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नागौर। नागौर शहर का जड़ा तालाब एक ऐतिहासिक तालाब है। यह तालाब नागौर का एक समय पेय स्त्रोत था। शहरवासी यहां से पीने का पानी भर घर ले जाते थे और पीने के काम लेते थे। वर्तमान समय में यह तालाब गंदा हो चुका है। कई साल से लोग यहां के पानी का इस्तेमाल नहीं करते। इस तालाब में रहने वाली मछलियों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण अब मरने लगी हैं। नागौर का जड़ा तालाब एक समय साफ सुथरे पानी के लिए जाना जाता था। यह तालाब राजा महाराजा के समय पानी पीने के लिए बनाया गया था।
ताकि लोगों को पानी मिल सके। लेकिन यह तालाब पिछले कई दशकों से पूरी तरीके से गंदा हो चुका है। इस कारण इस तालाब में रहने वाले जलीय जीव को सांस लने में परेशानी हो रही है। नगर परिषद की ओर से कुछ महीने पहले इसकी साफ-सफाई करवाई गई थी। लेकिन रख-रखाव और साफ-सफाई पर निरंतर ध्यान नहीं देने से तालाब फिर से गंदा हो चुका है और इसमें रहने वाली मछलियां मरने लगी है।
तालाब में मछलियों के दाना और आटा डालने आने वाले लोगों का कहना है कि पिछले कुछ समय से तालाब की साफ सफाई नहीं हुई है इस कारण मछलियां मरने लगी हैं। तालाब के किनारों पर सैकड़ों मछलियां मरी हुई पड़ी हैं। मछलियां मरने का एक कारण साफ है कि कई समय से तालाब की सफाई नहीं हुई है। जिसके कारण पानी में मछलियों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। जड़ा तालाब की रखवाली के लिए भी यहां कोई चौकीदार नहीं है। ऐसे में यहां दिन और रात तक असामाजिक प्रवृत्ति के युवक बैठे रहते हैं। दिन में नशे की प्रवृत्ति वाले युवक भी यहां पहुंच जाते हैं। उत्पात मचाते हैं और गंदगी फैलाते हैं। गंदगी जब तालाब में पहुंचती है तो वहां रहने वाली मछलियों को सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
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