राजस्थान

मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों की संख्या बढ़ी पर 20 हजार से ज्यादा नर्सेज की कमी

Admin Delhi 1
12 May 2023 3:15 PM GMT
मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों की संख्या बढ़ी पर 20 हजार से ज्यादा नर्सेज की कमी
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जयपुर: राजस्थान आज चिकित्सा क्षेत्र में काफी तरक्की कर चुका है। लगभग हर जिले में मेडिकल कॉलेज बन चुके हैं। पीएचसी-सीएचसी का विस्तार हो रहा है। इसके बावजूद इन चिकित्सा संस्थानों में मैन पावर की कमी एक बड़ी समस्या है। इनमें सबसे बड़ी कमी नर्सेज की है। वर्तमान में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में करीब 50 हजार नर्सिंगकर्मी कार्यरत हैं, जबकि 10 हजार संविदा पर काम कर रहे हैं, लेकिन जिस तेजी से नए मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। इन्हें देखते हुए आज भी 20 हजार से ज्यादा नर्सिंगकर्मियों की इन अस्पतालों में जरूरत है। मरीजों को नर्सिंग केयर नहीं मिल पा रही है। वहीं कई चिकित्सा संस्थानों में तो नर्सेज ही सारी व्यवस्थाएं संभाल रहे हैं। अस्पतालों में व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं।

पूरा वार्ड एक नर्सिंगकर्मी के भरोसे: इंडियन मेडिकल काउंसिल के हिसाब से अस्पतालों में मरीजों के अनुपात में नर्सेज की कमी है। इसी कारण प्रदेश के सबसे बड़े सवाईमानसिंह अस्पताल सहित अन्य मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में एक वार्ड में 50-50 मरीज सिर्फ एक या दो नर्सिंगकर्मियों के भरोसे हैं। डॉक्टर जहां मरीजों का इलाज करते हैं। वहीं नर्सिंगकर्मी मरीजों की सेवा करते हैं। डॉक्टर और मरीज के बीच की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी नर्सिंग स्टाफ है। इसके बावजूद सरकार अस्पतालों में इनकी कमी को नजरअंदाज किया जा रहा है।

कितना होना चाहिए मरीज-नर्सेज अनुपात: इंडियन नर्सिंग काउंसिल के तय मापदंडों के अनुसार आईसीयू में भर्ती तीन मरीजों पर एक नर्स का होना जरूरी है। अगर मरीज ज्यादा गंभीर है तो एक बैड पर एक नर्स होना चाहिए। जनरल वार्ड में छह मरीजों पर एक नर्स होनी चाहिए, लेकिन प्रदेश में वर्तमान स्थिति में ये मापदंड सिर्फ कागजी ही हैं।

प्रदेश में सरकारी चिकित्सा संस्थानों की संख्या रोज बढ़ रही है, लेकिन नर्सेज की भारी कमी है। हम राज्य सरकार से मांग करते हैं कि कि मरीजों के भार को देखते हुए नर्सेज कैडर का पुनर्गठन किया जाए। कम से कम 20 हजार नए नर्सेज की भर्ती की जाए।

- प्यारेलाल चौधरी, प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में नर्सेज की कमी के कारण नर्सिंग काउंसिल के मापदंड पूरे नहीं हो रहे हैं। इसलिए नर्सेज की भर्ती की जाए और नर्सेज कैडर का पुनर्गठन किया जाए, जिससे मरीजों को बेहतर नर्सिंग केयर मिल सके।

- नरेंद्र सिंह शेखावत, कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन

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