राजस्थान

गर्मी के सीजन में बढ़ा पीने के पानी का संकट, घरों में सप्लाई हो रहा खारा पानी

Admin Delhi 1
9 May 2023 2:30 PM GMT
गर्मी के सीजन में बढ़ा पीने के पानी का संकट, घरों में सप्लाई हो रहा खारा पानी
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बारां: बारां शहरवासियों को गर्मी में पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। गर्मी बढ़ने के साथ ही पेयजल की डिमांड तो बढ़ने लग गई है, लेकिन सप्लाई को लेकर इंतजाम दुरुस्त नहीं हो पाए हैं। गर्मी बढ़ने के साथ ही शहर में सामान्य दिनों की 180 लाख लीटर पानी प्रतिदिन के मुकाबले डिमांड बढ़कर करीब 300 लाख लीटर के पार पहुंच गई है, लेकिन विभाग की ओर से महज 200 लाख लीटर पानी ही मिल रहा है। सरकार की ओर से पेयजल समस्या से राहत दिलाने के लिए करोड़ो रुपए के प्रोजेक्ट तो शुरू किए गए हैं, लेकिन कई साल इंतजार के बाद भी पूरे नहीं हो रहे हैं और लोगों को हर साल पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। बारां जिले से होकर पार्वती, परवन, कालीसिंध नदियां गुजर रही है। ऐसे में यहां पानी की उपलब्धता को भरपूर है, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी और लापरवाही के कारण आमजन को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते पेयजल प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हैं। पेयजल योजनाओं पर करोड़ो रुपए खर्च होने के बावजूद ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों के साथ ही जिला मुख्यालय पर पेयजल संकट बना हुआ है। बारां शहर के कई वार्डों में स्थिति यह है कि पीने के लिए मीठे पानी के लिए लोगों को 4 से 6 किमी दूर जाना पड़ता है। जिला मुख्यालय पर स्थिति यह है कि कई इलाकों में 1 घंटा के बजाय महज 15 से 20 मिनट ही पानी की सप्लाई हो रही है। सप्लाई के दौरान अगर बिजली कटौती हो जाती है, तो परेशानी ओर बढ़ जाती है। ऐसे में लोगों को कूलर में भरने के लिए तो दूर पीने के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में लोगों को घरों पर भी पीने के पानी के लिए कैंपर मंगवाने पड़ रहे है। पेयजल सप्लाई नियमित नहीं होने के कारण घरेलू कामकाज के लिए भी लोगो को दूर-दराज ट्यूबवेल आदि से पानी लेकर आना पड़ रहा है।

14500 कनेक्शनों पर 2 करोड़ 5 लाख लीटर पानी सप्लाई का दावा

शहर में जलदाय विभाग ने 14 हजार 500 नल कनेक्शन हैं। जलदाय विभाग हीकड़ दह से 1 करोड़ 70 लाख लीटर और मजरावता से 35 लाख लीटर सहित 2 करोड़ 5 लाख लीटर पानी सप्लाई का दावा किया जा रहा है। वर्तमान में हालात यह हैं कि कच्ची बस्तियों में लोग नलों में पानी का इंतजार करते रहे हैं। वहीं हर दूसरी पॉश कॉलोनी में नगर परिषद और प्राइवेट ट्यूबवेलों से लोगों ने कनेक्शन करवा रखे हैं। शहर में पानी सप्लाई के लिए साल 2016 में 31 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसमें हीकड़ दह पर इंटेक निर्माण, पाठेड़ा में 21 एमएलडी जलशोधन संयंत्र निर्माण,अटरू रोड, न्यू सिविल लाइन, डोल मेला ग्राउंड में टंकी बनाई गई। हीकड़ से पाठेड़ा और बारां तक 13 किमी तक पानी की लाइन बिछाई गई है। 12 किमी में राइजनिंग लाइन और 36 किमी में वितरण पाइप लाइन बिछाई। अब 78 करोड़ खर्च अमृत योजना में 12 टंकियां बना दी। विभाग का दावा है कि सप्लाई लाइनें बिछा दी हैं। फि र भी नालियों से पाइप गुजर रहे हैं। घरों में पानी नहीं पहुंच रहा है।

योजना है कि पूरी होती ही नहीं है

शहर में पेयजल समस्या से राहत दिलाने के लिए अमृत योजना के तहत 78 करोड़ की योजना शुरु की थी। यह प्रोजेक्ट साल 2017 में शुरु होकर 2019 तक पूरा करना था लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते यह प्रोजेक्ट अधूरा पड़ा है। प्रोजेक्ट का काम पूरा हो तो शहर में 80 लाख लीटर अतिरिक्त पानी मिल सकेगा। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से प्रोजेक्ट पूरे हो सके हैए ना ही शहर में पेयजल समस्या से राहत के लिए इंतजाम दुरुस्त किए गए है। टैंकरों से भी सप्लाई नहीं कर रहे।

