राजस्थान

दोगुनी गति से खोद डाला पहाड़, कांग्रेस राज में ही मंत्री पुत्र ने खरीदी थी 2 खान

Gulabi Jagat
27 July 2022 8:06 AM GMT
दोगुनी गति से खोद डाला पहाड़, कांग्रेस राज में ही मंत्री पुत्र ने खरीदी थी 2 खान
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राजस्थान न्यूज
भरतपुर. जिले के आदिबद्री धाम और कनकांचल पर्वतों में हो रहे खनन को रोकने के लिए बाबा विजय दास ने अपना बलिदान दे दिया (Mine Game In Bharatpur). लेकिन उससे पहले साधु संत 551 दिन से इस क्षेत्र में खनन को रोकने के लिए आंदोलन करते रहे. सरकार ने 9 माह पहले साधु-संतों से वार्ता कर वन क्षेत्र घोषित करने का आश्वासन भी दिया. बावजूद इसके 9 महीने तक घोषणा अटकी रही.
पड़ताल में असल वजह सामने आई (Mining In Bharatpur). पता चला कि कामां क्षेत्र की विधायक और राज्य मंत्री जाहिदा खान के 'प्रधान' पुत्र साजिद खान ने कांग्रेस राज में ही इस क्षेत्र में दो खान को लीज पर खरीदा था. यही वजह रही कि मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद वन विभाग को सौंपने की प्रक्रिया अधर में अटक गई और मंत्री पुत्र एवं अन्य वैध अवैध खननकर्ता पहाड़ों को खोदते रहे.
कांग्रेस राज में दो लीज खरीदी: जानकारी के अनुसार राज्य मंत्री जाहिदा खान के बेटे पहाड़ी पंचायत समिति प्रधान साजिद खान ने वर्ष 2019 में आदिबद्री क्षेत्र में दो खान को लीज पर खरीदा था. ये साजिद मिनरल्स के नाम से सक्रिय थीं. इधर क्षेत्र को खनन मुक्त कराने और वन क्षेत्र घोषित कराने के लिए साधु संत लगातार आंदोलनरत थे. साधु संतों के आंदोलन को देखते हुए वार्ता के बाद 1 अक्टूबर 2021 को राज्य सरकार ने नीतिगत निर्णय लिया कि आदिबद्री एवं कनकांचल पर्वत क्षेत्र के खनन पट्टों को वन विभाग में स्थानांतरित किया जाए (Mines in Adi Badrinath and Kankhachal Hills).
क्रेशर के लिए एनओसी जारी: मुख्यमंत्री से वार्ता और जिला कलेक्टर के प्रस्ताव भेजने के बावजूद क्षेत्र को वन विभाग को स्थानांतरित करने का कार्य रुक गया. इसी दौरान राज्य मंत्री के बेटे साजिद खान को इन्हीं लीज पर स्टोन क्रेशर लगाने के लिए एनओसी भी जारी कर दी गई, जिससे स्पष्ट होता है कि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान राज्यमंत्री अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर बेटे को लाभ पहुंचाना चाहती थीं.
अटक गया प्रस्ताव: तत्कालीन जिला कलेक्टर ने 12 अक्टूबर 2021 को तहसील सीकरी व पहाड़ी की कुल 749.44 हेक्टेयर सिवायचक एवं 7.96 हेक्टेयर चारागाह मिलाकर कुल 757. 40 हेक्टेयर भूमि को सघन वृक्षारोपण के लिए वन विभाग को हस्तांतरित करने और 62. 55 हेक्टेयर खातेदारी एवं गैर खातेदारी भूमि पर खनन संबंधी सभी गतिविधियों को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव प्रमुख शासन सचिव राजस्व विभाग को भेजा. लेकिन राज्यमंत्री के प्रभाव के चलते इस प्रस्ताव पर गौर नहीं किया गया और ठंडे बस्ते में डाल दिया. यही वजह रही कि करीब 9 माह गुजरने के बाद भी इस क्षेत्र को वन क्षेत्र घोषित नहीं किया जा सका.
आखिर में 20 जुलाई 2022 को बाबा विजय दास के आत्मदाह के प्रयास के बाद राज्य सरकार ने उक्त क्षेत्र में अवैध खनन पट्टों को प्रीमेच्योर टर्मिनेशन और संबंधित खनन पट्टा धारियों की आजीविका प्रभावित नहीं हो इसके लिए अन्य जगह पुनर्वासित करने की घोषणा की. साथ ही इस क्षेत्र (749.44 हेक्टेयर) को सघन वृक्षारोपण के लिए वन विभाग को सौंपने के लिए भी नोटिफिकेशन जारी किया.
भाजपा कर रही सीबीआई जांच की मांग: इस पूरे मामले को लेकर भाजपा नेताओं के साथ ही साधु संतों ने भी सीधे तौर पर सरकार और राज्य मंत्री पर खनन माफियाओं से मिलीभगत करने और नोटिफिकेशन जारी करने में देरी करने का आरोप लगाया है. क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता विजय मिश्रा का कहना है कि आदिबद्री और कनकांचल के पर्वतों से लेकर पूरे पहाड़ी क्षेत्र के पहाड़ों में राज्यमंत्री जाहिदा खान के संरक्षण में अवैध खनन चल रहा है और उनका पूरा परिवार इसमें लिप्त है. बाबा विजय दास के आत्मदाह के बाद अब पूरे संत समाज और भाजपा नेताओं ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है. इस बीच ग्रामीणों और साधु-संतों ने कमेटी बनाकर पसोपा के मंदिर में भागवत कथा कराने की तैयारियां भी शुरू कर दी है.
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