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राजस्थान के शहर फलोदी में तापमान सुबह के साथ बढ़ने लगता
राजस्थान के शहर फलोदी में तापमान सुबह के साथ बढ़ने लगता है और दोपहर के बाद बढ़ते-बढ़ते ये 40 डिग्री सेल्सियस या इससे ऊपर पहुंच जाता है. इन दिनों वैसे राजस्थान कई शहर धधकने लगे हैं. फलोदी इन शहरों में सबसे गर्म होने लगता है. कहा जाता है कि ये शहर मई-जून के समय देश के सबसे गरम इलाके में बदल जाता है. फलोदी (Phalodi) में गर्मी में पारा 51 तक चला जाता है.
जोधपुर जिले का ये छोटा सा शहर यकायक साल 2016 में सुर्खियों में आया, जब यहां का टेंपरेचर 51 डिग्री सेल्सियस तक मापा गया. इसके इतने गर्म होने के पीछे वजह ये है कि ये शहर थार रेगिस्तान से सटा हुआ है.
ये वही थार मरुस्थल है, जिसका 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा भारत में और बाकी हिस्सा पाकिस्तान में है. गर्मियों में बेहद गर्म और सर्दियों में काफी ठंडा रहने वाला फलोदी शहर बड़े शहरों से घिरा है, जैसे बीकानेर, जैसलमेर और नागौर.
प्राचीन शहर है फलोदी
माना जाता है कि ये शहर काफी प्राचीन है. साल 1230 में यहां का प्रसिद्ध कल्याण रावजी मंदिर बना था. वैसे शहर का निर्माण 14वीं सदी के अंत से माना जाता है, जब राजा हमीर सिंह ने यहां काफी सारे विकास कार्य करवाए, जैसे इमारतें, दुकानें और बावड़ियां बनवाना. यहां पर साल 1847 में बना जैन तीर्थ पारसनाथ मंदिर है, जहां उस दौर में भी बेल्जियम ग्लास का इस्तेमाल हुआ था.
औद्योगिक शहर है ये
साल 2011 के सेंसस के मुताबिक यहां की आबादी लगभग 49,766 है,जो यहां की इंडस्ट्रीज में काम करती है. बता दें कि पुराने दौर में काफी समृद्धि देख चुका ये शहर अब भी अपनी औद्योगिक समृद्धि के लिए जाना जाता है.
नमक का सबसे बड़ा सप्लायर शहर
फलोदी पूरे देश में नमक का सबसे बड़ा सप्लायर है. साथ ही यहां प्लास्टर ऑफ पेरिस का खूब काम होता है. हालांकि इन सबसे ऊपर एक और बात है, जो इस गर्म इलाके को नाम देती है. दरअसल यहां के खिंचान गांव में हर साल प्रवासी सारस पक्षी आते हैं.
प्रवासी पक्षी भी खूब आते हैं
साल 1970 में सारस का यहां आना शुरू हुआ. माना जाता है कि तब एक स्थानीय परिवार सारसों के झुंड को खाना खिलाया करता था. इसके बाद से हर साल सारस आने लगे. स्थानीय लोग भी बर्ड फीडिंग से जुड़ते चले गए और हर साल के साथ प्रवासी पक्षियों की संख्या बढ़ती चली गई.
हजारों सारस आते हैं हर साल
अब हर साल यहां अगस्त से लेकर अगले मार्च तक लगभग 20,000 सारस पक्षी आते हैं. माना जाता है कि Demoiselle crane के नाम से जाने जाने वाले ये पक्षी साइबेरिया, चीन के एक हिस्से और मंगोलिया से भी आते हैं. स्थानीय बोली में इन्हें कुरजां कहा जाता है. पक्षियों को खाना खिलाने के लिए यहां के लोगों ने एक चुग्गा घर बना रखा है, जहां रोज डेढ़ घंटे के आसपास सारस खाना खाते हैं. इन्हें ही देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. यहां तक कि विदेशी सैलानी भी इसे देखने के लिए आते हैं.
चुरू भी होता है खासा गर्म
वैसे राजस्थान का चुरू भी कुछ कम गर्म नहीं. इसे साल 2019 में दुनिया के 15 सबसे गर्म क्षेत्रों की सूची में जगह मिली. तब यहां का टेंपरेचर 50.3 डिग्री सेल्सियस था. दिन के 9 बजे भी यहां तापमान 45 से ऊपर चला जाता है. वैसे हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान का भी इस लिस्ट में नाम है. यहां का जकोबाबाद शहर दुनिया के गर्म इलाकों में सबसे ऊपर है.
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