राजस्थान

विकास नहीं विवाद के नाम रहा जयपुर के दोनों नगर निगमों का पहला साल

Shantanu Roy
10 Nov 2021 2:36 PM GMT
विकास नहीं विवाद के नाम रहा जयपुर के दोनों नगर निगमों का पहला साल
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शहर की सरकार का बुधवार को 1 साल का कार्यकाल पूरा हो गया है. शहर में विकास का हवाला देते हुए अक्टूबर 2019 में राज्य सरकार ने जयपुर शहर को हेरिटेज और ग्रेटर दो निगमों में बांट दिया था.

जनता से रिश्ता। शहर की सरकार का बुधवार को 1 साल का कार्यकाल पूरा हो गया है. शहर में विकास का हवाला देते हुए अक्टूबर 2019 में राज्य सरकार ने जयपुर शहर को हेरिटेज और ग्रेटर दो निगमों में बांट दिया था. दिल्ली की तर्ज पर 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले जयपुर में दोनों निगम में 250 वार्ड बनाए गए थे. तर्क दिया गया की हेरिटेज निगम विरासत को संजोए रखने और ग्रेटर निगम बढ़ते शहर को संवारने का काम करेगी. हालांकि विपक्ष ने इसे राजनीतिक लाभ उठाने के लिए लिया गया फैसला बताया. जो नगर निगम के चुनाव में स्पष्ट भी हो गया. दो निगम में से हेरीटेज कांग्रेस के जबकि ग्रेटर बीजेपी के खाते में आया.

हालांकि 1 साल बीत जाने के बाद भी आकलन किया जाए तो शहर को दो निगम होने का कोई फायदा अब तक नहीं मिल पाया है. न तो परकोटे से अतिक्रमण हटाया जा सका और न ही ग्रेटर में विकास की बयार बही. दोनों ही निगम अपने पहले साल में सिर्फ विवादों में घिरे रहे. शहर के दोनों नगर निगम के चुनाव कोरोना काल में ही संपन्न हुए और बोर्ड बना. अपने पहले साल में दोनों ही निगम कोरोना नियंत्रण और आधारभूत सुविधाएं पूरी करने में ही जुटे रहे. बोर्ड बैठक के नाम पर भी केवल एक बजट बैठक आयोजित की गई. आलम ये रहा कि हेरिटेज नगर निगम तो अपनी संचालन समितियां ही नहीं बना पाया. जबकि ग्रेटर नगर निगम में आपसी विवाद और खींचतान चलता रहा.
पहली बार निगम में हुआ महापौर का निलंबन
बीवीजी कंपनी के भुगतान और सफाई की वैकल्पिक व्यवस्था के मुद्दे पर तत्कालीन महापौर सौम्या गुर्जर और कमिश्नर यज्ञ मित्र सिंह देव के बीच हुए विवाद में राज्य सरकार ने महापौर और तीन पार्षदों को निलंबित कर दिया. निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी महापौर को निलंबित किया गया. यही नहीं मामले में कमिश्नर ने एफआईआर भी दर्ज कराई थी. दोषी पाए जाने पर पार्षदों को जेल तक जाना पड़ा. जबकि निलंबित महापौर अभी भी न्याय की आस में सुप्रीम कोर्ट में चक्कर काट रही हैं.
निलंबित महापौर के पति की 20 करोड़ की डील
जिस बीवीजी कंपनी के भुगतान को लेकर ग्रेटर निगम में विवाद छिड़ा था. वो प्रकरण शांत होने से पहले ही निलंबित महापौर के पति राजाराम गुर्जर का एक वीडियो वायरल हुआ. इसमें वो बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधियों से 270 करोड़ रुपए बकाया भुगतान दिलाने के नाम पर 20 करोड़ रुपए की डील करते हुए नजर आए. मामले में एसीबी ने राजाराम गुर्जर को गिरफ्तार भी किया.


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