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डूंगरपुर: नगरपरिषद डूंगरपुर की साधारण सभा की बैठक सभापति अमृतलाल कलासुआ की अध्यक्षता में नगरपरिषद सभागार में आयोजित हुई. बैठक में डूंगरपुर शहर में 1 जुलाई से पॉलिथिन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने, इसके बाद भी पॉलिथीन में सामान देने वाले व्यापारी हों या ठेले वाले पर सख्ती से कार्रवाई करने सहित शहर के विकास को लेकर कई मुद्दों पर सहमति बनने के साथ उन पर मुहर लगाईं गई है. डूंगरपुर नगर परिषद सभापति अमृत कलासुआ ने बोर्ड बैठक की शुरुआत करते हुए 8 मुद्दे सदन में रखे गए. आयुक्त नरपतसिंह राजपुरोहित ने सभी सदस्यों से अपने विचार रखने के लिए कहा. जिस पर सभी सदस्यों ने अपने-अपने विचार रखे.
सभापति ने शहर के राजपुर तालाब पर महिलाओं के नहाने धोने के लिए स्नान घाट बनाने का प्रस्ताव रखा. इस पर सभी ने सहमति जताई, लेकिन पार्षदों ने कहा की शहर में दूसरे कई तालाब भी हैं, जिनके संरक्षण और सौंदर्यीकरण की जरुरत है. पातेला तालाब को गहरा करने ओर घाट बनाने की मांग रखी. सभापति ने शहरी नरेगा योजना में इस काम को पूरा करवाने की बात कही.
सभापति ने नगर परिषद के पुराने भवन और मुख्य मार्ग की तरफ बनी दुकानों के पुनर्निर्माण का प्रस्ताव रखा. सभापति ने सड़क को चौड़ा करते हुए नया भवन 5 फीट पीछे बनाने की बात कही. सभापति ने पुराने रियल दुकानदारों को ही नई दुकानें देने की भी बात कही. वहीं, किराए में बढ़ोतरी का निर्णय कमेटी द्वारा लिए जाने का निर्णय लिया गया. इधर बैठक में गेपसागर झील में एमडब्ल्यूटी की अधिसूचना प्रत्याहरित करने, नया अस्पताल के सामने शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के ऊपर रूफ टॉप फूड कोर्ट बनाने, पर्यटन को बढ़ावा देने एक्वेरियम बनाने , नगर परिषद क्षेत्र में मकानों पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने 8 हजार रुपए के अनुदान पर भी सभी ने सहमति जताई गई.
बैठक में सभापति अमृत कलासुआ ने कहा की 1 जुलाई से डूंगरपुर में पॉलिथीन पर पूरी तरह से पाबंदी कर दी जाएगी. इसके बाद भी पॉलिथीन में सामान देने वालो पर सख्ती रहेगी. पार्षद मोहनलाल जैन ने व्यापारियों के बैठक कर जागरूक करने के लिए कहा. साथ ही सभापति ने सभी पार्षदों से भी इसमें सहयोग करने के लिए कहा. इधर बैठक में डूंगरपुर सहकारी थोक भंडार के गोदाम और कल्याणी संस्थान की ओर से जमीन मांगने के प्रस्ताव रखा.
पार्षद मनशंकर ने किसी भी संस्थान को जमीन देने पर दूसरे संस्थानों की ओर से भी जमीन की मांग करने का मुद्दा उठाया. सभापति ने सेवा के कार्य में जुटे संस्थान को जमीन देने में किसी तरह की आपत्ति नहीं होने का सुझाव दिया, जिस पर दूसरे पार्षदों ने सहमति जताई.
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