राजस्थान
सबसे कठिन है कविता का अनुवाद लेखक से मिलिए कार्यक्रम में कहा कुंदन माली ने
Tara Tandi
13 Sep 2023 1:11 PM GMT
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राजस्थान साहित्य अकादमी के लेखक से मिलिए कार्यक्रम में शहर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रो कुंदन माली ने कहा कि साहित्य की अन्य विधाओं की अपेक्षा कविता का अनुवाद कठिन होता है। ऐसा इसलिए कि प्रत्येक पाठक के अनुसार कविता के कई अर्थ निकलते हैं किंतु कहानी, निबंध आदि में सीमित अर्थ सीमित होते हैं।
अकादमी अध्यक्ष दुलाराम सहारण ने बताया कि अकादमी के सहयोग से बारां हिंदी प्रचारिणी सभा भवन में आयोजित हुए कार्यक्रम में कवि, अनुवादक व आलोचक माली ने अपनी रचना यात्रा के बारे में विस्तार से बताया। किसान परिवार में पैदा हुए माली ने अपनी कविताओं के बारे में बात करते हुए कहा कि जमीन से जुड़े होने के कारण ही उनकी कविताओं में चुटीलापन और व्यवस्था के प्रति आक्रोश का भाव आया है। गुजराती से हिंदी, हिंदी से गुजराती, गुजराती से राजस्थानी, अंग्रेजी से हिंदी भाषा में अनुवाद कर चुके कुंदन माली ने अनुवाद को सांस्कृतिक पुल बताया और कहा कि अनुवाद में एक भाषा की संस्कृति दूसरी भाषा में अपने आप चली आती है। राजस्थानी भाषा में आलोचना के शिखर पुरूष माली ने कहा कि रचनाकार को खुश करना आलोचक का कर्तव्य नहीं होना चाहिए बल्कि आलोचना के मानकों के आधार पर रचना की समीक्षा करनी चाहिए। सोशल मीडिया पर रचना प्रेषित कर स्वयं को साहित्यकार मानने वालों को धीरज रखकर रचनाकर्म जारी रखने का सुझाव देते हुए उन्होने कहा कि समय आने पर उनकी रचनाओं की समीक्षा अपने आप हो जाएगी।
सहारण ने बताया कि कुंदन माली की हिंदी, राजस्थानी व अंग्रेजी में अब तक 29 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। कविता, आलोचना व अनुवाद तीनों विधाओं में उनकी पुस्तकों को केंद्रीय अकादमी के साथ ही राजस्थान साहित्य अकादमी व राजस्थानी भाषा, संस्कति और साहित्य अकादमी बीकानेर से पुरस्कार मिल चुके हैं। लेखक से मिलिए कार्यक्रम में उनके साथ साक्षात्कार कहानीकार गौरीकांत शर्मा ने किया।
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फोटो केप्शन : संवाद। लेखक से मिलिए कार्यक्रम में शहर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रो कुंदन माली के साथ चर्चा करते कहानीकार गौरीकांत
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