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उदयपुर। उदयपुर में देवाली स्थित विद्याभवन ऑडिटोरियम में लिखित नाटक लहरों के राजहंस का रंगारंग मंचन हुआ। नाटक में भगवान बुद्ध, उनके भाई नंद पर आधारित नाटक की सशक्त कथावस्तु और कलाकारों के भावपूर्ण अभिनय ने कलाप्रेमियों को मोहित कर दिया। इससे पहले लोककला मंडल के निदेशक लईक हुसैन, सुखाड़िया यूनिवर्सिटी कुलपति प्रो सुनीता मिश्रा और विद्यापीठ यूनिवर्सिटी कुलपति प्रो. एसएस सरंगदेवोत ने कार्यक्रम का उदघाटन किया। जतिन भारवानी निर्देशित इस नाटक में एक कठिन चुनाव है। संसारी तत्वों को त्यागकर अपने भाई भगवान बुद्ध की शरण में जाने या फिर अपनी रूपवती सुंदरी के साथ का। नाटक का अंत एक रहस्यमयी तरीके से हुआ। जहां द्वंद्व के मारे नंद अपना उत्तर नहीं खोज पा रहे हैं। वहीं रूपगर्विता सुंदरी अपने आकर्शण की हार को स्वीकार नहीं कर पाती।
श्यामांग व अलका के पात्रों ने नाटक को आत्मिक अर्थ प्रदान किए। इस भावपूर्ण प्रस्तुति को कलाकारों ने अपनी कुशलता से प्रस्तुत कर सराहना हासिल की। कलाकारों की भूमिका में अंजना आहलुवालिया, जतिन भारवानी, जयेश सिंधी, सुधांशु आढ़ा, इशिका अग्रवाल आदि शामिल थे। वहीं प्रकाश व संगीत में भुवन शर्मा, भवानी शंकर कुमावत रहे।
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