सप्लाई का समय एक घंटे, लेकिन 15 से 20 मिनट ही आ रहा पानी

विभागीय सूत्रों ने बताया कि शहर में हीकड़ दह से 180 लाख लीटर पेयजल की सप्लाई मिल रही है। ऐसे मे शहर में घरेलू कनेक्शनों पर एक घंटे पेयजल सप्लाई की जाती है लेकिन पिछले कुछ दिनों से गर्मी बढ़ने के कारण पेयजल संकट गहराने लगा है। जिला मुख्यालय पर ही स्थिति यह है कि कई ईलाकों में एक घंटा के बजाय महज 15 से 20 मिनट ही पेयजल सप्लाई हो रही है। सप्लाई के दौरान भी अगर बिजली कटौती हो जाती है, तो परेशानी ओर बढ़ जाती है। बांडाजी की टेक निवासी ललित राठौर ने बताया कि सुबह के समय केवल 15 मिनट ही जलापूर्ति होती है, इसमें भी बिजली गुल हो जाने से परेशानी बढ़ जाती है। इस दौरान भी केवल 70 से 90 लीटर पानी भर पाता है। गजनपुरा निवासी गौरव शर्मा ने बताया कि विभाग की ओर से डाली गई पाइपलाइन में पेयजल आपूर्ति नही हो रही है। जिसके कारण लोगों को निजी नलकूपों से पानी लेना पड़ रहा है।

रुकमणी बाई ने बताया कि उनके वार्ड में हर घर में नल कनेक्शन तो दे दिया गया है लेकिन नल में पानी नहीं आ रहा है। एक माह पहले थोड़ा-थोड़ा पानी आया था लेकिन अब बंद ही हो गया है। इसकी शिकायत जलदाय विभाग के अधिकारी से की जा चुकी है लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है। जगदीश ने बताया कि यहां पर सिर्फ दो ट्युबेल हैं, जिसमें से एक एक खराब हो गया है और दूसरे वार्ड से कई किलोमीटर दूर है जिससे पूरा वार्ड पानी पी रहा है। बारां शहर के माथना चौराहा कॉलोनी में नल कनेक्शन कर दिया गया है। लेकिन नल कनेक्शन सिर्फ नाम मात्र के लिए किया गया है। यहां किसी भी वार्ड वासी के यहां पानी अभी तक नहीं पहुंचाया गया है। बारां शहर में मीठे पानी की सप्लाई के लिए आठ साल में दो योजनाओं पर 100 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। विभाग हर दिन दो करोड़ लीटर पानी सप्लाई का दावा कर रहा है। कई घरों में 10 से 15 मिनट पानी पहुंच रहा है। लोग नगर परिषद और निजी ट्यूबवैलों से खारा पानी लेने को मजबूर हो रहे हैं। शहर में कई इलाकों में कम पानी पहुंचने से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। कई इलाकों में 10 से 15 मिनट पानी पहुंचने की शिकायतें आ रही हैं। जलदाय विभाग दो करोड़ लीटर प्रतिदिन पानी सप्लाई का दावा कर रहा है। इसके बावजूद हालात यह हैं कि हर दूसरी कॉलोनी में लोग सरकारी या निजी ट्यूबवैल से पानी का कनेक्शन करवा लिया है। पीने के लिए कैंपर मंगवाने को मजबूर हैं।

खारा पानी पीने को मजबूर जनता

अमृत योजना के तहत करीब 80 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन साल 2019 में पूरा होने वाला प्रोजेक्ट अधिकारियों की अनदेखी के चलते अब तक अधूरा पड़ा है। शहर के बाबजी नगर, बालाजी नगर, गोपालपुरा, धुनीखेड़ा, मेलखेड़ी, गजनपुरा, दुर्जनपुरा, गोदियापुरा सहित कई वार्डों लोगों को ट्यूबवेल का खारा पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है, जिसके कारण आए दिन लोग बीमार हो रहे हैं। यहां पेयजल सप्लाई के लिए टंकियां तो बन गई, लेकिन इनसे कनेक्शन जोड़ने शुरू नहीं हुए हैं। कई बार ज्ञापन, धरना-प्रदर्शन के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।

गर्मी बढ़ने से पानी डिमांड बढ़ गई है। जिसके कारण पेयजल समस्या हो रही है। हीकड़ से तो 180 लाख लीटर पानी मिल ही रहा है, मजरावता से भी 20 लाख लीटर पानी की वैकल्पिक व्यवस्था की है। इसमें जल्द ही सुधार किया जाएगा। अमृत योजना का कार्य जून तक पूरा हो जाएगा। मजरावता इंटेकवैल से 80 लाख लीटर अतिरिक्त मिलने से राहत मिल सकेगी।

- प्रमोद कुमार झालानी, एक्सईएन, पीएचईडी बारां

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