाब के कार्यों का निरीक्षण किया था. मंत्री ने जिले के 14 ब्लॉक में बड़ी गड़बड़ी बताकर उनकी जांच शुरू करवा दी थी. अब अलग-अलग टीमें इस जांच में जुटी हुई है.
मंत्री पर द्वेष भावना से काम करने का आरोप
मंत्री ने दौरे से पहले भी यहां जांच के लिये टीमें भेजी थी. दो टीमों की पॉजिटिव रिपोर्टों पर भी मंत्री ने प्रश्न चिह्न खड़े कर दिए. ऐसे में अब इन कार्यों का करोड़ों का भुगतान अटकने की आशंका है. इसके कारण सरपंच लामबंद हो रहे हैं. सरपंचों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. सरपंचों का कहना है कि पिछले 16 माह से भुगतान अटका हुआ है. अब जब भुगतान देने की बारी आई तो मंत्री ने घोटाले का आरोप लगा कर जांच शुरू करवा दी है. सरपंचों का आरोप है कि मंत्री रमेश मीणा द्वेष भावना से यह काम करवा रहे हैं.
सरपंच बोले मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है
सरपंचों का कहना है की सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ग्राम पंचायत, ब्लॉक और जिला मुख्यालय पर निर्धारित प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद कार्यों की स्वीकृतियां जारी की जाती है. इसमें एसओपी की पालना होती है. श्रम और सामग्री के पेटे निर्धारित अनुपात में काम भी होता है. ऐसे में मंत्री की ओर से कार्यों को अनुपयोगी बताना सरपंचों को मानसिक रूप से परेशान करना है.
19 दिन में होने वाला भुगतान 16 माह बाद भी नहीं हुआ
नागौर जिला सरपंच संघ के सरंक्षक पुखराज काला, भागीरथ यादव, संघ के जिलाध्यक्ष और पालड़ी जोधा सरपंच जगदीश खोजा सहित सरपंचों का कहना है कि मनरेगा के श्रमिक का भुगतान 15 दिवस में और सामग्री पेटे का भुगतान 19 दिन में करने का प्रावधान है. लेकिन 16 माह बाद भी भुगतान नहीं किया जा रहा है. उल्टा सरपंचों को मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है.