कोटा। गेहूं फसल की बुवाई का दौर शुरू होने के साथ ही सिंचाई के लिए नहरी पानी की मांग बढ़ने लगी है। कोटा, बारां, बूंदी व मध्यप्रदेश के किसानों की मांग आने के बाद कोटा बैराज की दायीं व बायीं नहर में पूरी क्षमता से जलप्रवाह किया जा रहा है। इधर राणाप्रताप सागर और जवाहर सागर बांध से विद्युत उत्पादन कर नहरों के लिए पानी छोड़ा जा रहा है ताकि चंबल के बांधों का लेवल बरकरार रखा जा सका। कोटा बैराज की दायीं नहर से कोटा, बारां जिले के अलावा मध्यप्रदेश के कई गांवों के खेतों में सिंचाई होती है, जबकि बायीं नहर से बूंदी जिले के गांवों को सिंचाई सुविधा मिलती है। इस बार मानसून की मेहरबानी से चंबल नदी के चारों बांध लबालब भरे हुए हैं। इस कारण इस साल रबी फसल के लिए किसानों को भरपूर पानी उपलब्ध कराया जाएगा।
बैराज की दायीं नहर से कोटा जिला व बारां जिला सहित मध्यप्रदेश के सैंकड़ों गांवों के खेत सिंचित होते हैं। इस कारण नहर की जलप्रवाह क्षमता बायीं नहर से ज्यादा है। किसानों ने सरसों की बुवाई पहले ही कर दी थी। वर्तमान में गेहूं की बुवाई का दौर शुरू हो चुका है। ऐसे में किसानों को सिंचाई के लिए पानी की अधिक आवश्यकता महसूस होने लगी है। किसानों की मांग को देखते हुए दोनों में पूरी क्षमता से जलप्रवाह किया जा रहा है। दायीं नहर में 6300 और बायीं नहर में 1500 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है।
इटावा क्षेत्र में स्थित पार्वती हेड के माध्यम से मध्यप्रदेश के किसानों के लिए पानी छोड़ा जाता है। पार्वती हेड से जुडेÞ इटावा, अयाना सहित विभिन्न क्षेत्रों के खेतों में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। अब मध्यप्रदेश के किसानों ने पानी आवश्यकता जताई है। इस कारण दायीं नहर में पूरी क्षमता से जलप्रवाह किया जा रहा है। वर्तमान में कोटा व बारां जिला की वितरिकाओं में भी पानी छोड़ दिया गया है। इस कारण अब सैंकड़ों गांवों के खेतों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होने लगा है।
सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होने के बाद फसलों में भी रंगत आने लगी है। मौसम अनुकूल होने से बुवाई कार्य तेज हो गया है। गेहूं व सरसों के लिए बढ़ती सर्दी फायदेमंद रहती है। ऐसे में कुछ दिनों से फसल बेहतर रूप से विकसित होने लगी है। कई किसान अभी बुवाई कार्य में भी जुटे हुए हैं। जिन किसानों के पास सिंचाई के अच्छे बंदोबस्त नहीं है पानी की कमी है वे किसान सरसों की पैदावार में रुझान दिखा रहे हैं। क्योंकि सरसों को पानी की जरूरत कम रहती है। जबकि गेहूं को पानी अधिक चाहिए। ऐसे में सिंचाई की दृष्टि से सरसों को तवज्जों अधिक दी जा रही है।
हर साल गेहूं व सरसों की सिंचाई में किसानों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है, लेकिन इस बार किसानों के सामने ऐसी समस्या नहीं है। लंबे दौर तक चली बारिश से सरसों व गेहूं की पैदावार अच्छी होगी। बांध भी लबालब भरे हुए हैं। ऐसे में सिंचाई की विशेष समस्या नहीं है। दीपावली पहले तक बारिश का दौर चल रहा था, लेकिन अब तापमान भी कम हो गया है और बारिश भी नहीं है। मौसम अनुकूल होने से बुवाई कार्य ने गति पकड़ ली है।
रबी फसलों की सिंचाई के लिए दायीं व बायीं नहर में जलप्रवाह किया जा रहा है। मध्यप्रदेश के किसानों की मांग आने के बाद से दोनों नहरों में पूरी क्षमता से पानी छोड़ा जा रहा है। अब तो नहरों से जुड़ी वितरिकाओं में भी पानी छोड़ दिया गया है। इस बार पानी की कमी नहीं है।
जिले में रबी की फसलों की बुवाई का कार्य चल रहा है। नहरों व वितरिकाओं के माध्यम से खेतों में पानी पहुंंचने लगा है। जिले में गेहूं व सरसों की रकबा अधिक है। पानी की पर्याप्त उपलब्धता और मौसम अनुकूल होने से फसलों की बम्पर पैदावार की उम्मीद है।