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अलवर। आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में निगरानी के बावजूद जिले में बच्चों में कुपोषण की समस्या जस की तस बनी हुई है। अलवर में हर साल कुपोषित व अत्यधिक कुपोषित बच्चे मिल रहे हैं, लेकिन ये बच्चे इलाज के लिए कुपोषण उपचार केंद्र नहीं पहुंच रहे हैं। इसलिए उनका इलाज करना मुश्किल हो रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वर्ष अलवर जिले के आंगनबाडी केन्द्रों पर जांच के दौरान 4 हजार से अधिक बच्चे कुपोषित पाये गये हैं। जबकि 180 बच्चे गंभीर कुपोषित पाए गए हैं। अति कुपोषित बच्चे नहीं पहुंच रहे एमटीसी केंद्र : जागरुकता के अभाव में कुपोषित व गंभीर कुपोषित बच्चों का इलाज परिवारों में नहीं हो पाता है।
दिसंबर-2022 तक आंगनबाड़ी केंद्रों पर 180 गंभीर कुपोषित बच्चे मिले हैं, लेकिन बाल चिकित्सालय के एमटीसी केंद्र पर सिर्फ 138 बच्चे ही इलाज के लिए पहुंचे. इसमें अलवर के मेवात के बच्चों की संख्या काफी ज्यादा रही। दरअसल, जिले के आधे से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों में पिछले कई माह से बच्चों के वजन के लिए इस्तेमाल होने वाली साल्टर मशीन की किल्लत थी, जो ज्यादातर वृद्धावस्था के कारण खराब हो गई है। इसलिए बच्चों के कुपोषण का आंकड़ा भी ठीक से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। अलवर महिला एवं बाल विकास विभाग के उपनिदेशक जितेंद्र मीणा का कहना है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चों का समय-समय पर वजन कराया जाता है. इसके लिए 3 हजार 299 साल्टर मशीनें आई हैं।
जिसमें उम्र के हिसाब से वजन लिया जाएगा। वजन कम होने पर कुपोषित एवं अति कुपोषित श्रेणी में रखकर उपचार किया जायेगा। गंभीर कुपोषित को एमटीसी वार्ड में भर्ती कराया जाता है। कला कुआं सैटेलाइट अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सीताराम अग्रवाल का कहना है कि कुपोषण भी एक बीमारी है। कुपोषित बच्चा शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है। इसलिए शरीर में अन्य बीमारियां भी होने लगती हैं। बच्चों में कुपोषण के कारण शारीरिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। उम्र के हिसाब से बच्चे की लंबाई रुक जाती है। बच्चों के कुपोषण को दूर करने के लिए हरी सब्जियां, दालें और संतुलित भोजन दिया जाता है। दवा भी डॉक्टर की सलाह से ही लेनी चाहिए।

Admin4
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