जयपुर: देश भर में इन दिनों सन टूरिज्म का अत्यधिक प्रचलन में है। राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है। मैदानी इलाके से पहाड़ी इलाकों उगते सूरज और डूबते सूरज को देखना ही सन टूरिज्म कहलाता है। इन दिनों भारत में यह बेहद लोकप्रिय हो रहा है। राजस्थान के परिपेक्ष्य में हम बात करें तो यहां एक मात्र हिल स्टेशन है माउन्ट आबू, जहां पर खास तौर पर सनसैट पाइंट है और पर्यटक वहां विशेष तौर पर जाते हैं।
पर्यटन विभाग के उप निदेशक दलीप सिंह राठौड़ के अनुसार इन दिनों देश में विदेशी पर्यटकों के अतिरिक्त घरेलु पर्यटकों का रुझान भी सन टूरिज्म की ओर बढ़ रहा है। दलीप सिंह राठौड़ के अनुसार राजस्थान में सन टूरिज्म का स्थापित केंद्र तो माउन्ट आबू है लेकिन राजस्थान में पहाड़ियों पर बने गढ़ और किले भी सन टूरिज्म को बढ़वा दे रहे हैं। उप निदेशक राठौड़ का कहना है कि 2013 में आई रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण की फिल्म ये जवानी है दीवानी का वो सीन याद कीजिए जिसमें में दीपिका पादुकोण चित्तौड़गढ़ किले से सन सैट देख रही हैं और रणबीर कपूर, कहते हैं कि चलो जल्दी यहां से ..... तो दीपिका का डॉयलॉग अगर मैं चली गई तो यह सॉलिड सनसैट मिस हो जाएगा...।
दलीप सिंह के अनुसार फिल्म का यह दृश्य भी घरेलू पर्यटकों में सन टूरिज्म को बढ़ावा देने में सहायक साबित हुआ क्योंकि यंग जेनरेशन फिल्मी हस्तियों को फॉलो करते हैं। राठौड़ ने यह भी कहा कि राजस्थान, इन दिनों वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में भी ख्याति पा रहा है ऐसे में सन टूरिज्म, प्री वेडिंग शूट का भी हिस्सा बन चुका है। पर्यटन विभाग के उपनिदेशक दलीप सिंह के अनुसार राजस्थान में हर जिले में एक सन सैट पाइंट जरूर है क्योंकि यहां हर जिले में किले, गढ़, और गढ़ी आदि हैं। सिंह के अनुसार माउन्ट आबू में सन सैट पाइंट, जयपुर में नाहर गढ़, उदयपुर, कुम्भल गढ़, सवाईमाधोपुर आदि यहां तक कि जैसलमेर और बाड़मेर में भी सन टूरिज्म का हिस्सा हैं। दलीप सिंह के अनुसार जैसलमेर के सुनहरी धोरों से सूर्यास्त और सूर्योदय के नजारे देखना सैलानियों को अलौकिक अनुभव प्रदान करता है।
गौरतलब है कि राजस्थान पर्यटन विभाग इन दिनों नए-नए पर्यटन क्षेत्रों को चिन्हित कर उनके विकास में जुटा है जिससे विदेशी और घरेलु पर्यटकों प्रदेश की ओर अधिक से अधिक आकर्षित हो।
पर्यटन विशेषज्ञ और टूरिस्ट गाइड महेंद्र सिंह राठौड़ भी सन टूरिज्म को लेकर कुछ ऐसी ही राय रखते हैं। उनका कहना है कि राजस्थान की खासियत यही है कि यहां पर शानदार किले और हवेलियां हैं, जो कि हैरिटेज टूरिज्म के साथ सन टूरिज्म को भी प्रमोट करते हैं क्योंकि राजस्थान के प्राचीन काल में शाही परिवार या राजा यहां तक प्रजा व सभी लोग सवेरे सूर्य की उपासना करते थे और यही कारण है कि हर किले में एक खास स्थान ऐसा है जहां से सूर्य को उगते हुए और डूबते देखा जा सकता है। विख्यात आमेर महल के पूर्वी दिशा की दीवार पर सूर्य दर्शन के लिए विशेष स्थान अंकित है।
पर्यटन विशेषज्ञ व टूअर प्लानर देवी पाल सिंह भी सन टूरिज्म को लेकर उत्साहित हैं, उनका कहना है कि सन टूरिज्म का क्रेज हिल स्टेशन तक ही सीमित नहीं है। डेरा अश्व के देवीपाल सिंह के अनुसार उनके टूरिज्म प्लान में हॉर्स सफारी एक विशेष आकर्षण का केंद्र रहती है, जिसके तहत सैलानियों को भोर में ही हॉर्स सफारी के लिए तैयार किया जाता है और रेतीले धोरों के बीच घोड़ों पर बैठकर सूरज को उगते देखना सैलानियों को रोमांचित कर देता है।