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जयपुर । इसी साल 25 सितंबर को दिये गये कांग्रेस के 91 विधायकों के इस्तीफों का मामला अब हाईकोर्ट में पहुंच गया है। राजस्थान विधानसभा में भाजपा के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने इस संबंध में एक जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि विधानसभा अध्यक्ष डा सीपी जोशी ने विधायकों के इस्तीफों पर 2 महीनों बाद भी अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।
विगत 25 सितंबर को प्रदेश में कांग्रेस सरकार समर्थित 91 विधायकों ने अपनी अपनी सीटों से स्वैच्छिक त्याग पत्र देने का निर्णय लेते हुए इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से सौंपे थे लेकिन 2 महीने पश्चात् भी त्यागपत्रों को स्वीकार नही किया गया है। किसी भी विधानसभा सीट से स्वेच्छा से इस्तीफ़ा दिया जाना विधायकों का अधिकार होता है। 91 विधायकों से जबरन हस्ताक्षर कराए जाने या उनके त्याग पत्र पर किसी अपराधी द्वारा हस्ताक्षर कूट रचित कर दिए जाने की कोई सूचना अध्यक्ष के पास नहीं थी ऐसे में अविलम्ब स्वीकार करना अध्यक्ष के लिए बाध्यकारी है।
विधायकों के इस्तीफे के मसले को लेकर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह ने कहा कि अभी इस्तीफा मंजूर नही हुआ है लिहाजा विधायक-मंत्री काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस्तीफे स्वीकार करने या नहीं करने का मामला विधानसभा अध्यक्ष के क्षेत्राधिकार में आता है।
विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने आरोप लगाया कि इस्तीफों पर तत्काल प्रभाव से निर्णय लेने के संबंध में भाजपा विधायक दल और उसके पश्चात विधानसभा अध्यक्ष को कई बार पत्र लिखे गए लेकिन उसके बाद भी इस्तीफे स्वीकार नही करने से इस्तीफों को स्वीकार कर लेने की धमकी की आड़ में कांग्रेस सरकार में अशोक गहलोत जबरन मुख्यमंत्री बने रहे। इस योजना को अंजाम दिया जा रहा है। अध्यक्ष के पद व प्रक्रिया का राजनीतिक उद्देश्यों हेतु दुरुपयोग किया जाना अपेक्षित नहीं है। एक ओर तो 6 बसपा सदस्यों की खिलाफ दलबदल याचिका 3 माह में निस्तारित करने के हाईकोर्ट के 24 अगस्त 2020 को दिए गए आदेशों का सम्मान नही किया जा रहा है तो दूसरी ओर स्वैच्छिक इस्तीफे भी 65 दिनों से स्वीकार नही किये गए हैं जबकि अध्यक्ष महोदय ने यह मामला शीघ्र निस्तारित करने का मौखिक आश्वासन दिनांक 18 अक्टूबर को स्वयं मुझे दिया था। राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में वर्तमान राजनीतिक हालात राष्ट्रपति शासन अथवा मध्यावधि चुनाव की ओर इशारा कर रहे हैं।
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