राजस्थान

‘बदनामी का ये प्रयास…नहीं सहेगा राजस्थान’ : सीएम गेहलोत

Shreya
2 Aug 2023 10:38 AM GMT
‘बदनामी का ये प्रयास…नहीं सहेगा राजस्थान’ : सीएम गेहलोत
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राजस्थान: 'नहीं सहेगा राजस्थान' अभियान के तहत बीजेपी ने मंगलवार को राजधानी जयपुर में बड़ा प्रदर्शन किया, जहां प्रदेश बीजेपी संगठन के नेता, सांसद और विधायक कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी कार्यालय में बैठक करने के बाद सचिवालय के लिए निकले. हालांकि, सचिवालय पहुंचने से पहले ही स्टेच्यू सर्किल पर पुलिस और बीजेपी कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए और पुलिस ने वॉटर कैनन चलाकर उन्हें वहां खदेड़ दिया. अब बीजेपी के इस विरोध पर सीएम अशोक गहलोत ने तीखा हमला बोला है. गहलोत ने कहा कि राजस्थान में महिलाओं की पूरी सुनवाई हो रही है और पुलिस अपराध के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है. सीएम ने कहा कि मणिपुर और बीजेपी शासित राज्यों की विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए ही केंद्र और राज्य के बीजेपी नेता राजस्थान को बदनाम करने के लिए झूठे आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बदनामी की इस कोशिश को राजस्थान बर्दाश्त नहीं करेगा और राजस्थानियों को गलत तरीके से बदनाम कर अपमानित करने की भाजपा की कुचेष्टा का समय आने पर प्रदेश की जनता जवाब देगी.

सीएम गहलोत ने गिनाए आंकड़े

गहलोत ने कहा कि भाजपा को सच्चाई कड़वी लगेगी क्योंकि एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक भाजपा शासित असम, दिल्ली, हरियाणा प्रति लाख जनसंख्या पर महिलाओं के खिलाफ अपराध, महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले में देश के शीर्ष 5 राज्यों में हैं। मध्य प्रदेश में बीजेपी का शासन है. उन्होंने कहा कि भाजपा शासित उत्तर प्रदेश हत्या, महिलाओं के खिलाफ अपराध और अपहरण के मामले में देश में सबसे आगे है, नाबालिगों से बलात्कार यानी पॉक्सो एक्ट के मामले में मध्य प्रदेश देश में पहले स्थान पर है, जबकि राजस्थान 12वें स्थान पर है. वहीं एनसीआरबी की रिपोर्ट में 2019 की तुलना में 2021 में राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ अपराध कम हुए हैं, जबकि बीजेपी शासित मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश में अपराध बढ़े हैं.

भाजपा कुकर्मों से ध्यान भटका रही है

वहीं, गहलोत ने आगे कहा कि मणिपुर में महिलाओं के साथ जिस तरह की घटनाएं हुई हैं और जोधपुर में रेप के मामलों में एबीवीपी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं पर आरोप लगे हैं, उसे पूरी दुनिया ने देखा है. गहलोत ने कहा कि राजस्थान में एफआईआर की अनिवार्यता की नीति के बावजूद 2019 की तुलना में 2021 में लगभग 5% कम अपराध दर्ज किए गए हैं जबकि एमपी, हरियाणा, गुजरात, उत्तराखंड सहित 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अधिक अपराध दर्ज किए गए हैं।

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