राजस्थान

दीपावली से पहले नहीं मुआवजे की आस, विभागीय सुस्ती से फसल खराबे के आकलन हो रही देरी

Admin4
13 Oct 2022 12:28 PM GMT
दीपावली से पहले नहीं मुआवजे की आस, विभागीय सुस्ती से फसल खराबे के आकलन हो रही देरी
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जयपुर- बेमौसम बरसात के कारण तबाह हुई फसल के मुआवजे के लिए किसानों को दीपावली से पहले कोई राहत मिलने की आस दिखाई नहीं पड़ रही है। जिलों की ओर से गिरदावरी में लग रहा समय और कृषि विभाग की सुस्ती के चलते किसानों को क्लेम राशि मिलने में देरी होना तय है। कृषि विभाग की ओर से अभी तक 20 हजार ही फसल खराबे के सर्वे किए गए हैं।

कृषि विभाग के अनुसार सरकार की गिरदावरी रिपोर्ट के बाद ही बीमा क्लेम के बारे में कार्रवाई की जा सकेगी। दूसरी ओर, सरकार के आदेश के बाद कई जिलों में तो अभी भी खराबे के लिए जिला कलेक्टर की ओर से आदेश ही दिए जा रहे हैं। सवाई माधोपुर जिले में बुधवार को जिला कलेक्टर ने तहसीलदार और कृषि अधिकारियों को फील्ड में जाकर ऑफ लाइन सर्वे भी करने के लिए कहा है। उधर, चित्तौड़गढ़ में भी कलेक्टर ने मीटिंग कर तहसीलदार को जिले में गिरदावरी करने के आदेश दिए है। बूंदी में यह शुरू हो चुका है। भरतपुर, धौलपुर में भी अधिकारी फील्ड में जाकर सर्वे कार्य में जुटे हैं। सामान्य रूप से गिरदावरी होने के बाद रिपोर्ट बनाने में 7 से 10 दिन लगेंगे।

आनलाइन बीमा कंपनी को लगातार शिकायत

बरसात से मक्का, मूंग, सोयाबीन, बाजरा और मूंगफली की फसल के सबसे अधिक नुकसान हुआ। किसान इसकी सूचना बीमा कंपनी के क्रोप इंश्योरेंस एप के माध्यम से लगातार कर रहे हैं। पिछले दो दिनों में लगभग 1 लाख बीमा क्लेम के लिए शिकायतें और दर्ज करवाई गई है। इसके साथ ही अब तक लगभग 6 लाख से अधिक खराबे की सूचना दी दी गई है।

हाड़ौती में सबसे अधिक खराबा

कृषि विभाग की ओर से बताया गया कि बेमौसम बरसात के कारण हाड़ौती क्षेत्र में सबसे अधिक फसल खराबा हुआ है। सबसे अधिक नुकसान झालावाड़ के किसानों को हुआ है। झालावाड़ से बहुत अधिक संख्या में किसानों ने बीमा क्लेम किया है। हाड़ौती क्षेत्र में मुख्य रूप से सोयाबीन की फसल को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। कृषि विभाग के अनुसार फसल खराबे के 72 घंटे के अन्दर अन्दर इसकी सूचना एप पर ऑनलाइन या ऑफ लाइन दर्ज करवाई जानी चाहिए। इससे उन्हें जल्द से

विभाग का प्रयास है कि जल्द से जल्द किसानों को राहत मिले। किसानों से अपील है कि वे फसल खराबे की स्थिति के 72 घंटों के अंदर-अंदर आनलाइन या ऑफलाइन विभाग के ऐप पर सूचना दर्ज करवाएं। इससे उन्हें समय पर मुआवजा देने की प्रक्रिया अपनाई जा सके।

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