राजस्थान

बजरी बेचने वाले ने 6 करोड़ के लोन उठाए, किया लाखों का फर्जीवाड़ा

Shantanu Roy
7 July 2022 11:54 AM GMT
बजरी बेचने वाले ने 6 करोड़ के लोन उठाए, किया लाखों का फर्जीवाड़ा
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अलवर। अलवर में रोड़ी-बजरी बेचने का काम करने वाले एक शातिर ने कई लोगों के प्लॉट, मकान व फ्लैट के फर्जी कागज तैयार कर करीब 6 करोड़ रुपए के फर्जी लोन उठा लिए। आर्मी के कर्नल से लेकर खुद के भाई तक को ठग लिया। इस फर्जीवाड़े में यूआईटी, बैंक व रजिस्ट्रार कार्यालय के कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं। तभी आरोपी UIT (नगर विकास प्राधिकरण) से असली डॉक्यूमेंट देखकर नकली तैयार करता था। फिर प्लॉटधाारी के नाम से फर्जी राशन कार्ड व पैन कार्ड बनवाता।

उस आधार पर बैंक में फर्जी खाता खुलवाता। प्रॉपर्टी के फर्जी कागजों को रजिस्टर्ड भी खुद कर लेता। फिर इन जाली दस्तावेजों से कभी लोन उठा लेता। आरोपी ने फर्जी दस्तावेज बनाकर प्लॉट व फ्लैट का सौदा तक कर दिया। शातिर आरोपी इंद्रजीत अलवर के कोटकासिम के खेड़ा पालपुर का रहने वाला है। इंद्रजीत गुर्जर को पुलिस ने गिरफ्तार कर दिया है। कोतवाली SHO महेश शर्मा ने हेड कांस्टेबल रोहिताश से गहनता से पड़ताल कराई तो फर्जीवाड़े की कई परतें खुलीं। इंद्रजीत ने 200 रुपए में फर्जी राशन कार्ड व पैन कार्ड बनवाए थे। DSO ने जांच की तो राशन कार्ड फर्जी मिला।

कर्नल राणा के प्लॉट पर 25 लाख का लोन
साल 2006 में ईटाराणा आर्मी कैंट अलवर में कर्नल राणा की ड्यूटी थी। जिन्होंने यूआईटी से ऑक्शन में अम्बेडकर नगर स्कीम में पत्नी के नाम से के-30 प्लॉट खरीदा था। बाद में कर्नल राणा का ट्रांसफर हो गया। अब असम में ड्यूटी है। 2020 में कर्नल राणा ने प्लॉट बेच भी दिया। जिसने प्लॉट खरीदा उसने मकान भी बना लिया।
साल 2022 में इंडियन बैंक ने मकान पर नोटिस चिपका दिया। ये नोटिस लोन बकाया होने का था। पता लगा कि राणा ने किसी इंद्रजीत को प्लॉट बेचा ही नहीं तो लोन की रिकवरी कैसे होने लगी। फिर बैंक में कागज देखे तो पता लगा कि राणा की पत्नी के नाम पैन कार्ड, राशन कार्ड फर्जी बना रखे थे। उनके आधार पर बैंक में खाता खुलवाया गया। उन जाली दस्तावेजों से इंद्रजीत ने उस प्लॉट को खरीद लिया व बकायदा रजिस्ट्रर्ड कराया। इन जाली दस्तावेजों से इंद्रजीत ने लोन उठा लिया। अब 17 जून 2022 को मुकदमा दर्ज कराया गया है। इसके बाद पुलिस इंद्रजीत के कई मामलों तक पहुंची। इंद्रजीत ने राहुल चौधरी के नाम से भी खुद के दस्तावेज बना रखे हैं।
भाई के प्लॉट से 50 लाख, भाभी के नाम से 48 लाख
इंद्रजीत का सगा भाई कृष्ण गुर्जर है। जिसके नाम भी अम्बेडकर नगर में प्लॉट था। इंद्रजीत ने अपने भाई के नाम से भी सब फर्जी कागज बना लिए। बैंक में खाता खुलवा लिया। फिर यूआईटी से सब कागज निकलवा लिए। उन कागजों के आधार पर खुद मालिक बन गया। फिर बैंक ऑफ महाराष्ट्र से 50 लाख रुपए का लोन ले लिया। भाई कृष्ण की पत्नी के नाम से 48 लाख रुपए का लोन उठाया। भाई की शिकायत पर बाद में बैंक ने मुकदमा दर्ज कराया।
प्लाटॅ जे-61 से 50 लाख उठाए
अम्बेडकर नगर में ही जे-61 नंबर मकान मालिक के यहां इंद्रजीत का आना-जाना था। उस मकान के असली कागजों की फोटो लेकर नकली तैयार कर लिए। इस मकान पर 50 लाख रुपए का लोन उठाया। जब बैंक से रिकवरी होने लगी तक मालिक को पता लगा।
1.48 करोड़ रुपए की एफआईआर
1 करोड़ 48 लाख रुपए के फर्जी लोन उठाने के मामले में अलवर के यूनियन बैंक ने इंद्रजीत के खिलाफ तीन एफआईआर में चालान पेश कर दिया है।
बिल्डर अजय शर्मा भी जेल में
असल में करीब 10 साल पहले इंद्रजीत गुर्जर बिल्डर अजय शर्मा के संपर्क में आया था। उसके प्रोजेक्ट पर रोड़ी-बजरी सप्लाई करने लगा था। बिल्डर नोएडा का रहने वाला है। जिसकी पत्नी अलवर के जीडी कॉलेज में लेक्चरर है। बिल्डर अलवर में प्रोजेक्ट पर काम करने लगा। जब अजय शर्मा नोएडा चला जाता।
तब पीछे से इंद्रजीत कामकाज संभालता। इस दौरान इंद्रजीत ने फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया। कई फ्लैट एक से अधिक मालिकों को बेच दिए। सबसे अलग-अलग खातों में रकम ले ली। फर्जीवाड़े कर फ्लैट के नकली कागज बना लिए। उन पर लोन उठा लिया। इस तरह के करीब 1.5 करोड़ के फर्जीवाड़े में अजय शर्मा भी जेल में है।
इंद्रजीत बन गया रोहित चौधरी
इस मामले में इंद्रजीत जमानत पर है। उसने किसी रोहित चौधरी के नाम से प्रॉपर्टी बेची। उसके खाते में पैसे लिए। जबकि इंद्रजीत खुद ही रोहित चौधरी बना हुआ था। इस मामले में उसे जमानत मिल गई थी। उसके वकील का तर्क था कि फर्जीवाड़ा रोहित चौधरी ने किया है। मेरा क्लाइंट तो इंद्रजीत है। जबकि इंद्रजीत ही राहुल चौधरी बना हुआ था।
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