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जयपुर: राजस्थान रोडवेज के लिए राज्य सरकार की तरफ से एक पॉजिटिव खबर सामने आई है. सीएम अशोक गहलोत के ‘राजस्थान मिशन 2030’ में राजस्थान रोडवेज को भी शामिल किया गया है. इसके तहत अब रोडवेज में सुधार की कवायद की उम्मीद जगी है. मिशन के तहत रोडवेज को भी मॉडल बनाने का पूरा दस्तावेज तैयार किया जाएगा. इसके लिए सरकार ने रोडवेज प्रशासन, कर्मचारियों और इसकी यूनियनों से सुझाव मांगे हैं. अगर सबकुछ ठीकठाक रहा तो राजस्थान रोडवेज की दशा और दिशा दोनों सुधरने की उम्मीद है.
मिशन 2030 का हिस्सा बनने के बाद निगम की कार्यकारी निदेशक अनिता मीणा की अध्यक्षता में सुझावों के लिए एक बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में राजस्थान रोडवेज के अधिकारियों और कर्मचारियों के संयुक्त मोर्चे ने हिस्सा लिया. अनीता मीणा ने अधिकारियों से लेकर संयुक्त मोर्चे से पूछा कि रोडवेज में किस तरह के बदलाव किये जा सकते है. संयुक्त मोर्चे और अधिकारियों ने मिलकर कार्यकारी निदेशक को सुझाव दिए. महत्वपूर्ण सुझावों में रोडवेज को हाईटेक बनाने के लिए कई तरह के सुझाव सामने आए हैं.
इनमें बसों की संख्या में वृद्धि, समयबद्ध भर्तियां, एसी बसों की संख्या में बढ़ोतरी और निगम सेवाओं को बेहतर बनाया जाना शामिल हैं. इनके साथ ही बसों का डिजिटाजेशन फॉर्मूला बनाना, बसों का ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम तैयार करना, बसों का कलर पेटेंट करवाने समेत इलेक्ट्रिक एवं सीएनजी बसों की उपलब्धता बढ़ना और बस स्टैण्ड पर रेस्ट रूम बनाने के सुझााव शामिल हैं.
है लेकिन वर्तमान हालात को देखते हुए ये कहना बड़ा मुश्किल है कि 2030 तक रोडवेज के क्या हालात होंगे. क्योंकि रोडवेज के बेड़े में सिर्फ 2900 बसें बची हैं और इनमें से भी ज्यादातर कबाड़ हो चुकी हैं. कर्मचारियों की संख्या लगातार घटती जा रही है. रोडवेज में 10 हजार पद रिक्त हैं. रिक्त पदों पर लंबे समय से कोई स्थाई भर्ती नहीं हुई है. ऐसे में 2030 तक ये आंकड़े और कम हो जाएंगे.

Manish Sahu
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