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अजमेर : जिले में बाल विवाह की रोकथाम के लिए कार्य योजना बनाकर व्यापक स्तर पर कार्य किया जाएगा। अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट श्री गजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार बाल विवाह अपराध है। जिला प्रशासन द्वारा बाल विवाह जैसी कुप्रथा की रोकथाम के लिए अक्षय तृतीया (आखातीज) पीपल पूर्णिमा जैसे पर्वो पर विशेष ध्यान दिया जाता है। बाल विवाह की रोकथाम के लिए निरन्तर निगरानी रख क्षेत्र में बाल विवाह नहीं होना सुनिश्चित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम के लिए ग्राम एवं तहसील स्तर पर पदस्थापित विभिन्न विभागों के कर्मचारियों, अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों (वृताधिकारियों, थानाधिकारियों, पटवारियों, भू-अभिलेख निरीक्षकों, ग्राम पंचायत सदस्यों, ग्राम सेवकों, कृषि पर्यवेक्षकों, महिला एवं बाल विकास के परियोजना अधिकारियों, पर्यवेक्षकों, आंगनबाडी कार्यकत्र्ताओं, महिला सुरक्षा सखी, शिक्षकों, नगर निकाय के कर्मचारियों, जिला परिषद एवं पंचायत समिति सदस्यों, सरपंचों तथा वार्ड पंचो) के माध्यम से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों का व्यापक प्रचार प्रसार कर, आम जन को जानकारी कराते हुए जनजाग्रति उत्पन्न कर, बाल विवाह रोके जाने के लिए कार्यवाही की जाएगी।
उन्होंने बताया कि बाल विवाह रोकने के लिए समाज की मानसिकता एवं सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाना आवश्यक है इस सन्दर्भ में बाल विवाह की रोकथाम के लिए जन सहभागिता एवं चेतना जाग्रत करने के लिए कार्य योजना बनाकर कार्य किया जाना आवश्यक है। जिला एवं ब्लॉक स्तर पर गठित विभिन्न सहायता समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाडी कार्यकर्ता, महिला सुरक्षा सखी, साथिन सहयोगिनी के कोर ग्रुप को सक्रिय किया गया है। ऎसे व्यक्ति एवं समुदाय जो विवाह सम्पन्न कराने में सहयोगी होते है यथा हलवाई, बैण्ड बाजा, पण्डित, बाराती, टेण्ट वाले, ट्रांसपोर्टर इत्यादि से बाल विवाह में सहयोग नहीं करने का आश्वसन लेकर उन्हें कानून की जानकारी दी जा रही है। जन प्रतिनिधियों व प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ चेतना बैठकों का आयोजन किया जाएगा। ग्राम सभााओं में सामुहिक रूप से बाल विवाह के दुष्प्रभावों की चर्चा कर रोकथाम की कार्यवाही की जाएगी।
उन्होंने बताया कि बाल विवाह रोकथाम के लिए किशोरियों, महिला समूहों, स्वयं सहायता समूहों व विभिन्न बाल विवाह रोकथाम के लिए किशोरियों, महिला समूहों, समाज कल्याण, शिक्षा विभाग इत्यादि के साथ समन्वय बैठक आयोजित की जाएगी। इनके कार्मिकों को बाल विवाह होने पर निकट के पुलिस स्टेशन में सूचना देने के लिए पाबन्द किया गया है। विवाह के लिए छपने वाले निमन्त्रण पत्र में वर वधु के आयु का प्रमाण प्रिन्टिंग प्रेस वालों के पास रहे। निमन्त्रण पत्र पर वर-वधु की जन्म तारीख प्रिन्ट किए जाने पर बल दिया जाए। अक्षय तृतीया, पीपल पूर्णिमा जैसे अबूझ सावों पर जिला एवं उप खण्ड कार्यालयों में नियन्त्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे। ये नियन्त्रण कक्ष 24 घण्टे क्रियाशील रहेंगे। नियन्त्रण कक्ष का दूरभाष नम्बर सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए 181 कॉल सेन्टर पर तथा पुलिस नियन्त्रण कक्ष के 100 नम्बर पर कॉल कर कभी भी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है। विद्यालयों में बाल विवाह के दुष्परिणामों व इससे सम्बन्धित विधिक प्रावधानों की जानकारी दिए जाने के लिए सभी स्कूलों को निर्देशित किया गया है। सामूहिक चर्चा से मिली जानकारी के आधार पर गांव एवं मौहल्लों के उन परिवारों में जहां बाल विवाह होने की आशंका हो समन्वित रूप से समझाया जाएगा। यदि आवश्यक हो तो कानून द्वारा बाल विवाह को रोका जाएगा।
उन्होंने बताया कि पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारी बाल विवाहों की रोकथाम के सम्बन्ध में अपने-अपने क्षेत्रों में समुचित कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे। सूचना प्राप्त होने पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत कानूनी कार्यवाही की जाएगी। बाल विवाहों के आयोजन किए जाने की स्थिति में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा-6 की उप धारा 16 के तहत नियुक्त बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों (उप खण्ड मजिस्ट्रेट) की जवाबदेही नियत की गई है।
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Tara Tandi
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