राजस्थान

बाघिन सुल्ताना रेंजर और पर्यटकों के वाहनों के पीछा करने लगी

Shantanu Roy
25 Nov 2021 1:19 PM GMT
बाघिन सुल्ताना रेंजर और पर्यटकों के वाहनों के पीछा करने लगी
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रणथंभौर की बाघिन सुल्ताना खासी चर्चाओं में रहती है. बाघिन सुल्ताना यानि T-107 एक बार फिर बुधवार को गश्त कर रहे रेंजर और पर्यटक वाहन के पीछे लपकी.

जनता से रिश्ता। रणथंभौर की बाघिन सुल्ताना खासी चर्चाओं में रहती है. बाघिन सुल्ताना यानि T-107 एक बार फिर बुधवार को गश्त कर रहे रेंजर और पर्यटक वाहन के पीछे लपकी. इससे रेंजर और पर्यटक डर (tigress ran behind tourist) गए. घटना की जानकारी मिलते ही रणथंभौर के आला अधिकारियों ने सुरक्षा की दृष्टि से जोन 1 (Ranthambore National Park zone 1 closed) को आगामी आदेशों तक पर्यटन के लिए बंद कर दिया है.

रणथंभौर की बाघिन सुल्ताना जंगल से बाहर आने से लेकर बाघिन पिछले दिनों में चर्चा में रही. वहीं बाघिन लगभग तीन बार पर्यटकों के केंटर के पीछे भाग चुकी है. अक्सर जोन एक में देखी जाने वाली बाघिन सुल्ताना टी-107 नेशनल पार्क में बढ़ते मानवीय दखल से उग्र होने लगी है. यही कारण है कि पूर्व में जोन एक में पर्यटकों के केंटर के पीछे भी यह भाग चुकी है. इस बाघिन के व्यवहार के कारण जोन एक में पर्यटन पर भी रोक लगा दी गई थी. अब एक बार फिर जोन एक में पर्यटन पर रोक लगा दी गई है.
दस दिन पूर्व दुर्ग जाने वाले मार्ग पर बाघिन की चहलकदमी रणथंभौर नेशनल पार्क के मुख्य मार्ग पर बाघिन सुल्ताना ने पिछले शनिवार को अचानक अपनी मौजूदगी प्रकट कर सभी को हैरान कर दिया. शाम की पारी में जब पर्यटक वन भ्रमण के लिए जोन नंबर एक, दो, तीन, चार, पांच की ओर जा रहे थे, उस समय आड़ा बालाजी से सिंह द्वार गेट के बीच इंटरलॉकिंग सड़क मार्ग पर वाहनों की खासी रेलमपेल थी. तभी अचानक बाघिन झाड़ियों से निकलकर सड़क पर आ गई. वनकर्मियों ने दोनों तरफ के पर्यटक वाहनों को सुल्ताना से दूर कर उसके लिए एक मार्ग बनाया. जिससे बाघिन को किसी प्रकार का व्यवधान ना हो. उस समय बाघिन सुल्ताना अकेली थी, उसके शावक उसके साथ दिखाई नहीं दे रहे थे.

अभयारण्य का यह क्षेत्र पर्यटन जोन है. साथ ही रणथंभौर दुर्ग स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर (Trinetra Ganesh Temple Ranthambhore) में दर्शनार्थ जाने वाले श्रद्धालुओं द्वारा भी इसी मार्ग का उपयोग करते हैं. इस मार्ग पर पर्यटक वाहनों के अलावा निजी चौपहिया, बाइक और कुछ पैदल यात्री भी दुर्ग तक आते-जाते रहते हैं.


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