उदयपुर की सीट पर होगी कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर
उदयपुर: विधानसभा चुनाव में बीजेपी का गढ़ कहे जाने वाले उदयपुर में लोकसभा चुनाव में हालात थोड़े अलग रहे हैं. यहां अब तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को भारी जीत मिली है। उदयपुर लोकसभा सीट पर अब तक 10 बार कांग्रेस और पांच बार बीजेपी के सांसद चुने गए हैं. जनसंघ और जनता पार्टी को एक-एक बार मौका मिला. भले ही इन दोनों को बीजेपी का पूर्व स्वरूप माना जाए, लेकिन अब तक हुए तीन बार के चुनावों में कांग्रेस बीजेपी से आगे रही है. सबसे लंबे कार्यकाल की बात करें तो उदयपुर सीट से कांग्रेस की गिरिजा व्यास तीन बार सांसद रह चुकी हैं, जबकि धूलेश्वर मीना और अर्जुन लाल मीना दो-दो बार इस सीट से जीत हासिल करने में कामयाब रहे. धूलेश्वर मीना राज्यसभा सांसद भी थे. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया और उनकी पत्नी इंदुबाला सुखाड़िया को भी यहां से एक बार सांसद बनने का मौका मिला. मोहन लाल सुखाड़िया 1954 से 1971 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री भी रहे।
लालजी भाई ने जनसंघ का और कटारिया ने बीजेपी का खाता खोला: 1971 में लालजी भाई मीना पहली बार उदयपुर सीट से गैर-कांग्रेसी सांसद चुने गये। उन्होंने जनसंघ से चुनाव लड़कर यह सीट जीती थी. इसके बाद 1977 में जनसंघ समर्थित भानु कुमार शास्त्री यहां से सांसद चुने गये. शास्त्री जनसंघ की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष भी थे। वहीं 1989 में गुलाब चंद कटारिया उदयपुर सीट से बीजेपी के पहले सांसद चुने गए.
चुनाव सांसद पार्टी:
1952 बलवंत सिंह मेहता कांग्रेस
1957 दीनबंधु परमार कांग्रेस
1962 धूलेश्वर मीना कांग्रेस
1967 धूलेश्वर मीना कांग्रेस
1971 लालजी भाई मीना जनसंघ
1977 भानु कुमार शास्त्री जनता पार्टी
1980 मोहनलाल सुखाड़िया कांग्रेस
1984 इंदुबाला सुखाड़िया कांग्रेस
1989 गुलाब चंद कटारिया भाजपा
1991 गिरिजा व्यास कांग्रेस
1996 गिरिजा व्यास कांग्रेस
1998 शांतिलाल चपलोत भाजपा
1999 गिरिजा व्यास कांग्रेस
2004 किरण माहेश्वरी भाजपा
2009 रघुवीर मीना कांग्रेस
2014 अर्जुन लाल मीना भाजपा
2019 अर्जुन लाल मीना भाजपा