राजस्थान
30 फीट से नीचे गिरा था युवक, इलाज के लिए बिक गया घर, ढाई साल से बिस्तर पर
Ashwandewangan
17 July 2023 2:44 AM GMT
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30 फीट से नीचे गिरा था युवक
नागौर। नागौर 28 साल का रहमान प्लम्बर का काम करता था। ढाई साल पहले एक हादसे में वह 30 फीट की ऊंचाई से गिरा। शरीर के आधे हिस्से का मूवमेंट बंद हो गया। माता-पिता की इकलौती संतान था। इलाज में मकान बिक गया तो माता-पिता ने किनारा कर लिया। अब बेबस और लाचार रहमान ढाई साल से बेड पर है। हालात ये हैं कि दवा और राशन का प्रबंध भी रिश्तेदार और गांव वाले कर रहे हैं। मामला नागौर के खींवसर का है। इमरान अपनी पत्नी और 3 बच्चों के साथ खींवसर में किराए के कमरे में रहता है। पुश्तैनी मकान पांचौड़ी (नागौर) में है। रहमान ने बताया कि गुजारा चलाना मुश्किल हो गया है।
रहमान की पत्नी अल्का ढाई साल से उसकी सेवा कर रही है। वह खुद गुर्दे में पथरी की बीमारी से पीड़ित है। रहमान ने बताया- खींवसर में मैं पलम्बर का काम करता था। 2021 में एक साइट पर काम कर रहा था। अचानक पैर फिसला और 30 फीट की ऊंचाई से फर्श पर आ गिरा। जोधपुर के एक निजी हॉस्पिटल में 6 महीने तक इलाज चला। सिर में चोट लगने से शरीर का निचला हिस्सा सुन्न सिर में गहरी चोट के कारण शरीर के निचले हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। तब से चारपाई पर हूं। रहमान ने बताया- जोधपुर में प्राइवेट हॉस्पिटल में रोजाना का खर्च हजारों रुपए आने लगा। एक रिश्तेदार ने पापा रमजान और मां जैतून से कहा कि मकान बेच दो। 27 लाख में मकान का सौदा हो गया। रिश्तेदार ने कुछ रकम अपने पास रख ली और कुछ माता-पिता को दे दी।
पैसा हाथ में आने के बाद भी माता-पिता ने एक रुपया भी इलाज पर खर्च नहीं किया। कुछ रिश्तेदारों ने मदद की। एक दूसरे को कहकर रिश्तेदार जितना कर सकते थे, उतना किया। किसी तरह इलाज हुआ तो अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। रहमान ने बताया कि इलाज में लाखों रुपए लगे। डॉक्टरों ने कहा कि घर ले जाओ, जब ठीक होना होगा तब होगा। हादसे को ढाई साल बीत चुके हैं। शरीर का निचला हिस्सा काम नहीं करता। दोनों पैर हिल-डुल नहीं पाते। दवा ले रहा हूं। पता नहीं अपने पैरों पर कब खड़ा हो पाऊंगा। रहमान खींवसर के इस मकान में किराए पर रहता है। रहमान ने बताया कि अस्पताल से छुट्टी होने के बाद घर पहुंचा। कुछ ही दिन घर में रहा। इसके बाद माता-पिता ने घर से निकाल दिया। अब माता-पिता अपने पुश्तैनी गांव पांचौड़ी में रहते हैं। रहमान किराए के एक कमरे में खींवसर में रह रहा है।
तीन छोटे-छोटे बच्चे, पत्नी भी बीमार रहमान के तीन बेटे हैं। बड़ा 9 साल का तो सबसे छोटा ढाई साल का है। पिता के बीमार होने के बाद बच्चों का स्कूल छूट गया। तीनों बेटे घर ही रहते हैं। रहमान ने कहा कि स्कूल की फीस के पैसे कहां से दें। बच्चों का स्कूल छुड़वा दिया। हर महीने दवा का खर्च 10 से 20 हजार है। दवा पर पैसा खर्च करें तो घर में खाने को भी चाहिए। कहां से रुपए का इंतजाम हो। रहमान की पत्नी अल्का भी बीमार रहती है। फिर भी बीमार पति की सेवा कर रही है और बच्चों का पालन-पोषण कर रही है। रहमान ने बताया- मैं जब 14 साल का था तो पिता रमजान अचानक बीमार गए थे। मुझे काम करना पड़ा। घर की पूरी जिम्मेदारी मुझ पर आ गई थी। मैं हैल्पर के तौर पर काम करने लगा था। उस समय रोज के 35 रुपए कमाता था जिससे घर चलता था। अब खुद चारपाई पर हूं। माता पिता ने मदद करना तो दूर, घर से भी जुदा कर दिया।
Ashwandewangan
प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।
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