राजस्थान
अपने साथ हुई दरिंदगी को यादकर चीखती है गैंगरेप पीड़िता, 3 साल से हाथ-पांव बांधकर हो रहा इलाज
SANTOSI TANDI
23 Aug 2023 12:13 PM GMT
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3 साल से हाथ-पांव बांधकर हो रहा इलाज
राजस्थान के अलवर में तीन साल पहले नाबालिग के साथ हुए गैंगरेप के मामले में कोर्ट ने भले ही एक आरोपी को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. चूंकि दूसरा आरोपी नाबालिग है, इसलिए उसके खिलाफ सुनवाई बाल न्यायालय में जारी है. उम्मीद है कि जल्द ही उसके मामले में भी कोर्ट का फैसला आ जाएगा, लेकिन इससे पीड़िता को कोई फर्क नहीं पड़ रहा. कारण कि वारदात के दिन से ही वह विचलित है. वह जिंदा तो है, लेकिन उसे इस कदर दौरे पड़ रहे हैं कि परिजनों को उसके हाथ पांव बांध कर रखना पड़ता है.
पॉक्सो कोर्ट नंबर 1 के विशेष लोक अभियोजक रोशनदिन खान के मुताबिक यह वारदात 10 मई 2020 की है. इसमें तीन युवकों ने पड़ोस में रहने वाली नाबालिक लड़की को अपने घर में बुलाया और फिर तीनों ने बारी-बारी उसके साथ दुष्कर्म को अंजाम दिया. आरोपियों ने इस वारदात का वीडियो भी बनाया था. इस वारदात में पीड़िता की हालत खराब हो गई थी. उसके परिजनों को जानकारी हुई तो पुलिस में शिकायत दी.
इसके बाद हरकत में आई पुलिस ने दो आरोपियों को उसी समय गिरफ्तार कर लिया. वहीं तीसरा आरोपी चूंकि नाबालिक था, इसलिए उसे बाल न्यायालय में पेश कर सुधार गृह भेज दिया गया था. तब से यह मामला कोर्ट में विचाराधीन था और अब इसमें कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. फैसला सुनने के लिए कोर्ट पहुंचे पीड़िता के पिता ने बताया कि घटना के दिन से ही उनकी बेटी सदमे में है. फिलहाल उसका इलाज अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में चल रहा है.
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उसकी हालत इतनी खराब है कि उसके उसके हाथ पैर बांधे गए हैं. उन्होंने कहा कि कोर्ट के इस फैसले से उन्हें संतुष्टि हो सकती है, लेकिन उनकी बेटी को कोई फर्क नहीं पड़ता. उन्होंने जिला प्रशासन से बेटी की किसी अच्छे अस्पताल में बेहतर इलाज कराने की मांग की. साथ ही बच्ची के साथ उन्हें सर्वाइव करने के लिए आर्थिक सहायता की भी मांग की.
विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि पुलिस ने 40 पन्नों की चार्जशीट पेश की थी. इसमें 22 गवाहों की गवाही भी शामिल है. मामले की सुनवाई विशिष्ट न्यायाधीश जोगिंदर अग्रवाल की कोर्ट में हुई. कोर्ट ने इस मामले में एक आरोपी प्रशांत निवासी आलमपुर को 20 साल की सजा के साथ 33000 रुपये का जुर्माना लगाया है.
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