अदालत के नए भवन की जमीन सेना की आपत्ति से करीब आधी रह गई
कोटा न्यूज़: अदालत परिसर के लिए प्रस्तावित नए भवन पर सेना की एक आपत्ति से वह जमीन आधी रह गई है। जिससे उस जमीन पर अदालत बनाने का मकसद हल नहीं हो पा रहा है। ऐसे में इसका काम तो अटका हुआ है। साथ ही अब फिर से अदालत के लिए नई जगह की तलाश भी की जाने लगी है। कोटा में अदालत बरसों से एक ही भवन में संचालित हो रही है। वह भी उस समय से जब यहां गिनती के वकील और मुकदमें हुआ करते थे। उस समय के हिसाब से यह जगह पर्याप्त थी। लेकिन समय के साथ विकास व विस्तार होता गया। मुकदमों की संखया बढ़ने के साथ ही अदालतें भी बढ़ती गई। वकील और पक्षकारों की संख्या में भी उसी अनुपात में वृद्धि हुई। लेकिन नहीं बढ़ा तो अदालत परिसर। अदालत का परिसर आज भी उतना ही है। हालांकि समय-समय पर इसी परिसर में विकास के कार्य करवाए जाते रहे हैं। वर्तमान में भी निर्माण कार्य किया जा रहा है। लेकिन जिस तरह से अदालतों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इस परिसर में जगह की आवश्यकता है वह पूरी नहीं हो पा रही है। जिससे अदालत के नए भवन की मांग लम्बे समय से की जा रही है। राज्य सरकार व जिला प्रशासन के साथ ही न्याय विभाग द्वारा भी प्रयास किए गए। जिसके बाद सरकार ने अदालत के वर्तमान भवन के नजदीक ही स्वास्थ्य भवन के पास सिचाई विभाग की जगह को अदालत परिसर के नए भवन के लिए आवंटित कर दिया। जगह आवटित होते ही प्रशासन द्वारा यहां बने सिचाई विभाग के कार्यालय व स्टोर को खाली करवाकर न्याय विभाग व अदालत के नए भवन का निर्माण करने वाली एजेंसी सार्वजनिक निर्माण विभाग को सौंप दी।
32 हजार वर्ग मीटर जगह, 200 करोड़ का बजट
सरकार व प्रशासन द्वारा अदालत परिसर के लिए जो जगह आवंटित की गई वह 32 हजार वर्ग मीटर है। उस जमीन के हिसाब से उसका नक्शा तैयार किया गया। जी प्लस पांच मंजिला नक् शा बनने के बाद वह हाईकोर्ट रजिस्ट्रार के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया। वहां से नक् शा स्वीकृत हो गया। नए भवन को बनाने के लिए करीब 200 करोड़ रुपए का बजट भी स्वीकृत हो गया। जिसकी वित्तीय स्वीकृति भी जारी हो गई थी। लेकिन कई साल पहले यह सब कुछ होने के बाद भी अदालत के नए भवन का काम शुरू नहीं हो सका। इसका कारण सेना द्वारा आपत्ती किया जाना बताया जा रहा है।
सेना की आपत्ति से कम हुई जमीन
न्याय विभाग के सूत्रों के अनुसार अदालत के नह भवन को जी प्लस 5 मंजिला बनाना है। जिसमें हर मंजिल पर अदालत, पीठासीन अधिकारी के चैम्बर व अन्य व्यवस्था की जानी है। साथ ही ग्राउंड फ्लोर पर एडवोकेट चैम्बर व पार्किंग और अन्य जन सुविधाओं को विकसित किया जाना है। लेकिन जिस जगह पर अदालत का नया भवन बनना है वह जगह सेना की जगह से अड़ी हुई है। इस पर सेना के अधिकािरयों ने उनके पास की जमीन को छोड़ते हुए जी प्लस तीन मंजिल तक ही काम करने की अनुमति दी है। ऐसे में सेना की आपत्ती को यदि माना जाए तो उससे जगह कम होकर 32 हजार वर्ग मीटर की जगह मात्र 19 हजार वर्ग मीटर ही रह गई है। इसमें न तो एडवोकेट चैम्बर बन सकेंगे और न ही पार्किंग व अन्य सुविधाएं। साथ ही अदालतें भी 5 मंजिल की जगह तीन मंजिल पर पूरी नहीं बन पाएंगी। जिससे सभी अदालतों को एक ही जगह पर ले जाने का मकसद भी हल नहीं हो रहा है।
