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झालावाड़। एसआरजी अस्पताल झालावाड़ के डॉक्टरों की टीम ने चिरंजीवी योजना के तहत किशोरी के गले में दुर्लभ गांठ का नि:शुल्क जटिल ऑपरेशन किया है. टीम ने 4 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद 300 ग्राम की गांठ निकाली। रविवार को टीम के सदस्यों ने उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। वह पूरी तरह स्वस्थ हैं।
झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के कान, नाक, गला विभाग में पंवासा निवासी श्यामलाल की 17 वर्षीय किशोरी टीना पुत्री को सांस लेने में तकलीफ होने पर चिकित्सकों को दिखाया गया था. जांच के लिए डॉक्टर की सलाह पर जांच में उनके गले में एक बड़ी दुर्लभ गांठ पाई गई, जो मस्तिष्क के निचले हिस्से से गले तक फैली हुई थी। इस पर टीम ने इसके इलाज के लिए मरीज के दो ऑपरेशन किए। इसमें पहले गले में सांस लेने के लिए दूसरा कृत्रिम तरीका तैयार किया गया और 1 हफ्ते बाद करीब 300 ग्राम की गांठ को निकालने के लिए गले का जटिल ऑपरेशन किया गया। विभागाध्यक्ष व वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. अरुण पटेल व एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राकेश वर्मा के नेतृत्व में ऑपरेशन किया गया. सर्जन टीम में डॉ. जितेंद्र नागर, डॉ. घनश्याम, डॉ. कपिल देवड़ा, डॉ. संदीप और डॉ. हेमेंद्र ने सहयोग किया।
इस दौरान एनेस्थीसिया विशेषज्ञों की टीम का नेतृत्व डॉ. सुधीर कर रहे थे। कुल 4 घंटे तक चले इस जटिल ऑपरेशन में मरीज के दिमाग और गले से निकलने वाली अहम नसों को बचाने की चुनौती थी. झालावाड़ जिले में इस तरह का यह पहला ऑपरेशन था। अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता के कारण भविष्य में भी इस तरह के अन्य ऑपरेशन आसानी से नि:शुल्क किए जा सकेंगे। आमतौर पर इस तरह के ऑपरेशन में 3 से 4 लाख रुपए तक का खर्च आता है, लेकिन चिरंजीवी योजना में यह ऑपरेशन फ्री में किया गया है।
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