एक चौथाई अदालतें किराए के भवन व कलक्ट्री में संचालित: कोटा जजशिप में करीब 63 अदालतें हैं। जिनमें मुंिसिफ से लेकर एसीजेएम, एडीजे, विशेष अदालतें शामिल हैं। उनमें से करीब 10 अदालतें ग्रामीण क्षेत्र में हैं। वहीं करीब एक चौथाई 16 अदालतें किराए के भवनों में व कलेक्ट्रेट परिसर में संचालित हो रही हैं। ऐसे में नए भवन का मकसद सभी अदालतों को एक ही जगह पर ले जाना है। लेकिन नए भवन की जमीन कम होने से ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है।
94 हजार से अधिक मुकदमें व 2 हजार से अधिक वकील:
कोटा जजशिप में वर्तमान में करीब 2 हजार से अधिक वकील अभिभाषक परिषद में पंजीकृत हैं। जबकि इनकी संख्या इससे कहीं अधिक है। उनमें से करीब आधे से अधिक वकील रोजाना अदालत परिसर में आ भी रहे हैं। वर्तमान में महिला वकीलों की संख्या भी काफी अधिक हो गई है। ऐसे में वकेीलों के बैठने के लिए न तो पर्याप्त जगह है और न ही पाटे। अधिकतर वकील तो एक ही पाटे पर खड़े होकर काम करने को मजबूर हैं। वर्तमान में अदालत परिसर में कोई भी जगह ऐसी नहीं हैं जहांं वकीलों के पाटे लगे हुए नहीं हों। फिर चाहे वह टीनशेड हो या सुलभ कॉम्पलेक्स के सामने। जानकारी के अनुसार कोटा में वर्तमान में करीब 94 हजार से अधिक मुकदमें लम्बित हैं। जिनमें फौजदारी मुकदमों की संख्या करीब 72 हजार व दीवानी मुकदमों की संख्या करीब 22 हजार है। हर साल मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही है।
नए भवन के बारे में अधिक जानकारी नहीं है
अदालत के नए भवन के बारे में अधिक जानकारी तो नहीं है। लेकिन सेना की आपत्ति होने से काम अटका होने की सूचना है। वर्तमान में अदालत परिसर में निर्माण कार्य चल रहा है। उसके पूरा होने के बाद नए भवन के बारे में जानकारी कर उस काम को भी आगे बढ़वाने का प्रयास किया जाएगा। परिषद का प्रयास होगा कि जो भी बाधाएं या कमियां हैं उन्हें दूर कर जल्दी से जल्दी नया भवन बने।
- प्रमोद शर्मा, अध्यक्ष अभिभाषक परिषद कोटा
उच्च स्तर पर कर रहें पत्र व्यवहार: अदालत के नए भवन के लिए जो जमीन आवंटित हुई थी। उस पर सेना ने आपत्ती जताई है। जिससे अदालत के लिए जितनी जमीन की जरूरत है वह पर्याप्त नहीं बताई जा रही है। इस कारण से फिलहाल उसका काम अटका हुआ है। न्याय विभाग द्वारा अब अदालत के लिए नए भवन की तलाश के संबंध में उच्च स्तर पर पत्र व्यवहार किया जा रहा है। इस संबंध में अधिक जानकारी न्याय विभाग द्वारा ही दी जा सकती है।
- वीके. पोरवाल, एक्सईएन सार्वजनिक निर्माण विभाग
नए भवन के लिए काफी प्रयास कर स्वास्थ्य भवन के पास जगह आवंटित करवाई थी। उसके लिए बजट भी स्वीकृत हो गया था। लेकिन परिषद की कार्यकारिणी ने उस दिशा में कोई प्रयास नहीं किए। अब उस पर सेना की आपत्ती होने की सूचना है। जिससे अदालत के नए भवन का काम अटका हुआ है। जबकि वर्तमान भवन वकीलों, पक्षकारों व अदालतों की बढ़ती संखया के हिसाब से काफी छोटा है। ऐसे में जितनी जल्दी संभव हो सके नया भवन बनाने का प्रयास होना चाहिए।
- मनोजपुरी, पूर्व अध्यक्ष, अभिभाषक परिषद कोटा